
“मन को वश में करने वाला ही जीवन में सफल होता है” – स्वामी डॉ. नारायणानंद गिरी
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मन्दसौर। अंतरराष्ट्रीय भागवताचार्य, गोलोकवासी पं. मदनलाल जोशी शास्त्री की 16वीं पुण्य स्मृति पर शनिवार को अपना घर निराश्रित बालगृह में स्मृति पर्व पर सभा का आयोजन किया गया। ऋषिकेश के प पूज्य स्वामी डॉ. नारायणानंद गिरी महाराज के सानिध्य में आयोजित इस गरिमामय कार्यक्रम में स्व. पंडित शास्त्रीजी को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए और उनके जीवन से प्रेरणा लेने का संकल्प व्यक्त किया गया।
अपने उद्बोधन में पूज्य स्वामी डॉ. नारायणानंद गिरी महाराज ने कहा कि मन को वश में करने वाला ही सशक्त और सफल बनता है। उन्होंने कहा कि मन चंचल होता है और चंचलता में व्यक्ति की शक्तियां नष्ट हो जाती हैं। साधना और सांसों पर ध्यान केंद्रित करके मन को नियंत्रित किया जा सकता है। जब व्यक्ति अपने मन पर नियंत्रण कर लेता है तो वह विपरीत परिस्थितियों में भी प्रसन्न रहकर सफलता अर्जित कर लेता है।
उन्होंने कहा कि संसार में कोई कमी नहीं है, कमी हमारी दृष्टि में है। बुद्धिमान व्यक्ति कष्टों में भी सुख खोज लेता है।
पूज्यश्री ने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए कहा कि एकाग्रचित्त व्यक्ति ही महानता को प्राप्त करता है। बच्चों को मार्गदर्शन देते हुए उन्होंने कहा कि यदि वे एकाग्र होकर अध्ययन करेंगे तो न केवल शिक्षा में बल्कि जीवन की भव-सागर यात्रा में भी सफलता पाएंगे। उन्होंने कहा कि अपने गुरु पर विश्वास रखने वाला शिष्य सदैव सुरक्षित रहता है और गुरु ही उसकी जीवन नैया को पार लगाते हैं।
स्वामीजी ने कहा कि अनुशासन स्वीकार करना मन का स्वभाव नहीं होता, इसलिए हमें अभ्यास द्वारा अपने मन को अनुशासन में लाना चाहिए। सांस पर ध्यान केंद्रित करना मन को साधने का उत्तम साधन है। इससे मन एकाग्र होगा, शरीर स्वस्थ रहेगा और आयु भी बढ़ेगी।
समारोह में केशव सत्संग भवन ट्रस्ट अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया ने कहा कि पं. मदनलाल जोशी मेरे गुरु व मार्गदर्शक रहे, उनकी विरासत को स्थाई बनाने के प्रयास निरंतर होना चाहिए।
स्वर्णकार समाज राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं समाज सेवी श्री कारूलाल सोनी ने कहा कि शास्त्रीजी भागवत कथा के माध्यम से संपूर्ण विश्व में ज्ञान प्रवाहित करने वाली मंदसौर की गौरवमयी विभूति थे। 16 देशों में पंडित जोशी जी ने भारतीय संस्कृति और धर्म साहित्य को प्रचारित किया ।
अपना घर स्वाध्याय मंच के संस्थापक अध्यक्ष राव विजयसिंह ने कहा कि शास्त्रीजी के मार्गदर्शन से संस्था को 25 वर्षों से सफल संचालन की दिशा मिली।
दशपुर जागृति संगठन के अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र पुराणिक ने उन्हें मंदसौर का प्रेरणा पुंज बताया।
योग गुरु बंशीलाल टांक ने कहा कि शास्त्रीजी केवल प्रवक्ता नहीं, बल्कि प्रज्ञाता थे, जो आठ-आठ घंटे तक एक ही आसन पर बैठकर भागवत कथा के मर्म का गान करते थे।
एडव्होकेट अजय सिखवाल ने कहा कि हमें बाल्यकाल से उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन मिलता रहा है।
समारोह की शुरुआत में पूज्य गुरुदेव ने पं. मदनलाल जोशी शास्त्री के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। तत्पश्चात स्मृति पर्व समिति एवं भागवत कृपा परिवार की ओर से पूज्य गुरुदेव का शॉल समर्पित कर अभिनंदन किया गया।
इस अवसर पर भागवत कृपा परिवार से कैलाश जोशी, ब्रजेश जोशी, पीयूष जोशी, प्रशांत जोशी, ‘अपना घर’ की बिटियां अनिता, हेमलता सोनी, वंदना गोड, प्रियंका व्यास, अंगुरबाला चौहान, विनीता दमामी,सपना पाटीदार सहित केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल सोनी, योग गुरु बंशीलाल टांक, अपना घर स्वाध्याय मंच के संस्थापक अध्यक्ष राव विजयसिंह, दशपुर जागृति संगठन के अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र पुराणिक, अजय तिवारी, पत्रकार लोकेश पालीवाल, राजेश देवड़ा, एडव्होकेट अजय सिखवाल, राजीव शर्मा आदि ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस अवसर पर
पंडित मदनलाल जोशी शास्त्री स्मृति पर्व संस्थान द्वारा स्वामी
डॉ नारायणानन्द गिरी महाराज का शाल श्रीफल माल्यार्पण से सम्मान किया ।

कार्यक्रम का संचालन स्मृति पर्व समिति के संयोजक डॉ. घनश्याम बटवाल ने किया और आभार भागवत कृपा परिवार के वरिष्ठ कैलाश जोशी ने व्यक्त किया।

अपना घर निराश्रित बालिका गृह संस्थापक अध्यक्ष राव विजयसिंह ने स्वामी जी को संस्था साहित्य और गतिविधि फोल्डर भेंट किया।





