अब दुनिया आतंकवाद विरोधी और आतंकवाद समर्थक दो खेमों में बंट गई है….

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अब दुनिया आतंकवाद विरोधी और आतंकवाद समर्थक दो खेमों में बंट गई है….

कौशल किशोर चतुर्वेदी

पहलगाम में हुई आतंकवादियों की घृणित हरकत और पाकिस्तान के खिलाफ भारत के कड़े फैसलों के बाद अब पूरी दुनिया दो खेमों में बंटकर आमने-सामने होने को तैयार है। एक खेमा आतंकवाद विरोधी देशों का होगा और दूसरा खेमा आतंकवाद समर्थक देशों का होगा। और तीसरे विश्व युद्ध की नींव का आधार भी आतंकवाद भी बनेगा। इसके संकेत मिल रहे हैं और जल्दी ही स्थितियां पूरी तरह से सामने आने वाली हैं। पहलगाम हमले के बाद विदेशी दौरा रद्द कर भारत वापस लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को पालने-पोषने वाले देश पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले लेकर यह जता दिया है कि अब सहन करने की सीमा खत्म हो गई है और परिणाम भुगतने की तैयारी पाकिस्तान को कर लेना चाहिए।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले के बाद नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की बैठक हुई। इस बैठक में कई अहम फ़ैसले लिए गए, जिसमें पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही अटारी बॉर्डर को भी बंद करने का फैसला किया गया है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को चरमपंथी हमला हुआ था, इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई है और कई लोग घायल हुए हैं। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 के सिंधु जल समझौते को तुरंत प्रभाव से निलंबित रखने का फ़ैसला किया है। ये फ़ैसला तब तक लागू रहेगा जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय ढंग से सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं कर देता। भारत ने अटारी इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट को भी तुरंत प्रभाव से बंद करने का फ़ैसला किया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि जो लोग मान्य दस्तावेजों के आधार पर इधर आए हैं वो इस रूट से 1 मई 2025 से पहले वापस जा सकते हैं।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि अब पाकिस्तानी नागरिक सार्क वीजा छूट स्कीम (एसवीईएस) के तहत जारी वीजा के आधार पर भारत की यात्रा नहीं कर पाएंगे। एसवीईएस के तहत पाकिस्तानी नागरिकों को पूर्व में जारी किए वीजा रद्द माने जाएंगे। एसवीईएस के तहत जो भी पाकिस्तानी नागरिक भारत में हैं उन्हें 48 घंटों में भारत छोड़ना होगा। नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा-सैन्य, नौसेना और वायु सेना सलाहकारों को अवांछित (पर्सोना नॉ ग्रेटा) व्यक्ति करार दिया गया है। उन्हें भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। भारत इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग के रक्षा-सैन्य, नौसेना और वायु सेना सलाहकारों को भी वापस बुला रहा है। दोनों उच्चायोग में ये पद खत्म माने जाएंगे। दोनोें उच्चायोगों से इन सैन्य सलाहकारों के पांच सपोर्ट स्टाफ को भी वापस ले ले लिया जाएगा। उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या 55 से धीरे-धीरे घटाकर 30 कर दी जाएगी। ये फैसला 1 मई 2025 से लागू हो जाएगा। सीसीएस ने देश में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और सुरक्षा बलों को बेहद चौकस रहने को कहा है। बैठक में कहा गया कि पहलगाम हमलों की साजिश रचने वालों के ख़िलाफ़ पूरी कार्रवाई की जाएगी। इसमें कहा गया कि जिस तरह से तहव्वुर राना को भारत लाया गया उसी तरह भारत के खिलाफ चरमपंथी कार्रवाई करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा।

पहलगाम हमले की दुनिया भर में कड़ी निंदा से यह संकेत मिल रहे हैं। पहलगाम हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की। भारत का दौरा कर रहे अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने हमले की निंदा की है। इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इसे बर्बर हमला बताया और चरमपंथ के खिलाफ़ लड़ाई में भारत के साथ खड़े रहने की बात कही। यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इसे ‘घृणित आतंकवादी हमला’ बताया और कहा कि ‘भारत की इच्छा शक्ति अटूट’ है। आप इस मुश्किल घड़ी में मजबूती के खड़े रहेंगे और यूरोप आपके साथ खड़ा है। जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने इस हमले को बर्बर बताते हुए इसकी निंदा की है। कहा है कि इस मुश्किल घड़ी में जर्मनी भारत के साथ खड़ा है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सर कीएर स्टार्मर ने लिखा, “कश्मीर में हुआ भयानक आतंकवादी हमला बेहद भयावह है। मेरी संवेदनाएं प्रभावित लोगों, उनके प्रियजनों और भारत के लोगों के साथ हैं।”

तो भारत द्वारा यह कदम उठाना जरूरी थे जो उठा लिए गए हैं। और यह आहट है उस तूफान की, जो पाकिस्तान और उनके आकाओं को मिट्टी में मिलाने के लिए निर्णायक साबित होगा। और देखा जाए तो भारत, रूस और अमेरिका के साथ आतंकवाद से पीड़ित सभी देश निकट भविष्य में एक प्लेटफार्म पर खड़े दिखेंगे। इस युद्ध में धर्म नहीं बल्कि मानव और दानव की परिभाषा क्रमश: आतंकवाद विरोधी और आतंकवाद समर्थक के रूप में की जाएगी। इसी आधार पर मानवीय और दानवीय दो खेमों में दुनिया के सभी देश बंटे नजर आएंगे। जिन दानवों ने निहत्थों पर वार कर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ललकारने की कोशिश की है, उनके आकाओं को अब करारा जवाब देने का सही समय आ गया है। और वास्तव में असल संग्राम का शंखनाद भारत से होने वाला है…उम्मीद यही करते हैं कि आतंकवाद का सर्वनाश होने वाला है…।