चांद पर पहुंचे कदम हमारे, अब सितारे तोड़ लाऐंगे- श्री भावसार

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चांद पर पहुंचे कदम हमारे, अब सितारे तोड़ लाऐंगे- श्री भावसार

अ.भा. साहित्य परिषद द्वारा तुलसी जयंती पर साहित्य संगोष्ठी आयोजित

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मन्दसौर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मंदसौर जिला इकाई ने पार्श्वनाथ निर्वाण दिवस एवं तुलसी जयंती एवं सफ़ल चन्द्र अभियान के उपलक्ष्य में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन पं. देवेश्वर जोशी एवं फिल्म निर्माता प्रदीप शर्मा के मुख्य आतिथ्य एवं श्रीमती उर्मिला सिंह तोमर की अध्यक्षता में किया।

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. घनश्याम बटवाल के सानिध्य में कवि गोपाल बैरागी, नंदकिशोर राठौर, नरेन्द्रसिंह राणावत, हरिओम बरसोलिया, विजय अग्निहोत्री, हरीश दवे, नरेन्द्र भावसार, चेतन व्यास, नरेन्द्र त्रिवेदी, सीने स्क्रिप्ट राइटर संजय भारती के सानिध्य में किया।

गोल चौराहा स्थित मेडीप्वाइंट पर आयोजित इस काव्यगोष्ठी की शुरुआत बुधवार शाम चन्द्रयान-3 की सफल लैंडिंग की खुशियों के साथ हुई। सभी ने इस उपलब्धि पर इसरो के वैज्ञानिकों की मेहनत की जीत बताते हुए बधाई दी।

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मुख्य अतिथि श्री जोशी ने कहा तुलसीदासजी ने रामचरितमानस के अलावा विनय पत्रिका एवं अन्य कृतियों के माध्यम से भारतीय दर्शन एवं जनमानस को बहुत प्रभावित किया। भक्ति मार्ग के ‘‘कवियों की माला के ‘सुमेरू’ मनका थे तुलसीदास’’।

फ़िल्मकार प्रदीप शर्मा ने कहा कि तुलसी एवं पार्श्वनाथ के उपलक्ष्य एवं चंद्रयान की सफल लैंडिंग की थ्री डायमेंशन पर यह आयोजन साहित्य परिषद की सामयिक सोच को प्रदर्शित करता है। जिसमें कविताओं के अलावा समसामयिक विषयों पर पर्याप्त चर्चा होती है। जैन दर्शन के 24 तीर्थंकरों में से 22 तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखरजी में प्राणोत्सर्ग किया यह शोध का विषय हैं वहीं 7-8 तीर्थंकरों ने अयोध्या में जन्म लिया। ज्ञान, विज्ञान, ऊर्जा एवं चेतना के विषय पर आयोजित गोष्ठियां साहित्य के मूल स्वरूप का दर्शन है।

डॉ. बटवाल ने कहा कि तुलसी के रामचरितमानस में किसके साथ, क्या, क्यों और कैसा व्यवहार होना चाहिये इसका वर्णन है। जीवन व्यवहार के लिए मार्गदर्शन करती है तुलसी की मानस।

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अध्यक्ष के रूप में श्रीमती तोमर ने कहा कि तुलसी की रामचरितमानस आज भी प्रासंगिक है, जब भी मानव किसी उलझन या दो राहों पर खड़ा महसूस करता है तो मानस का अध्ययन उसे सही राह दिखाता है, जरूरत है, इस ग्रंथ को आज की पीढ़ी को समझाने की।

इस अवसर पर वरिष्ठ कवि गोपाल बैरागी ने मानस की हर चौपाईयों को एकमंत्र माना जिससे सभी बाधाओं को दूर कर सकते हैं आपने अपनी चर्चित रचना ‘‘सीतामऊ चरित्र चालीसा’’ का पाठकर सीतामऊ नगर की विशेषताओं का बखान किया।

संचालन करते हुए नरेन्द्र भावसार ने चन्द्रयान 3 की सफल लेडिंग से प्रभावित होकर अपनी कविता सुनाई ‘‘चांद पर पहुंचे कदम हमारे, अब सितारे तोड़ लायेंगे’’’। विजय अग्निहोत्री ने सावन का गीत ‘‘सावन बीता जाये, मेघा अब ना तरसाओ’’ सुनाई। नरेन्द्र राणावत ने ‘‘उमड़ घुमड़ कर आयो रे भादव’’ गीत सुनाकर भादवा में बादलों की गड़गड़ाहट को चित्रित किया। हरिश दवे ने मालवी कविता ‘‘मूं तो यूं इज पूछिर्यो थो’’ सुनाई।

हरिओम बरसोलिया ने मालवी गीत ‘‘कुडत्रा को पाणी’’ सुनाई। संगीतकार चेतन व्यास ने केवट प्रसंग की चौपाईयों को सुनाकर माहौल राम मय कर दिया। सुरीले गायक नरेन्द्र त्रिवेदी ने गीत ‘‘राम रमैया गाए जा राम से लगन लगाए जा’’ सुनाकर तुलसीदास जी की ज्योतिष एवं सनातन दर्शन का बखान किया। स्क्रीन प्ले राइटर संजय भारती ने चांद पर सफल लैंडिंग पर बधाई देते हुए गुनगुनाया ‘ये चंदा रूस का, ना है जापान का, ये तो हिन्दुस्तान का…….। नन्दकिशोर राठौर ने जैन क्षमा पर्व पर कविता ‘‘जिन शासन, मन का अनुशासन हुई अवमानना तो, कर बद्ध खमत खामना’’ सुनाते हुए आभार व्यक्त किया।