अब मोहन की माया, बदलेगी मध्यप्रदेश की काया…

अब मोहन की माया, बदलेगी मध्यप्रदेश की काया…

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अब मध्यप्रदेश के नक्शे में बदलाव करने का पूरा मन बना चुके हैं। अच्छी बात‌ यह है कि वह बदलाव व्यावहारिक होगा और जनहितैषी भी रहेगा। चूंकि मुख्यमंत्री खरगौन जिले में इंदौर संभाग की समीक्षा बैठक लेने पहुंचे थे, तो उदाहरण भी वहीं से है। बड़वानी जिले की सीमा शहर से चार किलोमीटर की दूरी पर खत्म हो जाती है और वहां से धार जिला लग जाता है। यहां से धार जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए लोगों को सौ किलोमीटर की दूरी तय‌ करना पड़ती है। तब क्यों न बड़वानी के पास के गांव धार की जगह बड़वानी जिले में शामिल कर लोगों को‌ समस्या से निजात दिलाई जाए। बड़वानी का उदाहरण प्रतीकात्मक है और यह बात हर संभाग और उनके सभी जिलों पर लागू होती है। और यह बात जिलों की तरह ही थानों और तहसीलों पर भी लागू हो रही है और उनके क्षेत्रों का समायोजन भी व्यावहारिक दृष्टि से की जाएगी। इससे संभागों और जिलों की सीमाएं बदल जाएंगी। पायलट प्रोजेक्ट इंदौर से शुरू होगा और फिर पूरे मध्यप्रदेश के जिले और संभाग अपने नए आकार में नजर आएंगे। और इस तरह से मध्यप्रदेश का पूरा नक्शा बाह्य तौर पर पहले की तरह ही नजर आएगा, लेकिन आंतरिक सीमाएं पूरी तरह से बदल जाएंगी। और इस तरह से मोहन की यह माया, मध्यप्रदेश की काया बदलकर रख देगी। पर यह काया जनभावनाओं की दृष्टि से पहले से सुंदर नजर आएगी और जन-जन के मन को भी भाएगी। और बहुत हद तक इससे नए जिले बनाने की मांग भी कम या खतम हो जाएगी। यह इस व्यावहारिक सोच का सबसे बड़ा और दूरगामी फायदा है।
वैसे यदि देखा जाए तो दो साल बाद परिसीमन का काम भी शुरू हो जाएगा। और बहुत संभव है कि परिसीमन के बाद विधानसभा क्षेत्रों की संख्या बढ़ेगी और विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण बहुत सारे सवाल खड़े करेगा। जिस तरह चुनाव परिणामों का ठीकरा यदि विपक्षी दल हारे तो ईवीएम पर फूट‌ पड़ता है। उसी तरह भाजपा सरकार और डबल इंजन की सरकार में परिसीमन का ठीकरा भी सत्ताधारी दल पर फूटना तय है। यह आरोप हरदम लहलहाने की काबिलियत रखते हैं कि सरकार ने विधानसभा क्षेत्रों को अपने दल की जीत के अनुकूल बनाने के लिए खास बदलाव किए हैं। और बहुत हद तक इसमें सच्चाई भी छिपी रहती है। उदाहरण के लिए भोपाल मध्य और उत्तर विधानसभा क्षेत्र को ही ले लें, तो यहां पर एक संप्रदाय विशेष का बाहुल्य होने से उनके जीत की संभावना ज्यादा रहती है। ऐसे में हो सकता कि परिसीमन में मतदाताओं की दृष्टि से बदलाव होगा, जिसमें दल विशेष की अनुकूलता का पूरा-पूरा ख्याल रखने की गुंजाइश और संभावना तो बनती ही है। अब आरोप तो जो लगना है सो लगेंगे, पर परिसीमन का आधा काम तो संभाग और जिलों की सीमाओं में जनहित की दृष्टि से हुए बदलाव से ही हो जाएगा और तब मध्यप्रदेश की काया परिसीमन के बाद और ज्यादा सुंदर नजर आएगी।
तो मध्यप्रदेश की काया बदलने में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के इस तरह के प्रयास भी क्रांतिकारी साबित होंगे, यदि उन्हें मंशा के अनुरूप सफलता मिली और वह जनोपयोगी साबित हो पाए। जैसे मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पीएचई, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारी मिलकर जल प्रदाय व्यवस्था को लेकर संयुक्त रूप से बैठक करें। पानी के दोबारा उपयोग के प्रबंधन पर कार्ययोजना बनाएं।नल जल प्रदाय योजना में गुणवत्ता सुनिश्चित करें। पंचायतों के समूह बनाकर नल जल योजना को क्रियान्वित करें। गांव में अपने स्रोतों से अन्य लोगों को पेयजल प्रदाय कर रहे लोगों को प्रोत्साहन दें और उनका सम्मान करें। मुख्यमंत्री ने कहा नल जल योजना को लेकर आ रही मैदानी कठिनाइयों का निराकरण करें। अगर सब विभाग मिलकर जनता के धन का सदुपयोग करते हुए जनता की योजनाओं का ईमानदारी से समाधान करेंगे, तो समस्याओं का स्थायी समाधान भी होगा और धन की बर्बादी पर भी लगाम लगेगी।
इसी तरह का एक और उदाहरण यह है कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि बुंदेलखंड और बघेलखंड जैसे क्षेत्रों के औद्योगिक विकास के लिए स्थानीय सुविधा अनुसार कंपनियों को उद्योग लगाने के लिए आकर्षित करने का प्रयास करें। प्रदेश में स्थानीय स्तर पर होने वाली उपज जैसे दूध, सोयाबीन, हर्बल और लघु वनोपज आदि की उपलब्धता अनुसार स्थानीय स्तर पर छोटी छोटी यूनिट लगवाने का अभियान विभाग चलाए।उद्योग लगवाने के साथ साथ उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए भी प्रयास करें। उद्योगों को आत्मनिर्भर और लाभजनक बनाने के लिए विभिन्न विभागों के साथ समन्वय बनाया जाए। भविष्य की दृष्टि से नए रेलवे ट्रैक स्थापित कर और जल मार्ग के जरिए नए क्षेत्रों में उद्योग की स्थापना की योजना बनाएं। जिले में आर्थिक रूप से सक्षम स्थानीय उद्योगपतियों को नए उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहन देने की योजना बनाएं। मशीन आधारित उद्योगों के साथ रोजगार आधारित उद्योग स्थापित कराएं। प्रदेश के भविष्य की संभावनाओं और उद्योगों की आवश्यकता अनुसार नीतियां बनाएं।
यदि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपनी मंशा के अनुरूप प्रदेश में आमूलचूल बदलाव लाने में सफल होते हैं तो मोहन की माया से मध्यप्रदेश की काया पूरी तरह से बदल जाएगी। काया सुंदरता के मापदंड के मुताबिक जितनी बदलेगी, उतना ही मध्यप्रदेश आसमान में ऊंची उड़ान भरेगा…।
Author profile
khusal kishore chturvedi
कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।