ट्रिपल टेस्ट के बाद ही पंचायत चुनाव में बनेगा OBC Reservation का योग…

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MP panchayat Election OBC Reservation

ट्रिपल टेस्ट के बाद ही पंचायत चुनाव में बनेगा OBC Reservation का योग…

तेजी से आगे बढ़ रही मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में राज्य निर्वाचन आयोग फिलहाल बैकफुट पर आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी सीटों के मामले में आयोग को फिर से सात दिन में अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है।
और यह निर्देश देकर तलवार पूरी चुनाव प्रक्रिया पर भी लटका दी है कि संविधान के मुताबिक प्रक्रियाओं का पालन किया जाए वरना चुनाव रद्द भी किए जा सकते हैं।
ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के मामले में तीन छन्ना (ट्रिपल टेस्ट) लगाने की बात कही गई है। पहला छन्ना यह कि एक आयोग का गठन किया जाए, जो राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के स्वरूप में पिछड़ेपन की प्रकृति की जांच करे कि वास्तविक स्थिति और जरूरत क्या है?
फिर दूसरा छन्ना कि आयोग की सिफारिश पर तय हो कि किस निकाय में कितना आरक्षण करना जरूरी है। और फिर तीसरा छन्ना यह कि संविधान की मंशा के मुताबिक आरक्षण की सीमा पचास फीसदी की दीवार को पार न कर पाए।
तो अब तस्वीर साफ है कि स्थानीय चुनावों में ओबीसी आरक्षण का योग बनाने के लिए कड़ी एक्सरसाइज करना पड़ेगी। सरकार की मंशा को पूरा करने में राज्य निर्वाचन आयोग फिलहाल खरा नहीं उतर पाया है।
अब महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि गड़बड़ हुई तो पूरे चुनाव भी रद्द हो सकते हैं। ऐसे में अब राज्य निर्वाचन आयोग को फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ाना होगा ताकि सरकार की किरकिरी न हो पाए और पंचायत चुनाव की नैया भी पार हो जाए।
वैसे सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने यह कहकर राज्य निर्वाचन आयोग को मुश्किल में डाल दिया है कि “कृपया आग से खेलने की कोशिश न करें और आपको स्थिति को समझना चाहिए। आप राजनीतिक मजबूरियों के आधार पर निर्णय न लें। हर राज्य में क्या चुनाव का अलग पैटर्न होगा?
भारत का केवल एक संविधान है जिसका आपको पालन करना होगा। अब तक केवल एक सुप्रीम कोर्ट है। यह चुनाव आयोग का गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार है। यह जिम्मेदारी से काम नहीं कर रहा है। जब यही आदेश वहां तय किया जा रहा था, आप वहां थे। हम मध्य प्रदेश में कोई नया प्रयोग होते नहीं देखना चाहते हैं। इसे महाराष्ट्र मामले के साथ समन्वयित करें।”
तो पूरा मामला यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव प्रक्रिया पर  रोक लगा दी है।
न्यायालय ने स्थानीय निकायों में ओबीसी सीटों (OBC Reservation) के संबंध में मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी 4 दिसंबर, 2021 की चुनाव अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने चुनाव आयोग को सामान्य वर्ग के लिए सीटों को फिर से अधिसूचित करने का भी निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि हाल ही किशनराव गवली बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य के मामले में महाराष्ट्र के स्थानीय चुनावों में एक समान ओबीसी कोटा पर रोक लगा दी गई थी। मध्यप्रदेश इससे अलग नहीं है।
कुल मिलाकर पंचायत चुनाव की तैयारी में जुटी मध्यप्रदेश सरकार और भाजपा संगठन को अब नई अधिसूचना के साथ थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा।
भले ही पंचायत चुनाव दलीय आधार पर न होते हों लेकिन दलीय प्रभाव-दबाव इन चुनावों में खुलकर दिखता है। इसी धरातल को ठोस कर राजनैतिक दल विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपनी मजबूती का आकलन करते हैं।
तो अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि संविधान की मंशा के मुताबिक लागू हुई पंचायती राज व्यवस्था के चुनावों में ही संविधान के साथ खिलवाड़ न किया जाए।
महाराष्ट्र में जो काम कांग्रेस समर्थित सरकार करने जा रही थी और सुप्रीम कोर्ट ने मनमानी नहीं करने दी, उसी राह पर मध्यप्रदेश आगे न बढ़े।
ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट यानि तीन परीक्षण पूरे कर यानि अपनी मंशा को तीन छन्नों से छानकर तय करे कि ओबीसी आरक्षण किस जगह कितना जरूरी है? और संविधान की मंशा पर खरा उतर रहा है या नहीं?
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वैसे पंचायत चुनाव को लेकर मध्यप्रदेश की ग्रामीण जनता उत्साहित है। जीत-हार के समीकरण बन रहे हैं और प्रथम-दूसरे चरण के लिए नामांकन भरने का क्रम जारी है।
राज्य निर्वाचन आयोग की जानकारी के मुताबिक पंचायत निर्वाचन 2021-22 में प्रथम और द्वितीय चरण के लिये 17 दिसम्बर को 8081 अभ्यर्थियों ने नाम निर्देशन-पत्र जमा किए। इनमें 4180 पुरूष और 3501 महिला अभ्यर्थी के नाम निर्देशन-पत्र हैं।
अभी तक कुल 14 हजार 525 अभ्यर्थियों ने नाम निर्देशन-पत्र प्रस्तुत किया है, जिनमें से 7 हजार 631 पुरुष और 6 हजार 482 महिला तथा 2 अन्य अभ्यर्थी शामिल हैं।
अभी तक जिला पंचायत सदस्य के लिए 302, जनपद पंचायत सदस्य के लिए 1132, सरपंच पद के लिये 9371 और पंच पद के लिये 3720 अभ्यर्थियों ने नाम निर्देशन-पत्र प्रस्तुत किया है।
अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन अभ्यर्थियों का क्या होगा और इनमें कितने ओबीसी आरक्षण के दायरे में हैं, यह देखना होगा। यह तय है कि ट्रिपल टेस्ट के बाद ही पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण का योग बनेगा।