Objection to Anticipatory Bail : अक्षय बम की अग्रिम जमानत पर आपत्ति, अगली सुनवाई 24 को!
निचली अदालत से 10 मई को जारी गिरफ्तारी वारंट जीवित, गिरफ्तारी संभव!
Indore : फरार अक्षय बम की अग्रिम जमानत को लेकर शुक्रवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। अक्षय को अग्रिम जमानत को लेकर फ़िलहाल राहत नहीं मिली। अब अगली सुनवाई 24 मई को होगी। उन पर गिरफ्तारी का खतरा मंडराता रहेगा। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए अक्षय बम और उनके पिता कांति बम के लिए यह झटका है। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तारीख आगे बढ़ाई है। ऐसे में निचली अदालत से 10 मई को जारी हुआ गिरफ्तारी वारंट अभी जीवित है। पुलिस अक्षय बम को कभी भी गिरफ्तारी कर सकती है।
सत्रह साल पुराने मामले में धारा 307 बढ़ाए जाने के कारण उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट निकला है। इसके खिलाफ अक्षय बम ने हाईकोर्ट की शरण लेकर अग्रिम जमानत मांगी थी। इससे पहले, इंदौर सेशन कोर्ट से उनकी अग्रिम जमानत का आवेदन खारिज हुआ था। उनके वकील मुकेश देवल ने बताया 2007 के जमीन विवाद से जुड़े मामले के फरियादी युनूस पटेल के आवेदन पर धारा 307 का मुकदमा अक्षय बम पर पिछले महीने दर्ज किया गया।
10 मई को ट्रायल कोर्ट में नहीं आने पर अक्षय के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ। इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए अक्षय ने अग्रिम जमानत मांगी थी। सुनवाई के दौरान फरियादी यूनुस ने हाई कोर्ट में अक्षय की अग्रिम जमानत पर आपत्ति ली। इसके बाद हाई कोर्ट ने लिखित आपत्ति दर्ज कराने के लिए फरियादी को सात दिन का समय दिया है। अब अगली सुनवाई 24 मई को होगी।
कानूनी राहत के लिए अक्षय बम ट्रायल कोर्ट में रिवीजन याचिका दायर कर चुके हैं। वहां भी सुनवाई हुई, लेकिन अभी राहत नहीं मिली। इसके अलावा अग्रिम जमानत के लिए भी ऊपरी अदालतों में प्रयास कर रहे हैं। अब दोनों ही मामलों में अलग-अलग अदालतों में सुनवाई 24 मई को होगी। सत्रह साल पुराने केस में अचानक आवेदन लगा और जानलेवा हमले की धारा बढ़ी।
अक्षय कांति बम और उनके परिवार के प्राइवेट कॉलेज हैं। उनका जमीन के धंधे का भी कामकाज है। उनकी 78 करोड़ की संपत्ति में 80% शेयर जमीन का है। अक्षय के खिलाफ दर्ज 3 में से 2 मामले जमीन पर कब्जे के विवाद के हैं। चुनाव में उतरते ही उनका 17 साल पुराना जमीन विवाद का केस फिर सुर्खियों में आया। पुराने मामले में धारा 307 (प्राण घातक हमले) की गंभीर धारा बढ़ गई। इसमें उन्हें 10 साल तक की सजा हो सकती है।