Opposition to Appointment of IAS : तेलंगाना सरकार के शीर्ष सहकारी बैंक में IAS की MD पद पर नियुक्ति का विरोध!

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Opposition to Appointment of IAS

Opposition to Appointment of IAS : तेलंगाना सरकार के शीर्ष सहकारी बैंक में IAS की MD पद पर नियुक्ति का विरोध!

इसे अमलोरपवनाथन समिति की रिपोर्ट के मापदंडों का खुलेआम उल्लंघन माना!

हैदराबाद से रूचि बागड़देव की विशेष रिपोर्ट

Hyderabad : तेलंगाना राज्य सहकारी शीर्ष बैंक टीजीसीएबी (तेलंगाना स्टेट कॉपरेटिव अपैक्स बैंक) ने एक आईएएस अधिकारी को अपना प्रबंध निदेशक बनाकर अमलोरपवनाथन समिति की रिपोर्ट के मापदंडों का खुलेआम उल्लंघन किया। जबकि, इन मापदंडों को टीजीसीएबी के प्रबंध समिति और आमसभा की बैठकों में भी अनुमोदित किया गया था।

राज्य सरकार ने एन मुरलीधर का कार्यकाल पूरा होने के बाद 2 जुलाई 2024 को निदेशक (एग्रीकल्चर) बी गोपी (2016 बैच के आईएएस अधिकारी) को तेलंगाना राज्य सहकारी शीर्ष बैंक का अंतरिम प्रबंध निदेशक नियुक्त किया है। अमलोरपावनाथन समिति की रिपोर्ट को टीजीसीएबी प्रबंधन समिति और आमसभा ने स्वीकार किया था। आरबीआई की सिफारिश के अनुसार ‘उपयुक्त और उचित’ माध्यम के अनुसार सरकारी बैंकों के साथ डीजीसीसीबी को भी उचित योग्यता और कौशल वाले बैंक के कर्मियों को प्रबंधित किया जाना चाहिए। जिनकी भर्ती पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जाती है।

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अमलोरपावनाथन समिति की सिफारिश में कहा गया है कि एमडी या सीईओ को पद से पदोन्नत किया जा सकता है या अपेक्षित अनुभव वाले ऐसे अधिकारी को अनुपलब्धता की स्थिति में किसी एजेंसी द्वारा बैंकिंग क्षेत्र या खुले बाजार से किसी पेशेवर की भर्ती की जा सकती है। उसे आरबीआई द्वारा निर्धारित फिट एंड प्रॉपर मापदंडों को पूरा करना चाहिए। किसी भी मामले में एमडी या सीईओ को राज्य सरकार द्वारा नियुक्त या प्रतिनियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।

लगभग 9 महीने से एक आईएएस अधिकारी शीर्ष सरकारी बैंक के अंतरिम प्रबंध निदेशक के रूप में काम कर रहे हैं जिसे नेफ्स्कोब और नाबार्ड से प्रशंसा और पुरस्कार मिले हैं। जब शीर्ष बैंक के एमडी के रूप में गैर पेशेवर को नियुक्त करके नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो न तो आरबीआई, नाबार्ड और न टीजीसीएबी के निदेशक सरकार से सवाल कर रहे हैं। क्योंकि, इस कदम का उद्देश्य सहकारिता की भावना को कमजोर करना है।

तेलंगाना सरकार का एक आईएएस अधिकारी को टीजीसीएबी का एमडी नियुक्त करके सहकारिता के उद्देश्य को कमजोर कर रही है और सभी मापदंडों का उल्लंघन भी कर रही। आश्चर्य है कि नवनियुक्त टीजीसीएबी अध्यक्ष एम रविंद्र राव इस मुद्दे पर चुप रहे।

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