मध्यप्रदेश मे जारी हैं शहर सरकारों के शपथ समारोह
श्रीप्रकाश दीक्षित की विशेष रिपोर्ट
भोपाल: इंदौर आदि के बाद मध्यप्रदेश की राजधानी में भी शहर सरकार पदारुढ़ हो गई.मुख्यमंत्री शिवराज की मौजूदगी में महिला महापौर और पार्षदों ने शपथ ली.हमारे मुल्क में लोगों की शपथ में अटूट श्रृद्धा और भरोसा है.कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश में एक नेताजी को किसी निगम का उपाध्यक्ष बनाया गया तो शपथ का विज्ञापन छप गया जबकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.दिलजलों का कहना है की यदि शपथ रामबाण होती तो पिछले 75 सालों में राष्ट्रपति भवन और राजभवनों आदि की शपथों के बाद देश के ये हाल ना होते..!
शहर सरकार की शपथ से आम आदमी गायब रहा.वे ही मौजूद थे जिन्हें शहर सरकार और पार्षदों से बड़ी आशाएँ हैं और जिनसे नव निर्वाचितों को भी ढेर सारी उम्मीदें हैं.अख़बारों में शपथ की फोटो के साथ सडकों की दुर्दशा की तस्वीर भी छपी है.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा की राजधानी की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो रही हैं,कालोनियों में तालाब सा नजारा रहता है तथा हर तरफ गन्दगी नजर आती है.यहाँ सवाल उठता है की पिछले दो ढाई बरस से नगर निगम सीधे उनके कंट्रोल में रहा तब सुधार क्यों नहीं हुआ. महापौर आदि को गुरुमंत्र देते हुए मुख्यमंत्री ने मजेदार समझाइश निष्पक्षता और वीआईपी इलाकों की साफ़ सफाई का जिक्र करते दी.उन्होंने मंत्रियों/अफसरों की बस्ती चार इमली के बारे में पूछा की वहां सड़कें ख़राब क्यों नहीं होती.शिवराज शामला हिल्स का उल्लेख करना भूल गए जहाँ उनके अलावा मुख्यमंत्रियों कमलनाथ,दिग्विजयसिंह तथा उमा भारती और ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी निवास है.पिछले दिनों सिंधिया के बंगले में पानी भरने पर ना सिर्फ अमला बल्कि मंत्री सिलावट भी बिना वक्त गँवाए पहुंच गए थे जबकि सिंधियां वहां कभी कभार रुकते हैं.
वैसे आम सडकों की दुर्दशा पर मुख्यमंत्री का दर्द चौंकाने वाला है क्योंकि वे जब भी भोपाल और अन्य शहरों में किसी आयोजन में जाते हैं तो वहां की सड़कें रातोंरात चमाचम कर दी जाती हैं.यह बात और है की अगले ही दिन उसके चीथड़े उड़ने लगते हैं..! यदि मुख्यमंत्री वाकई में सडकों आदि के रख रखाव को लेकर गंभीर हैं तो उन्हें इस तमाशे पर यह कह आकर रोक लगाने का सर्कुलर जारी करवाना चाहिए की वे सडकों आदि की हकीकत से रूबरू होते रहना चाहते हैं.