
अब चंबल के बीहड़ों में IIT रुढ़की की मदद से सोलर से बिजली बनाएगी MP सरकार
भोपाल: कभी डाकुओं के लिए चर्चित रहे चंबल के बीहड़ों में अब सरकार सोलर से बिजली भी बनाएगी। IIT रुढ़की की मदद से इस काम को अंजाम दिया जाएगा। यहां बंजर जमीन का उपयोग मध्यप्रदेश सरकार सोलर से बिजली बनाने में करेगी।
मध्यप्रदेश में वर्तमान में नवीन एवं नवकरणीय उर्जा विभाग रीवा, आगरमालवा, शाजापुर, नीमच, ओंकारेश्वर, मंदसौर में सौर उर्जा से बिजली बनाने का काम कर रहा है। जल्द ही मुरैना में सोलर प्लस स्टोरेज परियोजना से भी बिजली उत्पादन शुरु होगा। इसके बाद धार, शिवपुरी, अशोकनगर जैसे जिलों में भी सोलर स्टोरज परियोजना से बिजली बनाने की तैयारी है। बाद में मुरैना सोलर पार्क फेज दो में मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के उपयोग के लिए बिजली तैयार की जाएगी। नवीन एवं नवकरणीय उर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव ने बताया कि मध्यप्रदेश में चंबल के बीहड़ों में काफी अनुपयोगी जमीन उपलब्ध है। यह जमीन बंजर है खेती में भी इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसलिए इस जमीन का उपयोग कर यहां सौर उर्जा से बिजली बनाने की तैयारी मध्यप्रदेश सरकार का नवीन एवं नवकरणीय उर्जा विभाग कर रहा है। इसके लिए आईआईटी रुढ़की से चर्चा हो चुकी है। जल्द ही इस परियोजना पर काम शुरु किया जाएगा। ऐसा हुआ तो चंबल के बीहड़ों से भी मध्यप्रदेश को सस्ती बिजली मिल सकेगी।
वर्तमान में रीवा के सोलर एनर्जी प्लांट से 750 मेगावाट बिजली तैयार की जा रही है। यह प्लांट वर्ष 2019 से चल रहा है। आगर मालवा, शाजापुर और नीमच में सोलर प्लांट से पिछले डेढ़ साल से 1330 मेगावाट बिजली तैयार की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2024 में ओंकारेश्वर में फ्लोटिंग सौर उर्जा प्लांट का उद्घाटन किया था। इस प्लांट से 248 मेगावाट बिजली सौर उर्जा के जरिए बन रही है। मंदसोर में वर्ष 2015 में डले सौर उर्जा विद्यु उत्पादन प्लांट से ढाई सौ मेगावाट बिजली तैयार की जा रही है। अब मुरैना में सौर उर्जा फेज-1 परियोजना शुरु की जा रही है। सोलर इनर्जी कार्पोरेशन आफ इंडिया और मध्यप्रदेश उर्जा विकास निगम के उपक्रम रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड द्वारा मुरैना में बैटरी आधारित सौर परियोजना की ई रिवर्स निविदा में 2.70 और 2.76 रुपए प्रति यूनिट उत्पादन की दरें प्राप्त हुई है। यह भारत में अब तक की सबसे कम दर पर सौर उर्जा से बिजली तैयार करने की दरें है। इस परियोजना में दो यूनिट है। 440 मेगावाट और सोलर प्लस में 1760 मेगावाट बैटरी स्टोरेज क्षमता की यूनिट होंगी। इसमें पीक घंटे में न्यूनतम दो घंटे और शाम के समय छह बजे से दस बजे तक पीक घंटों में दो घंटे पीक सप्लाई हो सकेगी। परियारेजना में 220 मेगावाट सोलर प्लस 880 मेगावाट बैटरी सेरज की यूनिट है। इसमें सुबह छह से नौ बजे तक और शाम छह से दस बजे तक के पीक घंटे मे दो घंटे बिजली मिलेगी। इस परियोजना पर चार हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे और मध्यप्रदेश सरकार इसमें केवल जमीन उपलब्ध करा रही है। प्लांट की स्थापना दो कंपनियां करेंगी जो पच्चीस साल तक इसी दर पर बिजली उपलब्ध कराएंगी।





