केवल मिट्टी की प्रतिमा ही शास्त्र सम्मत और पर्यावरण अनुकूल है: डॉ. मोहन गुप्त

उज्जयिनी विद्वत परिषद की बैठक में लिया गया निर्णय

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उज्जैन। आगामी गणेश चतुर्थी पर्व आदि के अवसर पर केवल मिट्टी से बनी हुई प्रतिमाएं ही स्थापित की जाए। मिट्टी से बनी प्रतिमाएं ही शास्त्र सम्मत है और पर्यावरण के अनुकूल भी।

पूर्व संभाग आयुक्त, पूर्व कुलपति एवं उज्जयिनी विद्वत परिषद के अध्यक्ष डॉ मोहन गुप्त की अध्यक्षता में आज महाश्वेता नगर में संपन्न परिषद की बैठक में यह निर्णय यह निर्णय लिया गया।

डॉ मोहन गुप्त ने कहा कि शास्त्रों में पार्थिव प्रतिमा के पूजन का ही विधान है, अर्थात केवल मिट्टी से बनी प्रतिमा ही स्थापित की जा सकती है। शास्त्रों में इन प्रतिमाओं के आकार का भी निर्धारण है। ये प्रतिमाएं अंगुष्ठ प्रमाण अर्थात 6 से 8 ऊंचाई की बनाई जानी चाहिए। मिट्टी की प्रतिमाओं को प्राकृतिक रंगों से अलंकृत कर नदी में प्रवाहित करने से प्रदूषण नहीं होता।

उज्जयिनी विद्वत परिषद ने सर्वसाधारण से अनुरोध किया है कि मिट्टी की बनी प्रतिमाओं को ही इन त्योहारों पर स्थापित करें। घर में स्थापित मिट्टी की प्रतिमा को पूजा घर में प्रतीक रूप में किसी बर्तन में प्रवाहित कर उसे बगीचे में विसर्जित करें।

उज्जयिनी परिषद में प्रो. केदार नारायण जोशी, डॉक्टर केदारनाथ शुक्ला, प्रो.बालकृष्ण शर्मा, प्रो. भगवतीलाल राजपुरोहित, पंडित नारायण उपाध्याय, पंडित वासुदेव पुरोहित सदस्य एवं डॉ. संतोष पंड्या सदस्य सचिव के रूप में शामिल है।