मोहन का एक साल: मोहन का सनातनी मन, तीर्थ बनेंगे कृष्ण पाथेय और श्रीराम वनगमन पथ…

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मोहन का एक साल: मोहन का सनातनी मन, तीर्थ बनेंगे कृष्ण पाथेय और श्रीराम वनगमन पथ…

कौशल किशोर चतुर्वेदी
हम विवाह पंचमी पर राजा राम की राजधानी ओरछा में हैं। राम दूल्हा बन जानकी जी के दरवाजे जा रहे हैं। यह पता शायद कम ही लोगों को होगा कि ओरछा में एक जानकी मंदिर है। जहां राम साल में एक बार दूल्हा बन बारात लेकर जानकी को ब्याहने उनके दरवाजे तक जाते हैं। और जनसैलाब बाराती बन उनकी बारात में शामिल होता है। नाचता है, झूमता है और राम-राम के जयकारे लगाता है। मंत्री-संत्री, अफसर-आमजन सब बस बाराती होते हैं। राम का मतलब सनातन से है। और हाल ही में सनातन भाव को जगाने के लिए सनातनी संत धीरेंद्र शास्त्री बागेश्वर धाम से पदयात्रा कर राजा राम मंदिर ओरछा पहुंचे थे। यहां एक होर्डिंग पर यह पंक्ति लिखी थी कि ‘सनातन काज कीन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम।’ यानि सनातन काज का मतलब ही राम काज है। तो अब हम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के एक साल की बात करते हैं। मोहन ने मध्यप्रदेश में राम और कृष्ण से संबंधित सभी स्थानों को तीर्थ बनाने का संकल्प लिया है। और इससे संबंधित कार्य तेज गति से हो रहे हैं। डॉ. मोहन यादव का मुख्यमंत्री के रूप में एक साल का आकलन करें तो हर मंच पर उनका भाषण सनातन भाव यानि राम और कृष्ण के बिना पूरा नहीं होता। आज हम उनके सनातन भाव से रूबरू होते हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 21 जून 2024 को अपने इस भाव को खुलकर व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था कि भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करेंगे। उन्होंने चित्रकूट धाम में प्राधिकरण की सक्रियता के आधार पर कलेक्टर को चार्ज लेने के निर्देश दिए थे।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि मध्यप्रदेश सरकार भगवान श्रीराम वनगमन पथ तथा श्रीकृष्ण पाथेय अर्थात् भगवान श्रीराम ने मध्यप्रदेश के जिन-जिन स्थानों से यात्रा की हैं उन स्थानों को चिन्हित कर तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करेगी। मध्यप्रदेश सरकार चित्रकूट के आवागमन का मार्ग या लंका विजय के पश्चात पुन: अयोध्या प्रयाण का जो मार्ग है उस मार्ग को चिहिन्त करते हुए तीर्थ के रूप में विकसित करने जा रही है।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा था कि भगवान श्रीराम ने जहां 11 वर्ष चित्रकूट धाम में व्यतीत किए हैं। उन्होंने सतना कलेक्टर को चित्रकूट विकास प्राधिकरण का चार्ज लेने के निर्देश दिए थे। उस स्थान पर समेकित रूप से अलग-अलग स्थानीय और ग्रामीण निकायों और अन्य विभागों को साथ मिलकर एकीकृत योजना बनाते हुए चित्रकूट धाम पर भव्य पैमाने पर भगवान श्रीराम का काल स्मरणीय और दर्शनीय हो इसके लिए कार्य प्रारंभ किया है।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा था कि भगवान श्रीराम के गौरवशाली अतीत से प्रदेश का गहरा रिश्ता है। हम सौभाग्यशाली हैं  कि भगवान श्रीराम ने मंदाकिनी के किनारे मध्यप्रदेश में लंबा समय गुजारा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भगवान श्रीराम के सभी भक्तों और श्रद्धालुओं से निवेदन करते हुए कहा था  कि आइये अयोध्या धाम के साथ चित्रकूट धाम के भी दर्शन करें। सांस्कृतिक रूप से रिश्तों को प्रगाढ़ करें और एक बार मध्यप्रदेश अवश्य पधारें।

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तो मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा था कि भगवान श्रीकृष्ण की मध्यप्रदेश में यात्राओं से संबंधित स्थल जैसे उज्जैन में भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा, जानापाव में भगवान परशुराम जी ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान करने तथा धार के पास अमझेरा में रूक्मणी जी के हरण के पवित्र स्थानों को तीर्थ स्थल बनाने जा रही है। श्रीकृष्ण पाथेय मार्ग के लिए पर्यटन एवं संस्कृति विभाग को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे हमारे आराध्य भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े लीला स्थलों को चिन्हित करते हुए तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करें। और 20 नवंबर 2024 को मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद ने श्रीकृष्ण पाथेय न्यास के गठन की स्वीकृति प्रदान कर दी। मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश लोक न्यास अधिनियिम 1951 के अंतर्गत “श्रीकृष्ण पाथेय न्यास” का गठन किए जाने की स्वीकृति प्रदान कर दी। स्वीकृति अनुसार भगवान श्रीकृष्ण से संबंध क्षेत्रों का साहित्यिक व सांस्कृतिक संरक्षण और संवर्धन किया जायेगा। न्यास द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों एवं संरचनाओं का प्रबंधन, सांदिपनि गुरुकुल की स्थापना के लिए परामर्श, सुझाव, श्रीकृष्ण पाथेय के स्थानों का सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यटन की दृष्टि से विकास, पुस्तकालय, संग्रहालय की स्थापना आदि गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित न्यास में कुल 28 सदस्य होंगे। इसमे 23 पदेन न्यासी सदस्य तथा 5 ख्याति प्राप्त विद्वत सदस्य, अशासकीय न्यासी सदस्य के रूप में नामांकित होंगे। अशासकीय न्यासी सदस्यों का कार्यकाल अधिकतम 3 वर्ष होगा। “श्रीकृष्ण पाथेय न्यास” का मुख्यालय भोपाल होगा। इसके लिये 6 पद सृजित किये जायेंगे। श्रीकृष्ण पाथेय न्यास अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिये शासन अथवा अन्य स्त्रोतों से अनुदान एवं दान प्राप्त कर सकता है। न्यास के संचालन एवं उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये शोध-सर्वेक्षण एवं विकास कार्य के लिये आवश्यकतानुसार विशेषज्ञ समितियों का गठन किया जा सकेगा। न्यास के लिए श्रीकृष्ण पाथेय न्यास विलेख तैयार किया जायेगा। विलेख में न्यास के अधिकार, कार्यकारी समिति, सदस्यों, कार्यकारी समिति के अधिकार, न्यासी सचिव के अधिकार, मुख्य कार्यपालक अधिकारी के अधिकार, न्यास के लेखे एवं अंकेक्षण एवं न्यास के कार्यक्षेत्र एवं सीमा से संबंधित विषयों का विस्तारपूर्वक वर्णन होगा।श्रीकृष्ण पाथेय न्यास के उद्देश्यों में मध्यप्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण के चरण जहाँ-जहाँ पड़े उन स्थानों को तीर्थ के रुप में विकसित तथा संरक्षित करना और हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा के महत्व को समझने के लिए सम्बन्धित क्षेत्रों का प्रलेखन (डाक्युमेंटेशन), अभिलेखन (रिकॉर्डिंग), छायांकन, फिल्मांकन तथा चित्राकंन आदि करना शामिल है। श्रीकृष्ण पाथेय न्यास के अंतर्गत अवस्थित भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों एवं उनमें स्थित जल संरचनाओं, वन सम्पदा, उद्यान आदि की सुरक्षा, संरक्षण, संवर्धन एवं प्रबंधन किया जायेगा। इन धार्मिक तीर्थ स्थलों का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जायेगा। इसके साथ ही उज्जैन में 64 कलाओं और 14 विद्याओं की विधिवत शिक्षा के लिए सांदीपनि गुरुकुल की स्थापना हेतु परामर्श, सुझाव एवं अन्य कार्यवाही की जायेगी।

यह सब विस्तार से लिखने का मतलब यही है कि मध्यप्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मन ‘सनातन’ से सराबोर है। और कृष्ण पाथेय और चित्रकूट संग श्रीराम वनगमन पथ के सभी स्थानों को तीर्थ स्वरूप बनाने का उनका संकल्प साकार होने की तरफ कदम बढा रहा है…।