‘संगठन सृजन अभियान’ ही करेगा कांग्रेस का उत्थान…

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‘संगठन सृजन अभियान’ ही करेगा कांग्रेस का उत्थान…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

उत्थान से पतन और पतन से उत्थान जीवन रूपी चक्र के दो चेहरे हैं। अगर समय बुरा है, तो अच्छा भी आना तय है। पर उसके लिए सकारात्मक प्रयासों की निरंतरता आवश्यक है। और कहा जाए तो सृजन की सोच के बिना सफलता मिल पाना संभव नहीं है। राजनैतिक दलों की बात करें तो कांग्रेस सफलता के लिए लंबे संघर्ष के दौर से गुजर रही है। और राजनैतिक दलों की सफलता का मूल संगठन में समाहित है। जितना मजबूत संगठन होगा, राजनैतिक दल की सफलता की गारंटी भी उतनी ज्यादा होगी। वर्तमान में देश में भाजपा की सफलता का स्रोत उसके कैडर बेस संगठन को ही माना जाता है। और मध्यप्रदेश में पिछले करीब 22 साल से भाजपा राज कर रही है, हालांकि इसमें पंद्रह महीने कांग्रेस की सरकार के रहे हैं। पर इन पंद्रह माह कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ ने हमेशा ही कहा है कि कांग्रेस को भाजपा की बराबरी करना है तो संगठन को दुरुस्त करना होगा। इसी दिशा में कांग्रेस अब कदम बढ़ा रही है। 3 जून 2025 को भोपाल में आयोजित होने जा रहा ‘कांग्रेस संगठन सृजन अभियान’ इसी दिशा में कांग्रेस का बड़ा कदम है। संगठन में सृजन का कांग्रेस का मन उत्थान की नई कहानी बना सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने शायद ठीक ही लिखा है कि संगठन सृजन अभियान से कांग्रेस को नया संबल मिलेगी।

दिनांक 3 जून 2025 को भोपाल में आयोजित होने जा रहा कांग्रेस संगठन सृजन अभियान का औपचारिक शुभारंभ वास्तव में एक ऐतिहासिक पहल है। बात फिर वही है कि संगठन का सृजन पूर्ण समर्पण का पर्याय बन जाए। यह अभियान मध्यप्रदेश में कांग्रेस को पुनर्गठित करने और जनमानस से गहरे जुड़ाव की दिशा में एक निर्णायक कदम बन जाए। राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी एक बार फिर जनभावनाओं से जुड़े। और जमीनी स्तर पर मजबूत संगठन खड़ा करने की कांग्रेस की प्रतिबद्धता को सफलता मिले। यह अभियान पार्टी कार्यकर्ताओं को दिशा भी दे और आने वाले समय में कांग्रेस को निर्णायक ताक़त बनाने की नींव भी रखे। पर फिर वही बात कि कांग्रेस को इन उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए पूर्ण बदलाव की प्रक्रिया से गुजरना होगा। अपनी कार्यशैली को बड़ी सर्जरी की प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत है। और बेबाक बात की जाए तो यह सब बहुत आसान नहीं है। राहुल गांधी की मंशा पर गुटों में बंटी मध्यप्रदेश कांग्रेस कितना आत्मसात कर पाती है, इस बात पर सृजन का परिणाम निर्भर करता है।

मध्यप्रदेश में कांग्रेस संगठन के गठन की प्रक्रिया चल रही है। जिलों में संगठनात्मक नियुक्ति के लिए एआईसीसी द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक, प्रदेश कार्यकारिणी, राजनीतिक मामलों की समिति तथा सभी जिला अध्यक्षों के साथ संवाद कर संगठन की नवीन संरचना पर विचार किया जाएगा। जैसा कि अरुण यादव ने कहा है, “यह केवल सांगठनिक चर्चा नहीं, बल्कि कांग्रेस की आत्मा को फिर से जनआंदोलन से जोड़ने का प्रयास है। हम सबकी भागीदारी से यह मिशन सफल होगा और एक सशक्त कांग्रेस के रूप में हमारा भविष्य और अधिक उज्ज्वल बनेगा।” पर आत्ममंथन, चिंतन-मनन और इसका सोच में क्रियान्वयन होने तक का सफर बहुत कठिन नहीं, तो बहुत आसान भी नहीं है। राजनैतिक मामलों की समिति की बैठक में प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं द्वारा राज्य की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की जाएगी और आगामी रणनीतियों पर विचार-विमर्श होगा। सांसदों एवं विधायकों के साथ संवाद का सत्र होगा, इसमें सांसदों और विधायकों से उनके क्षेत्रों की समस्याओं और जनता की अपेक्षाओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों एवं नव सृजित प्रदेश कांग्रेस द्वारा नियुक्त प्रभारियों की बैठक संगठन के पुनर्गठन और प्रभावी नेतृत्व नियुक्ति पर केंद्रित होगी। और इन बैठकों के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी प्रतिनिधि, प्रदेश कांग्रेस प्रतिनिधि, जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं ब्लॉक अध्यक्षों का अधिवेशन होगा।

फिर बात वही कि बैठकों और अधिवेशनों का दौर पहली बार नहीं हो रहा है। ऐसा न हो कि पहले की तरह इस बार भी बैठकों और अधिवेशन का दौर असरहीन रह जाए। मध्यप्रदेश में भाजपा संगठन की बराबरी कर पाना कांग्रेस के लिए बहुत आसान नहीं है। यह बात ध्यान में रखकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ‘संगठन सृजन अभियान’ का मान बढ़ाने की गांठ बांधनी होगी, तभी कांग्रेस इतिहास बनाने में समर्थ हो सकेगी। और संगठन सृजन अभियान की सफलता पर ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस का उत्थान निर्भर करता है…।