
हे गणेश… ट्रंप की बुद्धि सुधर जाए ऐसा करो आदेश…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
वर्ष 2025 का सितंबर का महीना आने को है। पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची है। जब से ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं तब से उथल-पुथल का तांडव सबकी नाक में दम किए हुए हैं। ट्रंप को शांति का नोबेल पुरस्कार हर हाल में चाहिए है। शांति का यह तमगा हासिल करने के लिए वह पूरी दुनिया में अशांति के महादूत बनकर प्रकट हो गए हैं। सामरिक आतंक के साथ-साथ अब वह आर्थिक आतंक फैलाकर पूरी दुनिया को यानि दुनिया के सभी देशों को घुटनों पर बैठाने की कसरत में जुटे हैं। और पूरी दुनिया में क्रिया की प्रतिक्रिया देखने को सहजता से ही मिल रही है। रूस पर ट्रंप की दादागिरी नहीं चल पाई तो दादा भाई ने यूक्रेन को अनाथों की तरह सड़क पर फेंक दिया। और अब रूस अपनी शर्तों पर यूक्रेन को युद्धबंदी के लिए मजबूर कर रहा है। शांति के पुजारी ट्रंप अब झुनझुना लिए उछलकूद किए जा रहे हैं। हालांकि पुतिन के तेवर देखकर जरूर ट्रंप ने यू-टर्न लेने में देरी नहीं की। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि अगर जल्द से जल्द जंग पर कोई समाधान नहीं निकला तो वे यूक्रेन पर भी कड़े प्रतिबंध लगा देंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि जेलेंस्की भी मासूम नहीं हैं। अलास्का में पुतिन से मिलने के पहले ऐसा लग रहा था कि ट्रंप साहब रूस को कच्चा ही चबा जाएंगे और डकार भी नहीं लेंगे। पर पुतिन की आंखों में जाकर झांक कर शायद ट्रंप को गहराई का आभास हो गया और अब यूक्रेन के उथले किनारों पर जोर-जोर से छपर छपर कर कीचड़ उछल रहे हैं। तो ट्रंप ने रूस को एक बार फिर कड़ी चेतावनी दी है। ट्रंप ने कहा कि अगर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की आपसी विवाद सुलझाने में नाकाम रहे, तो रूस को “आर्थिक युद्ध” का सामना करना पड़ेगा। यानी की उस रूस को धमकी दे रहे हैं जो अमेरिका को ठेंगा दिखा चुका है।
उधर मध्य पूर्व में ट्रंप ने इसराइल को अपना जिन्न बनाकर चारों तरफ अशांति और युद्ध का साम्राज्य कायम कर दिया है। ठीक उसी तरह हो रहा है कि जिन्न जब बोतल से बाहर आ जाता है तो उसे हर समय काम चाहिए, इसी तरह इजराइल को पूरे समय युद्ध और बदले की भावना के अलावा कुछ नजर नहीं आता। फिलहाल ‘इजराइल और फिलिस्तीन की जंग खत्म होने के बाद गाजा के हालात पर चर्चा करने के लिए ट्रंप ने मीटिंग का आयोजन किया है। इसमें जंग रुकने के बाद गाजा को कैसे फिर से बसाया जाए इस पर चर्चा की जाएगी।’ पर इसमें कोई शक नहीं है कि ट्रंप के पागलपन में पूरी दुनिया के समीकरण बदल गए हैं। एक समय के कट्टर दुश्मन भारत और चीन अब एक दूसरे की सुध ले रहे हैं तो रूस, भारत और चीन मिलकर एक नया मैत्री संघ बनाने की फिराक में हैं। भारत पर 50 फ़ीसदी टैरिफ लगा दिया गया है और चीन पर अगर अमेरिका का वश चले तो 500 फीसदी टैरिफ लगाकर कब्र में दफन होने को मजबूर कर दे। रूस से सस्ता तेल लेने की सजा भारत को देकर अभी अमेरिका यही संदेश देना चाहता है की शांति से अगर अमेरिका की बात नहीं मानी तो वह भारत को आर्थिक तौर पर मटियामेट कर पूरी तरह से अशांत कर देगा।
बड़े ताज्जुब की बात है कि ट्रंप के पागलपन के विकट दौरे का पहला शिकार उन्हें राष्ट्रपति की कुर्सी तक ले जाने वाले मस्क को ही होना पड़ा। चुनाव के पहले अमेरिकी कुबेर एलन मस्क ने ट्रंप को राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचाने के लिए महीनों ‘ट्रंपासन’ का अभ्यास किया था लेकिन जैसे ही ट्रंप राष्ट्रपति की कुर्सी को छुए वैसे ही मस्क को छूमंतर होने का मानो सीधा फरमान ही सुना दिया था। अब व्यवसायी मस्क मायूस होकर फिर अपने चेहरे पर खुशी लाने की जुगत में भिड़े हैं। मस्क के मन का हाल तो मस्क ही बता सकते हैं। पर ट्रंप ने तो अब पूरे अमेरिका को अपने पागलपन का शिकार बना लिया है। ट्रंप ने हाल ही में लॉस एंजिलिस और वॉशिंगटन डीसी में नेशनल गार्ड तैनात किए थे। इसके बाद अब वे शिकागो और बाल्टीमोर को अपना अगला मिशन बता रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि इन शहरों में अपराध बेकाबू है और स्थानीय नेता स्थिति संभाल नहीं पा रहे हैं। शिकागो में पत्रकारों से बात करते हुए इलिनोइस के गर्वनर और डेमोक्रेट नेता जेबी प्रित्जकर ने ट्रंप पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह अपराध से लड़ने के लिए नहीं, बल्कि एक अहंकारी व्यक्ति द्वारा अपने राजनीतिक विरोधियों को डराने की कोशिश है। उन्होंने सख्त संदेश देते हुए कहा कि मि. प्रेसिडेंट, शिकागो मत आइए, यहां न आपकी जरूरत है, न चाहत।
खैर अमेरिका में प्रवेश करने वाले भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत का उच्च शुल्क 27 अगस्त 2025 से प्रभावी हो गया है। इससे झींगा, परिधान, चमड़ा और रत्न एवं आभूषण जैसे कई श्रम-प्रधान निर्यात क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाए जाने के जवाब में भारत ने अपनी पहली जवाबी कार्रवाई की घोषणा की है। भारत 40 प्रमुख बाजारों में टेक्सटाइल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष आउटरीच कार्यक्रम शुरू करेगा। इन देशों में यूके, जापान और दक्षिण कोरिया भी शामिल हैं। इसके अलावा, इस खास पहल में जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मैक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी शामिल होंगे। उधर ट्रंप के टैरिफ थोपने की वजह से अमेरिकन्स को ही खरीदारी पर बोझ पड़ रहा है। जैसे कि दूसरे देशों से इंपोर्ट किए जाने वाले सामान अमेरिका में महंगी कीमतों पर बिक रहे हैं। मसलन, उनके ‘टैरिफ टेरर’ से दूसरे देशों का तो नुकसान हो रहा है, साथ ही अमेरिका के लोगों को भी इसकी कीमतें चुकानी पड़ रही है। डेमोक्रेट्स और एक्सपर्ट्स ट्रंप के टैरिफ प्लान का विरोध भी कर रहे हैं। पर ट्रंप के सामने किसी की नहीं चल पा रही है। यही कहा जा सकता है कि ‘ट्रंप है कि मानता नहीं’।
शायद आज के हालात यही हैं कि ट्रंप के पागलपन और तानाशाही भरे रवैये ने अमेरिका और पूरी दुनिया को उनका विरोधी बना दिया है। दुनिया में आज कहीं भी न ट्रंप की जरूरत है और न ही चाहत। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मन भी यही कह रहा होगा। 27 अगस्त 2025 को जब भारत पर अमेरिकी भारी टैरिफ लागू हो गया है, इसी दिन भारत में भगवान गणेश का उत्सव शुरू हो रहा है। गणेश चतुर्थी है और गणेश जी बुद्धि के देवता हैं। ऐसे में शायद पूरी दुनिया ही गणेश जी से यही प्रार्थना करने को मजबूर है कि हे गजानन, इस बार अमेरिका के उस राष्ट्रपति ट्रंप को जरूर बुद्धि दो ताकि दुनिया हर तरह के युद्ध से बच सके। सब तरफ से यही पुकार है कि हे गणेश…ट्रंप की बुद्धि सुधर जाए ऐसा करो आदेश…।





