अब घरों की छतों पर होने लगा मोर का ‘प्रसव’, जंगलों की लगातार कटाई से जानवरों के अस्तित्व पर मंडराने लगा खतरा

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अब घरों की छतों पर होने लगा मोर का ‘प्रसव’, जंगलों की लगातार कटाई से जानवरों के अस्तित्व पर मंडराने लगा खतरा

 

विदिशा: नगरों का विस्तार साल दर साल आसपास के बाग-बगीचों को सड़क किनारे लगे पेड़ों को निगलता जा रहा है। जंगलों को काटकर मैदान बनाए जा रहे हैं या यूं कहें कि दूर खिसका दिए गए हैं। ऐसे में उन वन्य प्राणियों को अपनी भावी संतति को जन्म देने के लिए सुरक्षित स्थान मिलने मुश्किल हो गए हैं, जो बगीचों और कछवाड़ों में आश्रय पाते थे। हर साल शहरों में ऐसे मामले सामने आते हैं जब मोर जैसे पक्षी सूनी और हरी-भरी छतों पर अंडे दे देते हैं।

इस वर्ष इस मोर ने गंजबासौदा के गांधी चौक स्थित जैन परिवार के मकान की छत को अपने प्रसव के लिए एकदम उपयुक्त स्थान पाया है जबकि जिले भर में मोर का शिकार लगातार जारी है। दरअसल गंजबासौदा के परिवार के गृह स्वामी का छत पर आना-जाना कम था और वहाँ क्यारियों में झाड़ीनुमा पौधे लगे हुए हुए थे। दूसरी जगह इससे ज्यादा सुरक्षा मिलने की संभावना कम ही थी लिहाजा अब यह क्यारी इस मोर के लिए प्रसूति गृह से कम नहीं है।

 

मोर बस कुछ समय के लिए अपना आहार चुनने इधर-उधर जाती है बाकी समय अंडों को सेने में बिताती है। यह देखना कम सुखद नहीं होता है जब तेज झड़ी में भी मोर अपने अंडों पर पंख पसारे बैठी रहती है यह किसी ऋषि की तपस्या से कम नहीं है। अंडों को खतरा ऊपर आसमान में उड़ने वाले शिकारी पक्षियों से और नीचे बिल्लियों से बना हुआ है और मौर हरदम चौकन्नी बनी रहती है।

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गृह स्वामी ने जब से इन बच्चों को देखा है तब से वे और उनके साथी इस बात का ध्यान रखते हैं कि मोर और उसके बच्चो को कोई नुकसान न पहुंचा जाए। घर के बच्चों के लिए यह सब अजूबा सा है और वे उस दिन का इंतजार कर रहे थे जब नन्हें चूजे निकलकर बाहर और इधर उधर घूमने लगें। लेकिन जब बच्चे असुरक्षित घूमते दिखाई दिए तो उन्होंने वन विभाग को सूचना दी और वन विभाग के लोग शाम होने के कारण मोर को नहीं पकड़ पाए लेकिन बच्चे सुरक्षित पकड़ लिए गए। अब वह विभाग का अमला इन मोर के बच्चों को सुरक्षित स्थान मुहैया कराने में लगा हुआ है।

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कुछ दिनों पहले विदिशा में एक वृक्ष को बेरहमी से कुल्हाड़ी के जरिये कत्ल कर दिया गया। नतीजा यह हुआ कि उस पेड़ बने घोसलों से गिरकर कई बेजुवान बगुलों ने दम तोड़ दिया था। इस मामले में जिला कलेक्टर उमाशंकर भार्गव द्वारा एक जांच टीम गठित कर जांच के आदेश जारी किए गए थे।

वहीं गुरुवार को लटेरी नगर परिषद द्वारा जय स्तम्भ चौक से तहसील कार्यालय तक बनने बाली सड़क के नाम या यूं कहें कि विकास के नाम पर दिन दहाड़े पेडों पर कुल्हाडी चला दी। इस दौरान सोशल मीडिया पर विरोध और अधिकारियों के हस्तक्षेप के चलते अभी 40 से अधिक पेड़ो को काटने से रोक दिया गया है।