अब शासन संधारित मंदिरों की दस एकड़ तक कृषि भूमि की आय मिलेगी पुजारियों को
भोपाल: प्रदेश के शासन संधारित मंदिरों की दस एकड़ तक की कृषि भूमि से होंने वाली आय का अब इन मंदिरों के पुजारी स्वयं के लिए उपयोग कर सकेंगे। दस एकड़ से अधिक भूमि से होंने वाली आमदनी अब मंदिर के खाते में जमा कराई जाएगी। परशुराम जन्मोत्सव के अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई घोषणा के बाद धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए है।
विभाग की उपसचिव पुष्पा कुलेश प्रदेश के सभी कलेक्टरों को इस संबंध में निर्देश जारी करते हुए इसका पालन करने को कहा है। इस आदेश में दस एकड़ तक की जमीन की नीलामी कर उससे होंने वाली आय को उस मंदिर के पुजारी को रखने का अधिकार होगा। जिन शासन संधारित मंदिरों के पास दस एकड़ तक कृषि भूमि संलग्न है तो इससे होंने वाली आय का उपयोग पुजारी स्वयं के लिए कर सकेंगे। राज्य सरकार ने इसके लिए चार अक्टूबर 2018 में जारी नियमों में संशोधन कर दिया है।
दस एकड़ से ज्यादा जमीन की आय मंदिर के खाते में जमा होगी-
शासन संघारित मंदिरों में यदि दस एकड़ से अधिक जमीन होगी तो दस एकड़ तक की कृषि भूमि की नीलामी से होंने वाली आय का उपयोग पुजारी स्वयं के लिए कर सकेंगे। इससे अधिक कृषि भूमि की नीलामी से होंने वाली आय के लिए कलेक्टरों को पुजारी सूचित करेंगे और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुए कृषि प्रयोजन के लिए नीलाम कर सकेंगे तथा इससे प्राप्त होने वाली आय मंदिर के खाते में जमा कराई जाएगी।
पहले यह थे नियम-
जिन मंदिरों के पास पांच एकड़ तक कृषि भूमि है उन मंदिरों के पुजारियों को 21 सौ रुपए प्रतिमाह की दर से भुगतान किया जाता है। जिन मंदिरों के पास पांच एकड़ से दस एकड़ तक कृषि भूमि है उन मंदिरों में एक हजार 560 रुपए मासिक की दर से पुजारियों को भुगतान किया जाता है। जिन शासन संधारित मंदिरों के पास दस एकड़ तक कृषि भूमि संलग्न है वहां इससे होंने वाली आय का उपयोग पुजारी स्वयं के लिए कर सकेंगे। जहां दस एकड़ से अधिक कृषि भूमि है वहां कृषि भूमियों की नीलामी कलेक्टर के प्रतिनिधि के मार्गदर्शन में पुजारी स्वयं कर सकते है। इससे होंने वाली आय मंदिर के खाते में जमा कराई जाएगी।