ओडिशा में शुक्रवार को बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के बीच ट्रेन दुर्घटना हुई। इस हादसे में कम से कम 280 लोग मारे गए तो वहीं 900 से अधिक घायल हुए। यह अब तक की सबसे भयावह दुर्घटनाओं में से एक है।
ट्रेन नंबर 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस 1 जून को सुबह 7:30 बजे बेंगलुरु के यशवंतपुर स्टेशन से चली थी। इसे 2 जून को शाम करीब 8 बजे हावड़ा पहुंचना था। यह अपने समय से 3.30 घंटे की देरी से 6:30 बजे भद्रक पहुंची। अगला स्टेशन बालासोर था, जहां ट्रेन 4 घंटे की देरी से 7:52 पर पहुंचने वाली थी।
वहीं, ट्रेन नंबर 12841 शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस 2 जून को ही दोपहर 3:20 बजे हावड़ा से रवाना हुई थी। ये 3 जून को शाम 4:50 बजे चेन्नई सेंट्रल पहुंचती। यह अपने सही समय पर 6:37 बजे बालासोर पहुंची। अगला स्टेशन भद्रक था जहां ट्रेन को 7:40 बजे पहुंचना था। लेकिन, 7 बजे करीब दोनों ट्रेन बहानगा बाजार स्टेशन के पास से आमने-सामने से गुजरीं, तभी हादसा हुआ।
इससे पहले कब-कब ऐसी दुर्घटनाएं देखने को मिली है, इसपर एक नजर डालते हैं।
14 साल पहले भी पटरी से उतरी थी कोरोमंडल ट्रेन
3 फरवरी 2009 को ओडिशा के जजपुर जिले में ट्रैक बदलते समय कोरोमंडल एक्सप्रेस की 13 बोगियां पटरी से उतर गई थीं। हादसे में 16 लोगों की मौत हुई थी। इत्तेफाक से उस दिन भी शुक्रवार था।
इसके अलावा 15 मार्च, 2002 को दोपहर में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में इसके सात डिब्बे पटरी से उतर गए थे। हादसे में 100 यात्री घायल हुए थे। 14 जनवरी 2012 को ओडिशा में लिंगराज स्टेशन के पास इस ट्रेन के जनरल डिब्बे में आग लगी थी।