
अब शहरों की सड़कों को खराब होने से बचाने बदले नियम, साइड ड्रेन और शोल्डर बनाना अनिवार्य
भोपाल: बारिश के चलते प्रदेश के शहरी क्षेत्रों की सड़कें जर्जर हो गई है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर सहित प्रमुख शहरों में सड़कें खराब हो चुकी है। शहरों में बनने वाली सड़कें अब लंबे समय तक टिकाऊ रहे इसके लिए अब शहरों में बनने वाली सड़कों में अब साइड ड्रेन और शोल्डर निर्माण करना अनिवार्य कर दिया गया है। यही नहीं सड़कों के निर्माण में उपयोग की जाने वाली सामग्री का अब पहले 360 डिग्री एंगल पर परीक्षण होगा, जरुरत के अनुसार क्यूब टेस्ट भी कराया जाएगा। परीक्षण पर सामग्री खरी उतरी तभी उससे सड़कें बनेंगी।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ही जर्जर सड़कों पर गढ्ढों और पानी भरने के कारण आए दिन जाम लग रहा है। शाम के समय स्ट्रीट लाइटें बंद रहने और सड़कों पर गढ्ढे और जलभराव के चलते वाहन रेंगते हुए चलते है, अक्सर यायायात अवरुद्ध हो जाता है। यही हाल अन्य महानगरों का भी है। मध्यप्रदेश में नगरीय निकायों के कायाकल्प, मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास चतुर्थ चरण, मुख्यमंत्री नगरीय अधोसंरचना विकास योजना और अन्य योजनाओं में शहरों में सड़कों का निर्माण नगरीय निकायों द्वारा कराया जा रहा है। इन योजनाओं में कराए जा रहे कामों की गुणवत्ता और परियोजना प्रबंधन के लिए संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास ने दो स्वतंत्र गुणवत्ता इकाई आईक्यूएम को सूचीबद्ध कर निरीक्षण करने के लिए जिले आवंटित किए थे। नियुक्त गुणवत्ता इकाई के विशेषज्ञ द्वारा आवंटित जिले के नगरीय निकायों में निर्मित और निर्माणाधीन सड़कों का निरीक्षण किया गया।
नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त संकेत भोंडवे ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से इन सड़कों के निर्माण की समीक्षा की तो उसमें यह जानकारी सामने आई कि नगरीय निकायों में निर्मित, निर्माणाधीन सड़कों में साईड ड्रेन एवं शोल्डर का निर्माण नहीं किया जा रहा है। इसके कारण बारिश में सुचारु रुप से पानी का निकास न हो पाने के कारण सड़कों के उपर पानी का जलभराव रहता है और सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाती है।
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख अभियंता प्रदीप एस मिश्रा ने नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सभी संभागीय अधीक्षण यंत्री, कार्यपालन यंत्रियों को निर्देशित किया है कि सड़कों के निर्माण के लिए संभाग स्तर पर जारी की जाने वाली तकनीकी स्वीकृति में यह सुनिश्चित करे कि काम के प्राक्कलन में साईड ड्रेन और शोल्डर निर्माण का कार्य आवश्यक रुप से शामिल किया जाए। कार्य में उपयोग होने वाली निर्माण सामग्री का परीक्षण कराने के बाद ही निर्माण कार्य कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। जरुरत के मुताबिक क्यूब टेस्ट भी कराने को कहा गया है।





