अब भाजपा-कांग्रेस में 1-2 की जगह 2-1 हो गए शाह…
अब एक और शाह केसरिया हो गए हैं। अमरवाड़ा से कमलेश शाह की जीत के बाद आदिवासी शाहों के मामले में भाजपा का पलड़ा भारी हो गया है। 2023 विधानसभा चुनाव में आदिवासी ‘शाह’ के मामले में भाजपा-कांग्रेस में 1-2 की स्थिति थी। पर कांग्रेस के एक ‘शाह’ आठ माह में ही खेमा बदलकर लोकतंत्रात्मक तरीके से केसरिया रंग में रंग गए है। हालांकि कम अंतर से जीत बता रही है कि विष्णु-मोहन के खास प्रयासों ने ही अमरवाड़ा में शाही केसरिया रंग भर पाया है। जिस तरह मतों का अंतर इधर-उधर होता रहा, उसने कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खेमे को उमंग और उत्साह से सराबोर होने का पूरा मौका दिया। पर कहते हैं कि अंत भला सो सब भला … और लोकतंत्र में तो एक वोट से ही सही, बस जीत ही राजतिलक करने को काफी है। और अंत में जीत का जश्न भाजपा के हिस्से में ही आया और मध्यप्रदेश विधानसभा में कमल एक और सीट पर खिल गया। पर परीक्षा लगातार जारी है और आने वाले समय में बुधनी और विजयपुर में भी उपचुनाव के मैदान में भाजपा और कांग्रेस को दो-दो हाथ करना है। दरअसल मध्यप्रदेश की सोलहवीं विधानसभा में आदिवासी सीट पर तीन ‘शाह’ सदन पहुंचे थे। इनमें हरसूद (खंडवा) से विजय शाह भाजपा से, तो टिमरनी (हरदा) विधानसभा से अभिजीत शाह और अमरवाड़ा से कमलेश शाह कांग्रेस से सदन में पहुंचे थे। पर लोकसभा चुनाव से पहले कमलेश शाह ने पाला बदला, तब तय हो गया था कि छिंदवाड़ा के नाथ विहीन होने का समय आ गया है। और हुआ भी वही, भाजपा ने पहले नाथ का गढ़ भेदा और अब अमरवाड़ा को केसरिया कर दिया। शाहों के मामले में जहां सदन में 1-2 की स्थिति थी, वहां अब भाजपा 2 पर पहुंच गई और कांग्रेस 1 सीट पर सिमट गई है। कमलेश कमल के पाले में आकर अमरवाड़ा में कमल खिलाकर अब केसरिया हो गए हैं। विष्णु-मोहन के नेतृत्व और भाजपा कार्यकर्ताओं की मेहनत का मीठा फल कमल दल को मिला है, तो जीतू-नाथ के हिस्से में मायूसी आई है। वैसे सदन में शाह सरनेम से एक विधायक सिंगरौली से रामनिवास शाह भी हैं। पर सिंगरौली सामान्य सीट पर जीते भाजपा विधायक रामनिवास शाह गैर आदिवासी समाज से आते हैं। वहीं अमरवाड़ा, हरसूद और टिमरनी विधानसभा सीटें आरक्षित हैं।
चूंकि अभी तक छिंदवाड़ा जिले को कांग्रेस का अभेद्य किला माना जाता था, जिसे 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने फतह कर लिया है। उसी तरह अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर भी ज्यादातर कांग्रेस का कब्जा रहा है। 2008 में कांग्रेस से भाजपा में आए प्रेमनारायण ठाकुर ने यह सीट जीती थी, तो अब लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर कांग्रेस से भाजपा में आए कमलेश शाह ने कांग्रेस के धीरन शाह को हराकर यहां कमल खिलाया है। हालांकि 25000 से अधिक मतों से विजयी कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश शाह को भाजपा में आकर करीब तीन हजार की जीत से ही संतोष करना पड़ा है। 2023 के चुनाव में कमलेश शाह ने कांग्रेस के टिकट पर 25,086 वोटों से जीत हासिल की थी। इस बार उपचुनाव में वह भाजपा के टिकट पर 3000 से अधिक वोटों से जीते हैं। यानी पिछले चुनाव में जीत के मुकाबले कमलेश को करीब 22000 वोट कम मिले। पर ऐसे हालातों में बस जीत ही काफी है। कमलेश शाह ने अपनी जीत को भाजपा के कार्यकर्ता, पदाधिकारी, सीएम डॉ. मोहन यादव और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा की मेहनत का नतीजा बताया है। और अब जैसा कि माना जा रहा था कि सरकार कमलेश शाह को मंत्रिमंडल में शामिल करेगी, तो जल्दी ही एक और मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना बन गई है। हो सकता है कि शाह को राज्यमंत्री बनाकर ही खुश करने की कोशिश की जाए, पर वह मोहन मंत्रिमंडल का हिस्सा बनकर एक बड़ी उपलब्धि तो हासिल कर ही लेंगे। और इसके साथ ही दो आदिवासी शाह मंत्रिमंडल को शाही रंग में रंगते नजर आएंगे।
तो यह भी संयोग ही है कि एक और शाह 14 जुलाई 2024 को इंदौर आ रहे हैं। जी हां, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह वृक्रपण में इंदौर में बन रहे रिकार्ड के साक्षी बनेंगे। हालांकि वह भी गैर आदिवासी शाह हैं, पर ‘शाह-शाह’ सरनेम की समानता तो मेल खा ही रही है। तो ‘शाह’ की जीत को भाजपा के मोहन-विष्णु इंदौर पधार रहे केंद्रीय मंत्री ‘शाह’ को समर्पित किए बिना नहीं रहेंगे। और मध्यप्रदेश के इस उपचुनाव में जीत पर ‘शाह’ की ‘मोहन-विष्णु’ की तरफ देखकर ‘शाही’ मुस्कान भी दिखना स्वाभाविक है। फिलहाल सदन में आदिवासी शाह विधायकों के मामले में भाजपा ने कांग्रेस पर 2-1 की लीड ले ली है और आठ महीने में भाजपा-कांग्रेस का पासा पलटकर 1-2 की जगह 2-1 हो गया है…।