दीपावली का पर्व खुशियां लेकर आ रहा है। राजनैतिक दल आगामी साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर हर कदम पूरी योजना के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस में भारत जोड़ो यात्रा के मध्यप्रदेश पहुंचने का बेसब्री से इंतजार है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की इस यात्रा से कांग्रेस जनों की उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं। मध्यप्रदेश में भी इस यात्रा से 2023 विधानसभा चुनाव में लाभ की तलाश कांग्रेस कर चुकी है। तो भाजपा ने धनतेरस पर रोजगार मेला लगाकर पूरे प्रदेश में नियुक्ति पत्र वितरण का आयोजन किया, तो इसी दिन गृह प्रवेश की सौगात घर पाने वाले हितग्राहियों को देकर दिन को उन सबके लिए यादगार बना दिया। इसका उद्देश्य यह भी है कि कांग्रेस से ऐसे मुद्दे छीनकर बैकफुट पर धकेला जाए।
पहले भारत जोड़ो यात्रा की चर्चा की जाए तो कन्याकुमारी से कश्मीर तक राहुल गांधी की यह यात्रा नफरत छोड़ो और भारतीयों के बीच प्रेम-सौहार्द की गंगा बहाकर एक-दूसरे से जोड़ने का विराट उपक्रम है। राहुल गांधी के साथ हजारों लोग इस यात्रा के साथी बन रहे हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि इस यात्रा के जरिए राहुल गांधी और कांग्रेस दोनों की किस्मत चमकेगी। कांग्रेस को इस यात्रा से 2022-23 में उन राज्यों में फायदा मिलने की उम्मीद है, जहां पर चुनाव होने हैं। असर का पहला परिणाम हिमाचल प्रदेश से आएगा तो दूसरे नंबर पर गुजरात की बारी है। वहीं मध्यप्रदेश सहित राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलंगाना राज्यों में भी कांग्रेस इस यात्रा से उम्मीद लगाए बैठी है। मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हों या कांग्रेस के कोई दूसरे नेता, सभी का मन यात्रा का परिणाम मिलने को लेकर आशान्वित है। यात्रा बुरहानपुर से नवंबर के अंतिम सप्ताह या दिसंबर के पहले सप्ताह में प्रवेश करने की उम्मीद है। यात्रा 26 विधानसभा और आधा दर्जन जिलों से होती हुई आगर मालवा से राजस्थान में प्रवेश करेगी। राहुल गांधी उज्जैन में महाकाल बाबा के दर्शन भी करेंगे और सभा को संबोधित करेंगे।राहुल यात्रा करते-करते तब तक दाढ़ी बढ़ाकर पूरी तरह ‘बाबा’ बने नजर आएंगे और हो सकता है कि थैला टांगकर कहीं सभा में यह डायलॉग भी बोल दें कि मित्रों मेरा क्या है, सेवा का मौका नहीं दिया तो थैला टांगकर निकल जाऊंगा …। वैसे इन 26 विधानसभा सीटों में आदिवासी क्षेत्र भी शामिल हैं, जहां स्थानीय निकाय चुनाव में जीत को लेकर भाजपा खुशी मना रही है। पर कमलनाथ और कांग्रेस तो पूरी तरह से यात्रा को लेकर आशा से लबालब हैं कि ग्यारह महीने बाद के चुनाव परिणाम पूरी तरह से पक्ष में रहेंगे और इसमें यात्रा का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। खैर प्रतीक्षा अब जल्द खत्म होने वाली हैं…।
तो दूसरी तरफ भाजपा को भी कमतर नहीं आंका जा सकता। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और पार्टी संगठन कांग्रेस मुक्त मध्यप्रदेश की बाट जोह रहे हैं। हालांकि यह भी ठीक उसी तरह संभावनाओं भरा है, जिस तरह मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापसी। वैसे कमलनाथ भी बार-बार भाजपा संगठन की मिसाल कांग्रेस की बैठकों में दे चुके हैं। वहीं सरकार के काम और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की परिश्रम की पराकाष्ठा का उदाहरण देने में सरकार पर संगठन कोई समझौता नहीं करते। और धनतेरस पर प्रदेश में रोजगार मेला लगाकर और हितग्रहियों को गृह प्रवेश कराकर जहां नागरिकों और जरूरतमंदों को खुशियों की सौगात दी है, वहीं कांग्रेस से इस तरह के मुद्दों को छीनने की कोशिश भाजपा कर रही है। ताकि सत्ता में लगातार बने रहने की राह में कोई घात न लगा सके। सबसे बड़ी बात यह है कि इसके अलावा भी भाजपा राशन से लेकर आसन लगाने तक में कोई कोताही नहीं बरत रही। हाल ही में आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय निकायों में जीत के बाद भाजपा बेहद उत्साहित है। हर बूथ पर दस फीसदी वोट बढ़ाने का लक्ष्य पाने की चुनौती स्वीकार कर रही है तो संपर्क अभियान सहित विविध योजनाओं पर अमल कर सफलता की हर राह पर आगे बढ़ रही है। प्रदेश के 4.5 लाख लोगों को धनतेरस पर गृह प्रवेश कराकर इसे यादगार बनाने की सफल कवायद ही है। अगली चुनावी साल में भाजपा के हाथ ऐसा अवसर नहीं आ पाना था, सो 2022 में हुआ ऐसा आयोजन, 2023 में रिटर्न गिफ्ट की उम्मीद तो रखेगा ही। कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की काट तलाशने में भी भाजपा सक्रिय है, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता। शिवराज का कोरोना में अपने पालकों को खो चुके बच्चों संग दीपावली मनाना भी शायद प्रेम और संवेदनशीलता की एक मिसाल के तौर पर देखी जाए।
खैर दीपावली सभी के लिए खुशियां लाए। और जीत-हार से परे सर्वे भवंतु सुखिन: का मंत्र चरितार्थ हो। 2022 की मेहनत का परिणाम 2023 में मिले और सबकी संतुष्टि का माध्यम बने, यही कामना है।