Om Birla: लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से संसद का गतिरोध टूटा

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Om Birla: लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से संसद का गतिरोध टूटा

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट

संसद के शीतकालीन सत्र के शुरु के सात दिनों तक संसद में चले हंगामे और गतिरोध को तोड़ने में लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला की अहम भूमिका रही है। ओम बिरला के अथक प्रयासों से संसद का गतिरोध टूटा। उन्होंने सर्वदलीय बैठक में संसद को निर्बाध गति से चलाने के लिए सभी दलों को तैयार किया साथ ही ओम बिरला ने सांसदों को यह चेतावनी भी दी कि अगर स्थगन के कारण सदन की कार्यवाही ऐसी ही बाधित होती रही तो शनिवार और रविवार को भी सदन बुलाया जाएगा। बिरला द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाने और सांसदों को चेतावनी के उपरान्त मंगलवार से संसद की कार्यवाही निर्बाध रूप से चल रही है।

इससे पूर्व अदाणी समूह पर लगे आरोपों और संभल हिंसा समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र का पहला हफ्ता हंगामे की भेंट चढ़ गया था और सोमवार को भी सदन की कार्यवाही नहीं चल पाई थी। सोमवार को प्रश्नकाल के तुरंत बाद लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, शनिवार यानी 14 दिसंबर को सदन की बैठक सुबह 11 बजे होगी। यदि आप स्थगन जारी रखते हैं, तो जितने दिन इसे स्थगित किया गया है, आपको शनिवार और रविवार को भी कार्यवाही में शामिल होना होगा। बावजूद इसके ‘मंगलवार को भी हंगामा जारी रहा। ऐसे में ट्रेजरी बैंच का चिन्तित होना और तनाव में आना स्वाभाविक था।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों को चेतावनी देने के बाद अपने अगले कदम के रूप में सर्वदलीय बैठक बुलाई और सभी दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर आठ दिनों से चल रहे डेडलॉक एवं गतिरोध को तोड़ने तथा संविधान पर चर्चा के लिए सभी दलों में सहमति बनाने में सफलता पाई। सर्वदलीय बैठक में सरकार और प्रतिपक्ष दल अंततोगत्वा एक समझौते पर पहुंचे जिसमें लोकसभा और राज्यसभा में संविधान के 75वें वर्ष को अपनाने के अवसर पर चर्चा के लिए तारीखों की घोषणा की गई। निचला सदन लोकसभा 13 और 14 दिसंबर को संविधान पर चर्चा करेगा, जबकि उच्च सदन राज्यसभा 16 और 17 दिसंबर को यह चर्चा होंगी।

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संसद की कार्यवाही फिर से पहले की तरह शुरू होने और बुधवार को लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला का जन्म दिवस होने पर सांसदों ने उन्हें बधाई दी। बिरला हर वर्ष अपना जन्म दिवस चार दिसंबर को सादे ढंग से मनाते है। वैसे तो अंग्रेज़ी तारीख़ अनुसार उनका जन्म दिवस तेईस नवंबर को आता है, लेकिन बिरला वर्षों से अपनी तिथि की दिनांक के अनुसार ही अपना जन्म दिवस मनाते आयें है। बिरला के जन्म दिवस पर कार्यकर्ताओं का भारी हुजूम उनके निवास पर उमड़ता हैं। चाहें वे सत्ता में हो अथवा फ़र्क़ नहीं पड़ता वे किसी पद पर हों या नहीं…कार्यकर्ताओं का रेला हमेशा की तरह उनकी अपार लोकप्रियता को दर्शाता है।

लोकप्रिय नेता ओम बिरला राजस्थान के हाड़ौती अंचल कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र से लगातार दूसरी बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। पिछले बीस वर्षों में लगातार दूसरी बार लोकसभाध्यक्ष निर्वाचित होने वाले वे पहले जन नेता है। वह देश के एक प्रमुख संवैधानिक पद लोकसभाध्यक्ष बनने वाले राजस्थान के मूल के पहले जननेता हैं, हालांकि इससे पूर्व राजस्थान से निर्वाचित बलराम जाखड़ भी लोकसभाध्यक्ष रहे है, लेकिन वे राजस्थान मूल के नहीं होकर मूलतः पंजाब प्रान्त के निवासी थे।

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शिक्षा के हब काशी नगरी के रूप में विख्यात कोटा में श्रीकृष्ण बिरला के घर जन्मे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सही अर्थों में एक लोकप्रिय जन प्रतिनिधि है। उन्हें लोगों के सुख दुःख के साथी के रूप में जाना जाता है। विगत जून में दूसरी बार लोकसभाध्यक्ष चुने जाने पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर अपने भाषण में ओम बिरला के जीवन, विलक्षण व्यक्तित्व एवं कृतित्व की भूरी भूरी प्रशंसा की। इसी के अनूरूप बिरला ने लोकसभाध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल में अपनी कार्यशैली से सभी का मन जीता है।

हाल ही लोकसभा के एक सप्ताह से अधिक समय के गतिरोध को तोड़ने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। इसीलिए पक्ष प्रतिपक्ष के सभी सांसद बिरला की प्रशंसा करते हुए नहीं थकते हैं। यहीं नहीं आम जनता के बीच भी यह आम धारणा है कि बिरला लोकसभा का संचालन बेहतर ढंग से कर रहे है। मुस्कराहट भरे अंदाज़ में सदन की कार्यवाही का संचालन करने का उनका अपना अलग ही निराला अन्दाज़ है।सांसदों एवं जनता के बीच उनकी लोकप्रियता की वजह से उन्हें जनता और संसद का बिरला स्पीकर कहा जाता है।

छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले 62 वर्षीय बिरला के लिए कोटा उनकी जन्म और कर्मभूमि दोनों ही है। बिरला स्नातकोत्तर है। वे 2014 में 16 वीं लोकसभा और इस बार 2019 में 17वीं लोकसभा के लिए लगातार दूसरी बार सांसद निर्वाचित हुए है। इसके पूर्व वे कोटा शहर से राजस्थान विधानसभा के लिए लगातार तीन बार 2003, 2008 और 2013 में सदस्य चुने गए एवं एक सक्रिय विधायक रहने के साथ-साथ विधानसभा में संसदीय सचिव भी रहे हैं। तदुपरांत अपने दल एवं संगठन में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दे चुके हैं। राजस्थान विधानसभा में सार्थक बहस के लिए उन्हें छह से अधिक बार ‘सदन के सितारे’ सूची में शामिल किया गया।

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बिरला ने कोटा में जन सेवा के अनेक अभिनव कार्यक्रम शुरू कर समाज के हर वर्ग का दिल जीता। बिरला अपने गुरुतर दायित्वों एवं कर्तव्य पालन के साथ ही लोगों के सुख-दुःख में भागीदार बनने एवं सामाजिक सराकारों को निभाने में कभी पीछे नही रहते । वे लोगों की सहायता के लिए मुश्किल वक्त में उनके बीच पहुँच रात दिन उनकी पीड़ा बांटने का काम बखूबी करते है। चाहें कोटा में आई बाढ़ की बात हों अथवा सर्दी में पीड़ित लोगों के राहत शिविर हो वे हमेशा सजग रहते है। कोटा में आई बाढ़ के दौरान उन्होंने बाढ़ ग्रस्त कई हिस्सों में पैदल, नांव, देशी किश्तियों एवं बॉट्स आदि से प्रभावित इलाकों में कई घंटों घूमें एवं स्थिति का जायजा लेकर स्थानीय प्रशासन को तत्काल राहत और सहायता के प्रबन्ध करने की हिदायत दी थी।

बिरला के लोकसभा अध्यक्ष बनते ही देश एवं प्रदेश के अनेक सामाजिक सांस्कृतिक एवं समाजसेवी संगठनों ने उनके सम्मान कार्यक्रम आयोजित कर उनसे उनमें भाग लेने का आग्रह किया, लेकिन बिरला ने बहुत ही विन्रमता से सभी आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए पहले अपने गुरुत्तर दायित्वों को पूरा करने को वरीयता दी और लोकसभा की घण्टों लम्बी कार्यवाही का संचालन कर नया इतिहास रच दिया। बाद में बहुत आग्रह पर वे नई दिल्ली के सिरिफोर्ड सभागृह में सभी एसोसिएशंस द्वारा सामूहिक रूप से आयोजित नागरिक अभिनन्दन समारोह में शरीक हुए थे।

लोकसभा अध्यक्ष के रूप में अपनी विदेश यात्राओं में ओम बिरला ने मालदीव,युगांडा रूस,जापान आदि देशों में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और इन देशों एवं आसपास के इलाक़ों में बसे प्रवासी भारतीयों से भी मुलाक़ात की। प्रवासी भारतीयों ने भी लोकसभाध्यक्ष का भावभीना स्वागत और अभिनंदन किया। बिरला के नेतृत्व में वर्ष 2023 में 9वां जी-20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन (पी-20) का नई दिल्ली में सफल आयोजन भी हुआ।

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कोटा में अपने हर मतदाता और उनके परिवारजनों को जन्म दिवस एवं विशेष अवसरों पर बधाई एवं शुभकामनायें देना और संसदीय क्षेत्र में हर परिवार क़े घर में कोई अनहोनी होने या दुखद अवसर आने पर उसमें शामिल होकर शोक-संतप्त परिवार को ढांढस बंधवाना ओम बिरला को खास व्यक्तित्व का धनी बनाता हैं। उनके कार्यकर्ताओं की समर्पित टीम और क्षेत्र क़े विकास क़े लिए बिरला की ‘माइक्रो लेवल प्लानिंग’ भी देखने योग्य है । बिरला के भरे पूरे परिवार में धर्म पत्नी डॉक्टर अमिता बिरला और दो पुत्रियां अंजली एवं आकांक्षा हैं, जो कि उनके हर रचनात्मक काम में हाथ बंटाती हैं।

ओम बिरला ने अपनी परिपक्व सोच तथा संसदीय अनुभव से लोकसभा में समय-समय पर होने वाले गतिरोध को तोड़ने में दक्षता हासिल कर ली है। इस कारण उनका कद पहले से अधिक बढ़ा है। देखना है आने वाले चार वर्षों में वे आग में तपे कुन्दन की तरह चमक कर भारतीय राजनीति के शिखर पर कैसे पहुंचते है?

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