अब “अलीगढ़” नहीं, “हरिगढ़” के ताले कहलाएंगे …!

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अब “अलीगढ़” नहीं, “हरिगढ़” के ताले कहलाएंगे …!

अलीगढ़ देश का नहीं, बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध शहर है। अलीगढ़ के ताले यानि भरोसे का टैग। आज भी अलीगढ़ में ताले और दरवाजों के कब्जे का काम प्रमुखता से होता है। तो इसके अलावा यह शहर विश्व प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान “अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी” के लिए भी जाना जाता है। मैं एक दिन के लिए जब अलीगढ़ पहुंचा, तब तक मेरे दिमाग में इस शहर से जुड़े यह सभी तथ्य ताजा थे। पर जब मैं अलीगढ़ के लोगों से रूबरू हुआ और बातचीत का सिलसिला चला, तो प्रमुखता से यह जिक्र किया गया कि अब अलीगढ़ का नाम जल्दी ही बदलने वाला है। मैंने जब जिज्ञासावश पूछा कि नया नाम क्या होगा?
तो सभी ने बताया कि “हरिगढ़” नया नाम होगा “अलीगढ़” की जगह। तब भी मैंने पूछ ही लिया कि “हरिगढ़” ही क्यों? तब कुछ लोग ठीक से नहीं बता पाए, पर कुछ लोगों ने पूरी जानकारी दे ही दी। पहले तो यह बताया कि मुस्लिम काल में शहर का नाम बदलकर अलीगढ़ किया गया था। इसलिए फिर बदला जा रहा है। तो किसी ने बताया कि विश्व के श्रेष्ठतम संगीतज्ञों में शुमार तानसेन के गुरू हरिदास अलीगढ़ के थे। उनके नाम पर अलीगढ़ के पास गांव का नाम हरिदासपुर है। यहां हरिदास आश्रम भी है। और अब उन्हीं के नाम पर अलीगढ़ का नया नामकरण “हरिगढ़” होने की प्रक्रिया योगी सरकार में अंतिम चरण में है। मुझे भी लगा कि यदि अगली बार इस शहर में आने का अवसर मिला, तब हो सकता है कि “हरिगढ़” में ही आना हो।
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यदि ट्रेन से इस शहर में पहुंचे तो पढ़ने को मिलेगा- रेल्वे स्टेशन हरिगढ़। नगर निगम हरिगढ़ में आपका स्वागत है। या डीएम कार्यालय हरिगढ़… वगैरह। तब इतिहास और सामान्य ज्ञान की किताबों को यह बदलाव करना ही पड़ेगा कि “हरिगढ़ के ताले” विश्व प्रसिद्ध हैं। हो सकता है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाम भले ही न बदला जाए और “एएमयू” इतिहास में अलीगढ़ के नाम को जिंदा रखने का माध्यम बना रहे। वैसे यह भी बताया गया कि वर्तमान में अलीगढ़ शहर में हिंदू-मुस्लिम जनसंख्या अनुपात 60:40 है और जिले में मुस्लिम जनसंख्या करीब 16 फीसदी ही है। अलीगढ़ में अभी तक मेयर भी मुस्लिम ही रहे हैं।
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परिसीमन के बाद अब कई गांव नगर निगम सीमा में दर्ज हो गए हैं और तब हो सकता है कि हरिगढ़ को हिंदू मेयर भी मिल जाए। अलीगढ़ जाट बाहुल्य क्षेत्र है और इन्हें फक्र है कि भारतीय सेना में एक जाट रेजिमेंट है। और अग्निपथ-अग्निवीर का विरोध इस क्षेत्र में भी देखा गया है। योगी सरकार में अलीगढ़ में अटल बिहारी वाजपेयी द्वार, महाराणा प्रताप द्वार सहित कई द्वार आपका स्वागत करते दिखते हैं। यही माना जा सकता है कि शहर का एक समुदाय बाहुल्य में होते हुए नए फैसले से खुश होगा, तो दूसरा समुदाय बाहुल्य में न होते हुए भी मध्यकालीन युग में हुए बदलाव से अब तक खुश था।

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इतिहास का हवाला देते हुए लोग बताते हैं कि अलीगढ़ को पहले कोइल के नाम से जाना जाता था। क्योंकि यहां पर कोइल जनजाति के लोग रहते थे। लेकिन 1750 में जाट राजा सूरजमल और नजफ खान के बीच लड़ाई में सूरजमल हार गए थे और नजफ खान ने शहर पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद शहर का नाम अलीगढ़ रखा गया और उसके बाद से ही इस शहर का नाम अलीगढ़ के नाम से मशहूर हो गया। संगीत के विद्वान स्वामी हरिदास का जन्म अलीगढ़ जिले में 1512 में लोढ़ा ब्लॉक के हरिदासपुर में हुआ था। वे भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे और उन्हें तानसेन का गुरु माना जाता है। हरिदासपुर के पास ही खैरेश्वर महादेव मंदिर है।

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यह अलीगढ़ के हिंदुओं की श्रद्धा-आस्था का केंद्र है। यहां शिव का प्राचीन मंदिर है, जहां शिव परिवार सहित विराजे हैं। तो प्राचीन बलदाऊ मंदिर है, जिसे कहते हैं कि बांके बिहारी मंदिर की स्थापना करने वालों ने ही बलदाऊ मंदिर बनाया था। बलदाऊ ने उस वानर को मुक्ति दी थी, जिसे त्रेता युग में भगवान राम ने श्राप दिया था। सड़क मार्ग से वृंदावन जाते समय अलीगढ़ जिले के बैसवां स्थान को देखा। यहां विश्वामित्र ने यज्ञ किया था। स्थान पर्यटन की दृष्टि से विकसित हो सकता है। वैसे अलीगढ़ के लोग इस बात को भी गले के नीचे नहीं उतार पाते कि ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण कम समय तक राज करने वाले शेरशाह सूरी ने किया था। ग्रांड ट्रंक रोड अलीगढ़ से गुजरता है।
तो अलीगढ़ सांप्रदायिक सद्भाव की अपनी परंपरा को कायम