मध्यप्रदेश नक्सली आत्म-समर्पण, पुनर्वास-सह-राहत नीति-2023 के आदेश जारी
भोपाल : राज्य शासन ने “मध्यप्रदेश नक्सली आत्म-समर्पण, पुनर्वास सह राहत नीति-2023” के आदेश जारी कर दिये हैं। भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के साथ ही छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश की नीतियों का अध्ययन कर नवीन नीति तैयार कर जारी की गई है। प्रदेश में अब तक नक्सलियों के आत्म-समर्पण और पुनर्वास सह राहत के लिये 26 वर्ष पूर्व 1997 में लागू की गई नीति अनुसार कार्यवाही की जा रही थी।
नवीन नीति का मुख्य उद्देश्य उन वामपंथी उग्रवादियों को मुख्य धारा में शामिल करना है, जो हिंसा का रास्ता त्याग कर स्वेच्छा से आत्म-समर्पण करना चाहते हैं। आत्म-समर्पण करने वाले नक्सलियों को रोजगार और उद्यमशीलता के अवसर प्रदान करना और उन तत्वों को हतोत्साहित करना भी है, जो सरकार द्वारा प्रदान किये जाने वाले लाभ प्राप्त करने और अपने निहित स्वार्थों के लिये टेक्टिकली सरेंडर करते हैं। नवीन नीति में नक्सली हिंसा से पीड़ितों को राहत प्रदान किये जाने वाले प्रावधान भी शामिल हैं। नक्सल विरोधी अभियान में विशेष सहयोग देने वाले व्यक्ति के प्राणों की सुरक्षा को खतरा होने पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुमोदन से जिला पुलिस बल में आरक्षक के पद पर नियुक्त करने का प्रावधान भी किया गया है।
नवीन नीति उन नक्सलवादियों पर लागू होगी, जिनके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं, जो प्रतिबंधित संगठनों के महत्वपूर्ण पदाधिकारी या कैडर के सदस्य हैं और जो हथियार सहित या बगैर हथियार के स्वेच्छा से आत्म-समर्पण करना चाहते हैं। आत्म-समर्पणकर्ता को संगठन के कार्यकर्ताओं, सदस्यों और सहयोगियों के वास्तविक नाम और पहचान करना होगा, जिनके लिये वह कार्य कर रहा था। उसे फंड, कोरियर, ओवरग्राउंड वर्क्स, हथियारों के स्त्रोत, अवैध धन आदि की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी देना होगी। उसे स्वयं द्वारा किये गये आपराधिक कृत्यों को स्पष्ट रूप से स्वीकार करना होगा। साथ ही स्वैच्छिक समर्पण का सार्वजनिक बयान भी देना होगा। आत्म-समर्पण के लिये गठित राज्य स्तरीय जाँच समिति को आत्म-समर्पणकर्ता के प्रस्ताव की स्वीकृति अथवा अस्वीकृति के संबंध में 30 दिवस में निर्णय लेना होगा। आत्म-समर्पणकर्ता को नवीन नीति का लाभ जाँच समिति की अनुशंसा के आधार पर ही मिलेगा।
नक्सल प्रभावित जिलों में जिला स्तरीय समिति रहेगी
नवीन नीति अनुसार राज्य शासन द्वारा चिन्हांकित नक्सल प्रभावित जिलों में “जिला स्तरीय पुनर्वास एवं राहत समिति” होगी। समिति के अध्यक्ष जिला दंडाधिकारी एवं सदस्य सचिव पुलिस अधीक्षक रहेंगे। समिति में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, वन मंडलाधिकारी, जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला परियोजना अधिकारी सदस्य रहेंगे।
पुनर्वास सुविधाएँ
आत्म-समर्पणकर्ता द्वारा एलएमजी, जीपीएमजी, आरपीजी, स्नाइपर रायफल, इनके समान अन्य हथियार जमा कराने पर प्रति हथियार साढ़े 4 लाख रूपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। एके-47/56/74 रायफल, एसएलआर, कार्बाइन, .303 रायफल जमा कराने पर प्रति हथियार साढ़े 3 लाख रूपये की अनुग्रह राशि मिलेगी। रॉकेट, ग्रेनेड, हैंड ग्रेनेट, स्टिक ग्रेनेड, आईईडी, इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर और अन्य डेटोनेटर के जमा कराने पर प्रति नग 2 हजार रूपये की अनुग्रह राशि मिलेगी। रिमोट कंट्रोल डिवाइस, वायरलेस सेट, सेटेलाइट फोन, वीएचएफ, एचएफ सेट जमा कराने पर प्रति डिवाइस 3 हजार रूपये की अनुग्रह राशि का प्रावधान नई नीति में किया गया है। पिस्टल अथवा रिवॉल्वर जमा कराने पर प्रति हथियार 20 हजार रूपये मिलेंगे। सभी प्रकार के एम्यूनेशन, विस्फोटक पदार्थों के जमा कराने पर एकमुश्त 10 हजार और सभी प्रकार के माइन्स जमा कराने पर एक मुश्त 20 हजार रूपये की अनुग्रह राशि मिलेगी। इसके अतिरिक्त आत्म-समर्पणकर्ता को समिति की अनुशंसा पर घर बनाने के डेढ़ लाख रूपये की सहायता भी मिलेगी। जीवित पति अथवा पत्नी न होने की स्थिति में आत्म-समर्पणकर्ता यदि विवाह करने का इच्छुक है, तो प्रोत्साहन राशि के रूप में 50 हजार रूपये दिये जायेंगे।
जिला स्तरीय समिति द्वारा आत्म-समर्पणकर्ता को 5 लाख रूपये अथवा संबंधित संगठन में उसके द्वारा धारित पदनाम पर घोषित पुरस्कार की राशि (दोनों में से जो अधिक हो) प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाएगी। रूपये 50 हजार 7 दिवस में प्रदान किये जायेंगे, शेष राशि पुलिस अधीक्षक और आत्म-समर्पणकर्ता के संयुक्त सावधि खाते में जमा की जाएगी। संतोषजनक आचरण होने पर पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रति वर्ष एक लाख रूपये की राशि आत्म-समर्पणकर्ता को दी जाएगी। आत्म-समर्पणकर्ता को अचल संपत्ति, जमीन इत्यादि क्रय करने के लिये 20 लाख रूपये का अनुदान दिया जाएगा। उसकी रूचि के अनुसार व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिये डेढ़ लाख रूपये का भुगतान किया जाएगा। आत्म-समर्पणकर्ता को राज्य में प्रचलित खाद्यान्न सहायता योजना में न्यूनतम दर पर निर्धारित खाद्यान्न प्राप्त करने की पात्रता रहेगी और आयुष्मान योजना का लाभ भी मिलेगा। आत्म-समर्पणकर्ता द्वारा किये गये जघन्य अपराधों की सुनवाई अदालतों में जारी रहेगी। आत्म-समर्पणकर्ता के पूर्ववृत और गुण-दोष के आलोक में लोकहित में मामला-दर-मामला आधार पर अभियोजन वापस लेने के संबंध में राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
नक्सलवाद से पीड़ित परिवार को राहत
नक्सलवाद से पीड़ित परिवार को जिला स्तरीय पुनर्वास एवं राहत समिति की अनुशंसा पर पात्रतानुसार राहत मिलेगी। हिंसा में मृत्यु होने पर पीड़ित परिवार को प्रति मृत व्यक्ति 15 लाख रूपये, शहीद सुरक्षाकर्मी के परिवार को 20 लाख रूपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। यह राशि राज्य या केन्द्र शासन के शहीद सुरक्षाकर्मी की सहायता योजना के अतिरिक्त होगी। नक्सल हिंसा में व्यक्ति/सुरक्षाकर्मी के शारीरिक रूप से अक्षम होने पर 4 लाख रूपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। नक्सल हिंसा में मृत्यु होने की दशा में जिला दंडाधिकारी द्वारा नक्सल पीड़ित परिवार के किसी एक सदस्य को न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की अर्हता के आधार पर ग्रेड-3 तृतीय श्रेणी अथवा चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियुक्ति प्रदान की जाएगी। मकान की पूर्ण क्षति पर डेढ़ लाख रूपये, आंशिक क्षति पर 50 हजार रूपये की सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त खाद्यान्न सहायता योजना और आयुष्मान भारत योजना का लाभ भी मिलेगा।