अब मोहन के मंत्रिमंडल पर नजर…

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अब मोहन के मंत्रिमंडल पर नजर…

मध्यप्रदेश के लिए आज यानि 25 दिसंबर 2023 का दिन बहुत खास है। पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न मध्यप्रदेश की माटी के लाल अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन आज है। तो आज ही करीब 17 साल के सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान की जगह प्रदेश की बागडोर संभालने वाले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मंत्रिमंडल विस्तार पर सबकी नजर है। हालांकि कौन-कौन से चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल होंगे, इस पर चर्चा बहुत ज्यादा मायने नहीं रखती। क्योंकि मुख्यमंत्री के नाम की भनक तक किसी को नहीं लगी थी। पर यह इस बात पर निर्भर करता है कि संभावित मंत्रियों में शपथ से पहले गोपनीयता बरतने की कितनी ताकत है। यह बात तय है कि सुबह मुख्यमंत्री राजभवन पहुंचकर महामहिम से औपचारिक मुलाकात करेंगे और शाम को मंत्रिमंडल का विस्तार आकर लेगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पुष्टि कर दी है कि, “कल यानि 25 दिसंबर 2023 को मध्य प्रदेश के नए मंत्रीमंडल का शपथग्रहण है… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा के नेतृत्व में हम फिर से विकास के लिए डबल इंजन सरकार के रूप में आएंगे।”

अब विष्णु प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हैं और मोहन मुख्यमंत्री हैं तो भगवान के नाम वाले विधायकों की सूची बनाकर तो संभावना जताई ही जा सकती है। और उन संभावित चेहरों में साठ फीसदी के सफल होने की संभावना भी बनती है। पर मन की बात मन में ही रखना बेहतर है, क्योंकि एक दर्जन पुराने मंत्री हार चुके हैं और करीब दो दर्जन पुराने मंत्रियों के वापस मंत्री बनने की संभावना 40 फीसदी ही है। बाकी नाम मुख्यमंत्री की तरह चौंकाने वाले भी हो सकते हैं। जिस तरह की चर्चाएं आम हैं कि सरकार केंद्र से ही चलेगी, तब मंत्री भी केंद्र से चलेंगे और ऐसे में कोई भी मंत्री बने कुछ खास फर्क नहीं पड़ता। जैसा कि खबर चर्चा में है कि केंद्र ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नवनियुक्त मुख्यमंत्रियों को निर्देशित किया है कि सभी मंत्री पांच दिन राजधानी में रहेंगे और दो दिन क्षेत्र में जाएंगे। ऐसा प्रावधान सभी भाजपा शासित राज्यों में लागू होगा। और यह बात तो अब एकदम साफ है कि भाजपा की हर गारंटी को पूरा करने की गारंटी सिर्फ मोदी हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री, मंत्री और संगठन सभी के सामने तस्वीर साफ है। और कार्यकर्ताओं को भी यह बात पूरी तरह से समझ में आ गई है। पर यह बात आज साफ होने को है कि एमपी के मन में मोदी और एमपी के मन में मोहन के बाद अब और कौन-कौन हैं। राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा को उपमुख्यमंत्री बनाने से इस बात में तो अब कोई संदेह नहीं रहा है कि अब “लो प्रोफाइल” चेहरे प्राथमिकता पर हैं। और आज जन्मे अटल की तस्वीर भी तो उदारवादिता और हमेशा जमीन से जुड़े रहने का संदेश देती है। जिन्होंने कहा था कि अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा। और सूरज तो उनके जीते जी ही निकल गया था और अंधेरा छंट गया था और कमल खिल गया था। और अब तो कमल ही कमल चारों दिशाओं में नजर आ ही रहा है। राजनीति का “मोदी युग” नई नई परिभाषाएं गढ़ रहा है और पूरा विश्व उनकी तरफ देखने लगा है। इन मोदी को राजधर्म की सीख देने की हिम्मत उदारता और कठोरता की अद्भुत प्रतिमूर्ति अटल जी में ही थी।

खैर थोड़ा सा ध्यान अब अटल बिहारी वाजपेयी की तरफ कर लें। अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसम्बर 1924–16 अगस्त 2018) भारत के तीन बार के प्रधानमन्त्री थे। वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, तथा फिर 1998 में और फिर 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्‍ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। तो थोड़ा सा अटल जी को याद करें तो वह आजीवन अविवाहित रहे। वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता एवं सिद्ध हिन्दी कवि भी रहे है। परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की सम्भावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये। सन् 1998 में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सीआईए को भनक तक नहीं लगने दी।अटल जी सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इन्दिरा गाँधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमन्त्री रहने का गौरव पहली बार उन्हें हासिल हुआ था। वह पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक संचालित भी किया। अटल जी ही पहले विदेश मन्त्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।

तो फिर हम उसी बात पर आते हैं कि मोहन का मंत्रिमंडल बनेगा और मध्यप्रदेश सरकार विकास की नई छलांग लगाएगा। हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पहली चुनौती सरकार और संगठन के सामने यही है कि लोकसभा चुनाव में 29 कमल की माला मोदी के गले में डाली जाए। तो एक बार फिर वही बात कि मध्यप्रदेश की माटी के लाल अटल की तस्वीर विधानसभा में लगाई जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को यह पता रहे कि अटल एमपी के थे, अटल के मन में एमपी था और एमपी के मन में अटल थे, हैं और हमेशा रहेंगे…।