
Operation Sindoor Soldier: गडकरी जी, कहाँ गया बुलडोज़र? टोल प्लाजा गुंडा प्लाजा बन गया है!
रंजन श्रीवास्तव
दृश्य भयावह था. कम से कम 8-10 लोग एक टोल प्लाजा पर एक व्यक्ति को खम्भे से बांधकर डंडे, छड़, मुक्के और पैरों से बुरी तरह से एक वीडियो क्लिप में पिटाई करते हुए दिखते हैं. जो बीच बचाव करने आते हैं उनकी भी पिटाई होती है.

दिखता है कि यह जान लेने का प्रयास है. व्यक्ति को गंभीर चोटें आती हैं. अस्पताल में भर्ती किया जाता है. पुलिस में रिपोर्ट भी होती है पर मेरठ के भूनी टोल प्लाजा जहाँ यह घटना घटित होती है, से 5 किलोमीटर से भी कम अंतर पर स्थित सरूरपुर पुलिस स्टेशन में हलचल अगले दिन तभी मचती है जब उस व्यक्ति जो कि आर्मी का जवान होता है, के गांव और आसपास के गांव के लोग इकट्ठा होकर टोल प्लाजा पर धावा बोलते हैं और जमकर वहां तोड़फोड़ करके अपना गुस्सा निकालते हैं क्योंकि जो हमलावर थे वे उसी टोल प्लाजा के कर्मचारी थे.
Big Breaking 🚨🚨
📍 MeerutUP Police arrested 6 accused, for assaulting an Indian army soldier at Bhuni Toll Plaza.
FIR registered against 8+ accused, with Bittu named as the main culprit. Police search for remaining offenders is underway.#Meerut #UttarPradesh pic.twitter.com/kRabTGpfHg
— Mayank (@mayankcdp) August 18, 2025
जब स्थानीय लोग राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम करते हैं, आरोपियों की गिरफ़्तारी की मांग करते हैं और पुलिस अधिकारियों को जब यह पता चलता है कि घायल सैनिक ऑपरेशन सिन्दूर में शामिल था और वह छुट्टी के बाद श्रीनगर अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने जा रहा था तो ताबड़तोड़ 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया जाता है.

इस बात को सोचने के लिए कि क्या होता अगर पीड़ित व्यक्ति आर्मी का जवान नहीं बल्कि कोई आम आदमी होता, आपको किसी साइंटिस्ट के मस्तिष्क की जरूरत नहीं है. वे अपराधी आज भी उसी टोल प्लाजा पर दादागिरी करते हुए टोल वसूली के काम में लगे होते और किसी भी टोल यूजर के द्वारा कोई प्रश्न उठाने पर उसके साथ बेख़ौफ़ दुर्व्यवहार कर रहे होते.

गांव वालों ने मीडिया को बताया कि आरोपित कर्मचारियों द्वारा सैनिक के साथ मारपीट की वह कम समय में ही छठवीं घटना थी.
टोल कर्मचारियों द्वारा जिसमें से बहुत से स्थानीय गुंडा हो सकते हैं, लोगों से पूरे भारत में दुर्व्यवहार करना एक आम बात हो गयी है.
ऐसी भी घटनाएं हुईं है जिनमें लोग अपनी पत्नी और बच्चों के सामने बुरी तरह टोल कर्मचारियों द्वारा पीटे गए और उन घटनाओं में शायद ही कोई पुलिस एक्शन हुआ.
छोटे मोटे दुर्व्यवहार की घटनाओं की रिपोर्ट ही पुलिस थाने में नहीं की जाती या रिपोर्ट लिखी ही नहीं जाती.
ऐसा नहीं है कि हिंसा का शिकार सिर्फ टोल यूजर ही होते हैं. टोल प्लाजा कर्मी भी हिंसा के शिकार होते हैं पर बहुतायत मामलों में टोल कर्मी ही हिंसा करते हुए दिखते हैं.
हालाँकि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण घटनाओं की संख्या पर मौन है पर पिछले कुछ वर्षों में टोल यूजर और टोल प्लाजा कर्मियों के बीच संघर्ष की घटनाएं बेतहाशा बढ़ी हैं. इसके कई कारण हैं जैसे टोल राशि में वृद्धि, समाज के एक वर्ग में टोल देने से बचने की या ना देने की प्रवृत्ति, टोल प्लाजा कर्मियों की समुचित ट्रेनिंग नहीं होना, राजमार्ग खराब होने पर भी टोल की वसूली, स्थानीय निवासी जिनको टोल से छूट मिली है उनसे भी टोल वसूली का प्रयास करना इत्यादि पर संघर्ष का मुख्य कारण है कर्मचारियों को संघर्ष की स्थिति में कैसे व्यवहार किया जाए इसकी ट्रेनिंग या समुचित ट्रेनिंग नहीं होना और गुंडों को टोल की वसूली के काम में लगाना.
भूनी टोल प्लाजा कांड के मुख्य आरोपी पर भी पहले से कई मामले दर्ज थे.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का टोल कलेक्शन एजेंसीज को लिखित निर्देश है कि किसी भी स्थिति में टोल यूजर के साथ हिंसा नहीं करनी है और टोल यूजर द्वारा टोल नहीं देने या हिंसा करने पर इसकी रिपोर्ट पुलिस को की जानी चाहिए पर होता ठीक उल्टा है.
टोल प्लाजा एजेंसीज को लगता है कि उनको टोल कलेक्शन का अधिकार मिलने से उनको दादागिरी का लाइसेंस मिल गया है और वे जैसा चाहें वैसा लोगों से व्यवहार करें. और होता भी यही है.
चूँकि मेरठ का मामले एक सैनिक का था और वह भी जिसने ऑपरेशन सिन्दूर में भाग लिया था अतः इस मामले में टोल प्लाजा पर 20 लाख का पेनाल्टी भी लगाया गया और उसे ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई भी शुरू हो गयी है पर बहुत से मामलों में दोषी एजेंसी पर कोई कार्रवाई नहीं होती है.
ऐसा नहीं कि आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार सिर्फ राष्ट्रीय राजमार्ग के टोल प्लाजा पर ही होता है. स्टेट हाईवे पर भी यह आम बात है क्योंकि सरकार के एजेंडे में टोल वसूली सर्वोपरि है, लोगों की जान माल और सम्मान की सुरक्षा नहीं.
पिछले वर्ष केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन जयराम गडकरी का एक वक्तव्य बहुत चर्चित हुआ था. उन्होंने कहा था कि सही काम नहीं करने वाले ठेकेदारों को बुलडोज़र के नीचे डलवा देंगे. पर जैसा कि उनका बुलडोज़र ठेकेदारों के खिलाफ शांत है वैसा ही उनका रवैया गुंडागर्दी कर रहे टोल प्लाजा के लिए भी है. हो सकता है कि उनके पास जो बुलडोज़र हों उन पर नहीं चलने के कारण जंग लग चुके हों.





