मोहन का एक साल:मोहन के नेतृत्व में भव्यतम सिंहस्थ की तैयारियों में जुटा मध्यप्रदेश…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
जब प्रदेश के मुखिया के पद पर महाकाल का बेटा विराजमान हो, तब भव्यतम सिंहस्थ की उम्मीद तो की ही जा सकती है। उज्जैन के निवासी डॉ. मोहन यादव ने उस मिथक को सिरे से नकार दिया था, जिसके अनुसार महाकाल की नगरी में कोई मुख्यमंत्री रात्रि में नहीं रुकता। मोहन ने कहा था कि वह महाकाल के बेटे हैं और उज्जैन में मुख्यमंत्री जैसे भाव से नहीं बल्कि महाकाल के बेटे के रूप में रात्रि निवास करेंगे। और वह ऐसा ही कर रहे हैं। उज्जैन का होने के नाते उनका यह हक तो महाकाल पर बनता ही है। और जिस दिन यानि 13 दिसंबर 2023 से वह मुख्यमंत्री बने हैं, तब से ही भव्यतम सिंहस्थ के आयोजन की रूपरेखा बनाने में वह जुटे हैं। और भव्यतम सिंहस्थ की सभी तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं। इनके क्रियान्वयन को भी सिंहस्थ के पहले की समय सीमा में बांध दिया गया है। पहला सिंहस्थ जो शायद प्रयागराज के कुंभ को भी पीछे छोड़ दे। पहली बार यह तैयारी कि श्रद्धालु क्षिप्रा के पवित्र,अविरल बहते जल में डुबकी लगा सकें। स्थायी व भव्य घाटों का निर्माण और मानो पूरा उज्जैन ही नया आकार लेने को आतुर है। आपदामुक्त सिंहस्थ, रोप वे से श्रद्धालु रेल्वे स्टेशन से महाकाल पहुंच सकें, प्रदेश की पहली मेडिसिटी और निर्माण कार्यों की लंबी फेहरिस्त है। मोहन के एक साल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में सिंहस्थ सबसे आगे है।
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने उज्जैन में सिंहस्थ-2028 की कार्ययोजना का प्रेजेटेंशन देखा, तो सराहना किए बिना नहीं रह सके। उन्होंने कहा कि जिस सोच के साथ कार्ययोजना तैयार की गई है उसे जमीन पर उतारा गया तो उज्जैन अपनी संस्कृतिक, धार्मिक, पौराणिक विरासत को संजोने में सफल होगा। उज्जैन अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक विरासत को समेटे हुए हैं। सिंहस्थ के लिये तैयार की गई कार्ययोजना से उज्जैन का पुरातन वैभव पुनः लौटेगा और राजा विक्रमादित्य की अवंतिका का स्वरूप प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रेजेंटेशन के दौरान कपिला गौशाला और शिप्रा को प्रवाहमान बनाने की कार्ययोजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस कार्ययोजना से कम से कम कीमत में क्षिप्रा को अविरल एवं स्वच्छ कर पाएंगे। सिंहस्थ 2028 में क्षिप्रा नदी में क्षिप्रा के जल से ही स्नान होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गौवंश को सुरक्षित करने की कार्ययोजना के संबंध में बताया कि सभी प्रमुख शहरों में 10 हजार गौवंश को रखने के लिए गौशालाएं बनाई जा रही हैं। कम से कम खर्चे और कम से कम मानव शक्ति का प्रयोग कर इन गौशालाओं का संचालन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस बार सिंहस्थ में क्षिप्रा नदी के दोनों ओर बेसाल्ट पत्थर से स्थायी घाटों का निर्माण होगा, जिससे आने वाले समय में क्षिप्रा नदी के स्वरुप को स्थायित्व मिलेगा और आगामी सिंहस्थों में अतिरिक्त घाटों के निर्माण की आवश्यकता नहीं होगी।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि सिंहस्थ-2028 तक शिप्रा नदी को प्रवाहमान एवं अविरल करने के लिए कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना, सेवरखेडी-सिलारखेडी मध्यम परियोजना तथा कान्ह एवं क्षिप्रा नदी पर बैराज का निर्माण, बेसाल्ट से घाटों का निर्माण एवं संबद्ध कार्य किए जा रहे हैं। कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना का मुख्य उद्देश्य कान्ह नदी के दूषित जल को उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी में मिलने से रोकना है, जिससे कि मोक्ष दायिनी क्षिप्रा नदी का जल पवित्र बना रहे। इस परियोजना में ग्राम जमालपुर तहसील उज्जैन में कान्ह नदी पर एक बैराज का निर्माण किया जाना है, जिससे कान्ह नदी के दूषित जल को क्लोज डक्ट के माध्यम से व्यपवर्तित किया जाना है। परियोजना की कुल लम्बाई 30.15 कि.मी. है जिसमे 18.15 कि.मी. लम्बाई में कट एवं कवर द्वारा क्लोज डक्ट का निर्माण होना है तथा 12 किमी लम्बाई में टनल का निर्माण किया जाना है, इसकी कुल लागत राशि रुपये 920 करोड़ है तथा पूर्णता अवधि 36 माह है।
सेवरखेडी सिलारखेडी मध्यम परियोजना क्षिप्रा नदी को निरंतर प्रवाहमान बनाए रखने के लिए है। परियोजना अंतर्गत ग्राम सेवरखेडी तहसील उज्जैन में क्षिप्रा नदी पर बैराज निर्माण किया जाना है जिससे वर्षा काल के जल का उद्वहन कर ग्राम सिलारखेड़ी तहसील उज्जैन में स्थित सिलारखेडी तालाब में एकत्रित किया जाना प्रस्तावित है। वर्षा काल उपरांत सिलारखेडी तालाब में संग्रहीत जल को ग्राम कुंवारिया के समीप क्षिप्रा नदी में पुनः प्रवाहित किया जाएगा। इस परियोजना की लागत राशि रुपये 614.53 करोड़ है तथा यह परियोजना 30 माह में पूर्ण किया जाना लक्षित है। इसके अतिरिक्त कान्ह नदी पर 5 एवं क्षिप्रा नदी पर 1 बैराज बनाया जाएगा, जिसकी कुल लागत 37 करोड़ रुपये है।
सिंहस्थ के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान करने हेतु क्षिप्रा नदी पर कुल 29 कि.मी. लम्बाई में शनि मंदिर से नागदा बायपास तक घाटों का निर्माण किया जाएगा। उक्त योजना की कुल लागत राशि रुपये 778.91 करोड़ है, तथा प्रस्तावित पूर्णता अवधि 36 माह है। घाटों पर भारी मात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बसाल्ट स्टोन लेयिंग की जाएगी।
सिंहस्थ 2028 में श्रद्धालुओं के सुगम एवं गतिशील पहुँच के लिए रोप-वे रेलवे स्टेशन से महाकालेश्वर मंदिर तक, रेलवे स्टेशन का उन्नयन, सदावल हेलिपैड तथा एअरस्ट्रिप का उन्नयन तथा बहुदिशात्मक रोड परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। रेलवे स्टेशन से महाकालेश्वर मंदिर तक रोप-वे निर्माण की परियोजना लागत रुपये 199 करोड़ है तथा इससे 1.76 किमी के निर्माण किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत 10 यात्रियों की क्षमता वाले 48 केबिन के माध्यम से श्रद्धालुओं का आवागमन होगा। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन का उन्नयन व उज्जैन-आगर-झालावाड़ की रेलवे लाइन पर भी कार्य किया जा रहा है। जिसकी लागत 2836 करोड़ रूपये है, साथ ही यात्रियों की मूलभूत सुविधाओं के लिये उज्जैन जिले में 30 करोड़ रूपये की लागत से सैटेलाइट स्टेशन विकसित किया जाना है। यात्रियों की सुविधा के लिए सदावल हेलीपेड तथा एअरस्ट्रिप का उन्नयन एवं विकास कार्य भी किया जा रहा हैं। सदावल में 13.52 करोड़ लागत से चार नए हैलीपेड का निर्माण किया जा रहा है।
इस अवसर पर नये कलेक्ट्रेट भवन, यूनिटी मॉल, श्री महाकाल भक्त निवास, मेडिसिटी के रुप में उज्जैन में बनने जा रहे मेडिकल हब की कार्ययोजना, विक्रम उद्योगपुरी एवं आई.टी. पार्क का भी प्रेजेंटेशन हुआ। साथ ही एमपीईबी के कार्यों, क्षिप्रा नदी पर 6 नए पुलों का निर्माण, जावरा फोरलेन को दिल्ली-मुम्बई सुपर हाईवे से जोड़ने की कार्य योजना तथा उज्जैन से अन्य शहरों को जोड़ने वाले मुख्य मार्गों को फोर लेन एवं सिक्स लेन में परिवर्तित करने की कार्ययोजना का प्रेजेंटेशन भी किया गया।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने सिंहस्थ व्यवस्था संबंधी बैठक की अध्यक्षता करते हुए सिंहस्थ के लिये स्वीकृत कार्यों की निविदाएं नियत समय में जारी करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जिन विभागों ने निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिये है, उनकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देते हुए उन्हें नियत समय में पूरा किया जायें। उज्जैन में आगामी सिंहस्थ के मद्देनजर अभी से श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हो गई है। अत: वर्तमान स्थिति और सिंहस्थ समय में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान लगाकर उनकी व्यवस्था और सुरक्षा के संबंध में प्लान तैयार किया जाये। सिंहस्थ में बेहतर व्यवस्था के लिये अधिकारियों की टीम प्रयागराज में कुंभ की व्यवस्थाओं का अध्ययन करें।
उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ-2028 के लिये 2 स्तरीय समिति का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा सिंहस्थ के कार्यों की स्वीकृति दी जा रही है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा सिंहस्थ से जुड़े कार्यों के प्रस्ताव को प्रस्तुत किया जा रहा है। तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सिंहस्थ के पहले उज्जैन में मेडिसिटी एवं चिकित्सा महाविद्यालय तैयार हो जायेगा। इस नवीन व्यवस्था से महाकाल की निगरानी में अब हर मर्ज का ईलाज होगा। स्वास्थ्य के क्षेत्र में उज्जैन की मेडिसिटी दुनियाभर में जानी जायेगी। उज्जैन में हाईटेक स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ मेडिकल डिवाईस पार्क भी विकसित होगा। एक ही परिसर में सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हाईराईज बिल्डिंग बनाई जाएगी तथा एक-एक इंच भूमि का उपयोग किया जायेगा। परिसर में ही चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ आदि के लिए आवासीय व्यवस्था रहेगी। उज्जैन में निर्मित होने वाली प्रदेश की पहली मेडिसिटी एवं मेडिकल कॉलेज 14.97 एकड़ में 592.3 करोड़ रूपये की लागत से बनेगा। इसमें 6 हाईराइज टॉवर होंगे। टीचिंग हॉस्पिटल का भवन 9 मंजिला होगा, जिसमें बेसमेंट भी शामिल है। मेडिकल कॉलेज का भवन 8 मंजिला होगा इसमें भी बेसमेंट बनाया जाएगा। नर्सेस होस्टल, आरडीएच ब्लॉक व यूजी इंटर्न गर्ल्स होस्टल के भवन 14 मंजिला होंगे। वहीं यूजी इंटर्न बॉइस होस्टल का भवन 11 मंजिला होगा। मेडिसिटी चिकित्सा महाविद्यालय सम्पूर्ण रूप से दक्ष होगा इसमें रिसर्च एंड डवलपमेंट की सभी सुविधाएँ होंगी। इस महाविद्यालय में 550 बेड की क्षमता का अस्पताल होगा तथा इसमें 150 मेडिकल छात्रों को चिकित्सा शिक्षा प्रदान की जाएगी। महाविद्यालय में 380 क्षमता का नर्सिंग होस्टल, यूजी इन्टर्न गर्ल्स व बोइस होस्टल, सर्विस ब्लॉक, लाईब्रेरी, पार्किंग, जिमनेशियम, फुटओवर ब्रीज की सुविधाओं से सम्पन्न होगा। मेडिसिटी मेडिकल कॉलेज के भवन में उर्जा दक्षता, फायर सेफ्टी, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, सोलर पॉवर, इलेक्ट्रिसिटी बेकअप, सिवरेज ट्रीटमेंट प्लाँट आदि आधुनिक तकनीकिओं का उपयोग होगा।
तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में उज्जैन में पुलिस लाइन सरोवर पर सिंहस्थ- 2028 को आपदामुक्त संपन्न कराने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 18 हजार पुलिस, एसडीआरएफ, होमगार्ड जवान एवं सिविल वॉलिंटियर्स को श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस दौरान डीप डाइवर्स, तैराकों, बोट हैंडलर्स के कार्यों का अवलोकन किया तथा ब्रीदिंग अप्रैटस, स्नेक कैचर एवं आपदा प्रबंधन के कार्य में आने वाले अन्य उपकरणों का निरीक्षण भी किया।
तो यह सब वर्णन यह बता रहा है कि मोहन के मन में भव्यतम सिंहस्थ की जितनी कल्पना थी, वह सब सिंहस्थ-2028 के लिए मूर्त रूप ले रही हैं। और यह कल्पनाएं उसी पल से आकार लेना शुरू हो गई होंगी, जब मोहन को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा हुई थी। जब मोहन ने उसके ठीक बाद महाकाल की चौखट पर माथा टेका होगा और जब उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली होगी। मोहन के पहले एक साल में सिंहस्थ की तैयारियों की रूपरेखा अंतिम रूप ले चुकी है। 2028 का सिंहस्थ महाकाल के बेटे मोहन के मन की इन सभी कल्पनाओं में रंग भरता नजर आएगा…।