NSE SCAM : ‘हिमालय का योगी’ आनंद सुब्रमण्यम ही, CBI जांच से सच बाहर आया

चित्रा रामकृष्ण की वजह से NSE में करीब हर इंप्लॉई उसे रिपोर्ट करता

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*बसंत पाल की रिपोर्ट*

एनएसई स्कैम (NSE SCAM) में शामिल कथित ‘हिमालय के योगी’ से पर्दा उतर रहा है। CBI की शुरुआती जांच से पता चला कि NSE का पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग अफसर आनंद सुब्रमण्यन ही NSE की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण वह रहस्यमयी योगी है, जिसका जिक्र SEBI की जांच में बार-बार आया है।

देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी ने गुरुवार रात सुब्रमण्यम को गिरफ्तार किया। वह NSE की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण का एडवाइजर भी था। चेन्नई कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड हासिल करने के बाद सुब्रमण्यम को शुक्रवार दोपहर दिल्ली लाया गया।

इस CBI जांच से कई रहस्यों से पर्दा उठने की उम्मीद है। सुब्रमण्यन इस SCAM से जुड़ा पहला व्यक्ति है, जिसे पकड़ा गया। CBI ने चेन्नई में चार दिन तक पूछताछ के बाद सुब्रमण्यम को गिरफ्तार किया। SEBI को कथित योगी और चित्रा के बीच कई ईमेल एक्सचेंज की जानकारी मिली थी। बताया जाता है कि पूछताछ के दौरान सुब्रमण्यम CBI के कई सवालों का जवाब नहीं दे सका।

2013 में चित्रा जब NSE की CEO बनी, तो उसने सुब्रमण्यन को 1.63 करोड़ सैलरी की पेशकश की थी। दरअसल, उसे चीफ स्ट्रैटेजिक एडवाइजर (Chief Strategic Advisor) के रूप में NSE ज्वाइन करने का ऑफर दिया गया था। इससे पहले सुब्रमण्यन ट्रांसफर सर्विसेज लिमिटेड में लीजिंग एंड रिपेयर सर्विस (Leasing and Repair Services in Transfer Services Limited) में वाईस प्रेजिडेंट था। उसे कैपिटल मार्केट्स का कोई एक्सपीरियंस नहीं था। उसे तब सिर्फ 14 लाख रुपये की सैलरी मिलती थी।          IMG 20220226 WA0015

तब किसी ने सुब्रमण्यन की सैलरी पर सवाल नहीं उठाए। उन्हें जल्द ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर बना दिया गया। NSE में करीब हर इंप्लॉई उसे रिपोर्ट करता था। 2016 में वह NSE के सबसे पावरफुल लोगों में शामिल था। वह चित्रा रामकृष्ण का एडवाइजर भी था। एनएसई में उसकी सैलरी बढ़कर करीब 4.21 करोड़ रुपए हो गई थी।

सुब्रमण्यम से पहले सीबीआई चित्रा और एनएसई के पूर्व एमडी रवि नारायण से भी पूछताछ कर चुकी है। इस मामले में सीबीआई ने 2018 में FIR दर्ज की थी। लेकिन, मामले से जुड़े लोगों से उसने अब पूछताछ शुरू की है। SEBI की जांच के नतीजे सामने आने के बाद कथित ‘योगी’ को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे।

मामला एनएसई की सीईओ चित्रा रामकृष्ण, चीफ स्ट्रैटिजिक एडवाइजर आनंद सुब्रमण्यम और चित्रा के हिमालय के अनाम गुरु से जुड़ा है। इन तीनों के गड़बड़झाले ने एनएसई की साख को तो बट्टा लगाया ही लोगों के भरोसे को भी हिलाकर रख दिया। ये मामला दिलचस्प इसलिए है कि जिस ‘योगी’ का जिक्र हो रहा, वही कहानी का विलेन और सूत्रधार निकला। ये योगी वर्षों तक चित्रा को बेवकूफ बनाता रहा और उसे अपने मन-मुताबिक काम करवाता रहा।

‘योगी’ ने अपने निर्देशों के जरिए सुब्रमण्यम की नियुक्ति करवाई, एक के बाद एक प्रमोशन दिलवाए और वेतन में बेहिसाब बढ़ोतरी करवाई। चित्रा रामकृष्ण इस योगी की अंधभक्ति में इस कदर लीन थी कि उसके हर निर्देश का आंख मूंदकर पालन करती रही। इसका सबसे बड़ा फायदा सुब्रमण्यम को मिला। ‘योगी’ के आदेश पर चित्रा ने सुब्रमण्यम के लिए खास पद भी सृजित कर दिया था। चित्रा पर आरोप हैं कि उन्होंने 2013 से 2016 के बीच पद पर रहते हुए कई ऐसे फैसले लिए, जिन्हें शेयर बाजार के हित से जुड़ा नहीं माना गया। एक फैसला था आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति का, जिनके लिए चित्रा ने NSE में अधिकारी स्तर का पद सृजित किया। इतना ही नहीं, चित्रा ने अपने कार्यकाल के दौरान हर बार आनंद सुब्रमण्यम को प्रमोशन दिया और करोड़ों की तनख्वाह भी पहुंचाई।