
Sanchar sathi app विपक्ष बोला गोपनीयता पर हमला, सिंधिया की दो टूक- न अनिवार्य ना जासूसी
New Delhi: देश में साइबर सुरक्षा और मोबाइल धोखाधड़ी से निपटने के लिए शुरू किया गया संचार साथी ऐप इन दिनों राजनीति के केंद्र में है। विपक्ष ने इसे निगरानी और गोपनीयता पर हमला बताया है, जबकि केंद्र सरकार का दावा है कि यह ऐप नागरिकों को फ्रॉड से बचाने का सबसे मजबूत डिजिटल हथियार है। इसी बीच केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सफाई देकर साफ कर दिया है कि न तो यह ऐप अनिवार्य है और न ही यह किसी तरह की जासूसी करता है।
🌀क्या है संचार साथी ऐप
▫️संचार साथी ऐप दूरसंचार विभाग की वह प्लेटफॉर्म आधारित व्यवस्था है जिसके जरिए मोबाइल यूजर्स अपने फोन की IMEI वैधता जांच सकते हैं, यह देख सकते हैं कि उनके नाम पर कितने सिम कार्ड सक्रिय हैं, फ्रॉड नंबरों की रिपोर्ट कर सकते हैं और चोरी हुए फोन को ब्लॉक या ट्रेस कर सकते हैं। सरकार का दावा है कि इस ऐप और पोर्टल की बदौलत अब तक करीब एक करोड़ पचहत्तर लाख फर्जी या धोखाधड़ी वाले मोबाइल कनेक्शन डिस्कनेक्ट किए जा चुके हैं। लगभग बीस लाख चोरी हुए फोन का लोकेशन ट्रेस किया गया और करीब सात लाख पचास हजार फोन उनके असली मालिकों को वापस सौंपे गए।

🌀विवाद क्यों खड़ा हुआ
▫️विवाद तब शुरू हुआ जब एक सरकारी आदेश की भाषा को लेकर यह भ्रम फैल गया कि नए स्मार्टफोन में यह ऐप प्री इंस्टाल होगा और संभवतः हटाया नहीं जा सकेगा। इसी बिंदु को आधार बनाकर विपक्ष ने आरोप लगा दिया कि सरकार नागरिकों की निजी गतिविधियों पर निगरानी रखना चाहती है। विपक्षी दलों ने इसे डिजिटल बिग ब्रदर की तरफ बढ़ता कदम बताया और उपयोगकर्ताओं की प्राइवेसी पर सीधा हमला कहा। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर भ्रम और डर फैल गया कि ऐप कॉल सुन सकता है या फोन की निगरानी कर सकता है।
🌀सिंधिया की दो टूक
▫️संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को दिल्ली में साफ कहा कि संचार साथी पूरी तरह वैकल्पिक है। इसे डाउनलोड करना या हटाना पूरी तरह उपयोगकर्ता की मर्जी है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि यह ऐप किसी भी तरह की कॉल मॉनिटरिंग या जासूसी करने में सक्षम नहीं है। न तो इसका कोई निगरानी वाला फीचर है और न ही यह किसी की निजी बातचीत या गतिविधियों को रिकॉर्ड कर सकता है।
🌀 विपक्ष पर हमला
▫️सिंधिया ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि जब विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं होता तो वह मुद्दा खोजने लगता है। उन्होंने कहा कि सरकार का कर्तव्य उपभोक्ताओं की सुरक्षा करना है और संचार साथी उसी दिशा में सबसे मजबूत कदम है। उन्होंने यह भी बताया कि संचार साथी पोर्टल पर बीस करोड़ से ज्यादा उपयोगकर्ता पहुंच चुके हैं जबकि ऐप के डेढ़ करोड़ से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं।
🌀ऐप की असल स्थिति
▫️सरकार का आधिकारिक बयान यही है कि संचार साथी को रखना या न रखना पूरी तरह उपयोगकर्ता की पसंद है। इसे किसी अन्य ऐप की तरह आसानी से हटाया जा सकता है। साथ ही यह केवाईसी धोखाधड़ी, सिम क्लोनिंग, फर्जी नंबर और चोरी हुए फोन की रोकथाम में बड़ी भूमिका निभा रहा है। दूसरी तरफ विपक्ष अभी भी इसके गोपनीयता संबंधी पहलुओं पर सवाल उठा रहा है और कह रहा है कि आदेश की भाषा भ्रमित करने वाली थी।
📍और अंत में अपनी बात…
▫️संचार साथी ऐप फिलहाल तकनीक और राजनीति के बीच का वह मुद्दा बन गया है जहां एक तरफ सरकार इसे सुरक्षा कवच कह रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष प्राइवेसी के खतरे की बात उठा रहा है। हालांकि संचार मंत्री की दो टूक सफाई के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है कि ऐप न तो अनिवार्य है और न ही किसी भी तरह की निगरानी व्यवस्था का हिस्सा। आगे यह विवाद कितना चलता है यह आने वाले दिनों की राजनीतिक हलचलें तय करेंगी।
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