‘योगी’ की तर्ज पर ‘मोहन’ जानेंगे जनता का मर्ज…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर अब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जनता का मर्ज जानेंगे। नए साल में ‘जनता दरबार’ लगाने की घोषणा कर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश के जन-जन को अपने मन की बात साझा कर समाधान पाने की सौगात दे दी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी लाख व्यस्तताओं के बाद भी जनता दरबार में शामिल होना नहीं भूलते। कुछ खास अवसरों को छोड़ दें तो सीएम की मौजूदगी में हमेशा यह दरबार लगता है।चाहे जो हो सभी को न्याय मिलता है। देश के सबसे बड़े सूबे के मुखिया खुद तो खड़े रहते हैं पर यहां आने वाले फरियादियों को सम्मान के साथ कुर्सी पर बैठाया जाता है। और अब यही नजारा देश के सबसे बड़े सूबे के पड़ोसी सूबे मध्यप्रदेश में भी देखने को मिलने वाला है। हालांकि मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव नए साल में यह नया प्रयोग करने जा रहे हैं। सूबे में इससे पहले पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और उमा भारती भी जनता दरबार लगा चुके हैं।अब सीएम मोहन यादव लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनेंगे और उसका समाधान करेंगे। सीएम आवास पर पहले जनता दरबार का आयोजन 6 जनवरी को होगा। इसके लिए प्रशासन तैयारियों में जुट गया है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनता दरबार जैसा प्रयोग कभी नहीं किया।
पहला जनता दरबार 6 जनवरी को सुबह 10 से 12 बजे तक होगा। सीएम हाउस पहुंचे लोगों से मुख्यमंत्री मोहन यादव खुद मुलाकात करेंगे और उनकी समस्याओं को सुनेंगे। लोगों की समस्या के समाधान के लिए अलग-अलग विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे, जो लोगों की समस्या का तुरंत समाधान करेंगे। बताया जा रहा है कि जनता दरबार में ट्रांसफर और पोस्टिंग जैसे मुद्दों की कोई सुनवाई नहीं होगी। पर यहां पीड़ितों को न्याय मिलेगा। जनता दरबार में ग्रामीण इलाके से आए लोगों को प्राथमिकता मिलेगी। पूर्व सीएम उमा भारती 2003 में राज्य की मुख्यमंत्री बनीं थी। वह लोगों की समस्या सुनकर उसका समाधान करती थीं। तब जनता दरबार में बड़ी संख्या में लोग अपनी शिकायत लेकर पहुंचते थे जिस कारण से इसे बंद करना पड़ा था। हालांकि मध्य प्रदेश में सबसे पहले दिग्विजय सिंह ने जनता दरबार लगाने की शुरुआत की थी। दिग्विजय सिंह 1993 से 2003 तक लोगों की समस्या सीएम आवास पर खुद सुनते थे।वहीं शिवराज सिंह चौहान सीएम आवास आए लोगों से मुलाकात करते थे लेकिन उन्होंने कभी जनता दरबार नहीं लगाया।
गोरक्षपीठ और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनता दरबार कई वर्षों से लगाते हैं। जब योगी आदित्यनाथ सांसद थे तब भी वह जनता की समस्याओं को प्रतिदिन सुनते थे और उनके निस्तारण के लिए तुरंत अधिकारियों से बात करते थे। तब भी लोगों की आस्था उसी तरह थी जैसे आज है। बीस वर्षों से अधिक समय से सूबे के मुखिया जनसुनवाई करते आ रहे हैं। जनता दरबार में फरियादियों की भारी संख्या रहती है। कभी-कभी यह संख्या हजारों में पहुंच जाती है। सीएम योगी का उद्देश्य अधिक से अधिक फरियादियों की समस्या जानना होता है। सीएम कभी 200 तो कभी 300 फरियादियों की समस्याएं सुनते हैं। यह आंकड़ा कभी 500 भी पहुंच जाता है। इस दौरान सीएम का यह प्रयास होता है कि सभी की समस्याएं सुनी जाए। इसलिए वह खुद एक-एक कर सभी फरियादियों के पास जाते हैं और उनकी समस्या सुनते हैं। यहां फरियादी कुर्सी पर बैठते हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खड़े रहते हैं। एक माह पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर प्रवास के दौरान सुबह गोरखनाथ मंदिर में आयोजित जनता दर्शन में लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं थीं।
तो हो सकता है कि रीजनल इंडस्ट्रीज कांक्लेव की तर्ज पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी जहां रहें, वहीं जनता दरबार लगे और जनता की समस्याएं सुनी जाएं। फिलहाल तो 6 जनवरी को जनता दरबार में मोहन की न्यायप्रियता की पहली झलक दिखेगी…।