भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार द्वारा राज्य मानव अधिकार आयोग में सदस्य की नियुक्ति पर मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।
उपरोक्त याचिका मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने लगायी है, जिस पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर ने मप्र सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता को नोटिस जारी किया है।
श्री सिंह ने राज्य मानव अधिकार आयोग में मप्र सरकार द्वारा सदस्य के रूप में श्री मनोहर ममतानी की नियुक्ति की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में यह याचिका लगायी है। श्री सिंह द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि आयोग में श्री ममतानी की नियुक्ति के लिये आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
मानव अधिकार आयोग के कानून में यह स्पष्ट प्रावधान है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति जिसमें मप्र विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष पदेन सदस्य होंगे की सिफारिश पर आयोग में नियुक्ति की जावेगी।
लेकिन श्री ममतानी की नियुक्ति के लिए 6 मई 2022 को कार्यालयीन समयावधि के बाद सूचित किया गया कि 7 मई को आयोग में सदस्य की नियुक्ति के लिए समिति की बैठक आयोजित की जानी है।
नियमानुसार इस समिति की बैठक और सदस्य की नियुक्ति की सूचना कम से कम सात दिवस पूर्व दी जानी चाहिए। सरकार ने मनमाने तरीके से 8 मई 2022 को नेता प्रतिपक्ष की अनुपस्थिति में आयोग में एक नये सदस्य के रूप में श्री मनोहर ममतानी की नियुक्ति कर दी, जो नियमों का खुला उल्लंघन है।
श्री सिंह ने कहा कि मानव अधिकार आयोग के अधिनियम में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली नियुक्ति समिति में गृह मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष पदेन सदस्य होते हैं। इस समिति में नेता प्रतिपक्ष को भी रखा गया है, ताकि निष्पक्षता बनी रहे। लेकिन मप्र सरकार संविधान का लगातार मखौल उड़ा रही है।