

10 दिवसीय संस्कृत संभाषण के समापन पर कुलगुरु ने दिया विद्यार्थियों को निरंतर संभाषण का मूल-मंत्र।
अनादि काल से संस्कृत, सनातन एवं संस्कृति की स्थली रही है उज्जयिनी : गौरव धाकड़।
डॉ.दिनेश चौबे की रिपोर्ट!
Ujjain : महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के संस्कृत शिक्षण प्रशिक्षण तथा ज्ञान विज्ञान संवर्धन केंद्र द्वारा शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन 29 अप्रैल 25 को हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर विजय कुमार सीजी ने अपने वक्तव्य में कहा कि संस्कृत भाषा के शिक्षण एवं संभाषण से विद्यार्थियों के उच्चारणगत दोष दूर होते हैं तथा उनका सर्वांगीण विकास भी होता है। उन्होंने कहा कि सतत संभाषण करने से भाषा पर अधिकार होता है अतः विद्यार्थियों को निरंतर संस्कृत संभाषण हेतु प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत के ज्ञान से अन्य भाषाओं पर भी सरलता से अधिकारपूर्वक संभाषण किया जा सकता है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कार्य परिषद सदस्य गौरव धाकड़ ने कहा कि उज्जयिनी अनादि काल से ज्ञान और सनातन संस्कृति की स्थली रहीं हैं। यहां वृहद स्तर पर संस्कृत संभाषण एवं इसके विस्तार का कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के केंद्र के द्वारा संस्कृत संभाषण प्रशिक्षण के माध्यम से समाज में भारतीय संस्कृति एवं हमारे संस्कृत शास्त्रों के विषय में अवगत करवाने का यह कार्य अभिनंदनीय है। उन्होंने प्रतिभागी विद्यार्थियों का भी उत्साहवर्धन किया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष विद्यालय के प्राचार्य पदमसिंह चौहान ने कहा कि विद्यालय में आयोजित इस संस्कृत प्रशिक्षण से विद्यार्थी प्रारंभिक संस्कृत बोलने में समर्थ हुए हैं विश्वविद्यालय द्वारा आगे भी इस प्रकार के आयोजन विद्यालयों में किया जाना चाहिए जिससे संस्कृत संभाषण में दक्षता के साथ उनके बौद्धिक स्तर में भी वृद्धि होगी और सदाचार की शिक्षा संस्कृत से ही प्राप्त की जा सकती है। भूमिका एवं अतिथि परिचय, संस्कृत शिक्षण प्रशिक्षण तथा ज्ञान विज्ञान संवर्द्धन केंद्र के प्रभारी डॉक्टर अखिलेश कुमार द्विवेदी ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि संस्कृत संभाषण से छात्रों के भाषा कौशल में वृद्धि होती हैं और मानसिक रूप से भी विद्यार्थियों का आत्मविश्वास प्रबल होता है।
इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा संस्कृत आधारित अनेक प्रकार की मनोहर प्रस्तुतियां भी प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में ज्योति जोशी, डॉ.काकुल सक्सेना, शैलेंद्र पंड्या एवं अन्य शिक्षक सहित संस्कृत अनुरागी तथा छात्र-छात्राएं मौजूद थे! गरीमामय कार्यक्रम संचालन प्रशिक्षक डॉक्टर दिनेश चौबे ने तथा आभार डॉक्टर मनोज कुमार द्विवेदी ने माना!