Observer’s Formulas : सिर्फ CM ही नहीं, सोमवार को और भी बहुत कुछ तय होगा! 4 फार्मूले के साथ आएंगे पर्यवेक्षक!
Bhopal : भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा भेजे गए तीन पर्यवेक्षक अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकेंगे। यदि ऐसा समझा जा रहा है, तो यह भ्रम ही है। उन्हें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व चार फार्मूलों के साथ मध्यप्रदेश भेज रहा है। पार्टी के 163 सीटें जीतने से भाजपा पर जिम्मेदारी का भी बोझ बढ़ा है। कहा भले जा रहा कि केंद्रीय पर्यवेक्षक विधायकों की राय जानकर मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करेंगे। लेकिन, सच ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भेजे गए पर्यवेक्षकों को अपनी पसंद बता चुके हैं। इसलिए ये नहीं कहा जा सकता कि सब कुछ विधायकों की पसंद से तय होगा।
पर्यवेक्षकों को चार फार्मूलों के साथ भोपाल भेजा है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री का नाम चौंकाने वाला हो सकता है, मगर दिल्ली दरबार को सब पता है कि इस दौड़ में सबसे आगे कौन खड़ा है। चुनाव नतीजे के बाद भाजपा आलाकमान ने कई विकल्पों पर विचार किया। उसके बाद नाम तय करके पर्यवेक्षकों को बता दिया गया।
बताया गया कि वहीं से उप मुख्यमंत्री का फार्मूला भी निकला, जिस पर अमल किया जाएगा। एक मुख्यमंत्री के साथ दो उप मुख्यमंत्री जाति समीकरण के हिसाब से तय किए जाएंगे। यह भी कहा जा रहा कि दो में से एक उप मुख्यमंत्री कोई महिला हो सकती है। इसलिए कि शिवराज सरकार की जिस ‘लाड़ली बहना योजना’ का फ़ायदा विधानसभा चुनाव में मिला है, उसे लोकसभा में भी भुनाया जाएगा। कहा यह भी जा रहा कि सांसद पद से इस्तीफा दे चुके किसी बड़े नेता को विधानसभा अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है।
नए प्रयोग की संभावना से इंकार नहीं
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की प्रयोग करने की आदत है। इसलिए दावा नहीं किया जा सकता कि तय फॉर्मूले के तहत वैसा ही होगा, जैसा सोचा जा रहा है। यदि पार्टी ने गुजरात की तरह कोई प्रयोग किया तो मुख्यमंत्री से मंत्री तक सभी नए चेहरे होंगे। ऐसे में प्रहलाद पटेल को जिम्मेदारी मिल सकती है। दो उप मुख्यमंत्रियों में एक उच्च जाति का और एक दलित या आदिवासी हो सकता है। यह भी संभव है कि किसी आदिवासी महिला विधायक को यह मौका मिल जाए।
मुख्यमंत्री की दौड़ में शिवराज सिंह और प्रहलाद पटेल का नाम सबसे आगे होने का अनुमान अभी किनारे नहीं हुआ है। यदि नरेंद्र तोमर को मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो किसी ओबीसी और दलित / आदिवासी का उप मुख्यमंत्री बनना तय है। जहां तक ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल होने का सवाल है, तो यह राजस्थान में वसुंधरा राजे के भविष्य से जुड़ा है। यदि वे राजस्थान की मुख्यमंत्री नहीं बनती है, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी दौड़ में शामिल माना जा सकता है। यह आज रविवार को तय हो जाएगा कि राजस्थान में क्या स्थिति बनती है। उसके बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया की मध्यप्रदेश में दौड़ तय होगी।
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केंद्रीय नेतृत्व ने सिर्फ मुख्यमंत्री का ही फार्मूला तय नहीं किया। उसके बाद के भी कई फॉर्मूले बनाए हैं। एक विकल्प शिवराज सिंह को फिर मुख्यमंत्री बनाने से जुड़ा है। यदि ऐसा होता है तो उनके साथ दो उप मुख्यमंत्री (एक सवर्ण और एक दलित / आदिवासी) बनाए जा सकते हैं। तब प्रहलाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय को विधानसभा अध्यक्ष या प्रदेश अध्यक्ष बनाकर संतुलन बनाए जाने का फार्मूला है। वीडी शर्मा को केंद्र में मंत्री बनाने की भी चर्चा है।
उप मुख्यमंत्री के लिए ब्राह्मण समुदाय से गोपाल भार्गव, राकेश सिंह और दलित / आदिवासी वर्ग से निर्मला भूरिया, जगदीश देवड़ा, तुलसीराम राम सिलावट और ओमप्रकाश धुर्वे के नाम पर चर्चा हो रही हैं। लेकिन, ये सारे राजनीतिक कयास हैं। सोमवार की शाम सारे पत्ते खुल जाएंगे कि किस नेता के हाथ क्या आने वाला है। क्योंकि, होगा वही जो नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने पहले से तय किया है और पर्यवेक्षकों को उसका इशारा कर दिया।