Outer Ring Road : इंदौर से 15 किमी पहले ही बायपास होंगे भारी वाहन

राऊ-पीथमपुर से शुरू होकर एबी रोड के अर्जुन बड़ोदा पर मिलेगा

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Outer Ring Road : इंदौर से 15 किमी पहले ही बायपास होंगे भारी वाहन

 

Indore : बायपास और रिंग रोड पर भारी वाहनों के ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) ने केंद्रीय सड़क व भूतल परिवहन मंत्रालय को आउटर रिंग रोड का प्रस्ताव भेज दिया है। यह आउटर रिंग रोड 222.575 हेक्टेयर निजी व 38 हेक्टेयर सरकारी जमीन पर आकार लेगा। 75 मीटर इसकी चौड़ाई रहेगी। प्राधिकरण के चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा ने इस योजना की सैद्धांतिक मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को उनकी इंदौर यात्रा के समय पत्र भी सौंपा था। मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद IDA इसे योजना के रूप में जारी करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। 55 में से 34.80 किमी आईडीए IDA बनाएगा मास्टर प्लान में भी आउटर रिंग रोड प्रस्तावित है। 2021 के बाद 2035 के संभावित प्लान में भी इसे यथावत रखा है। इसकी कुल लंबाई 55 किलोमीटर रहेगी।

यह एबी रोड पर राऊ-पीथमपुर के करीब से शुरू होकर एबी रोड पर ही अर्जुन बड़ोदा पर मिलेगा। इसमें 34.80 किमी हिस्सा आईडीए बनाएगा। इसका निर्माण 22 गांव के बाहर से होते हुए किया जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि शहरी क्षेत्र में बायपास और रिंग रोड से भारी वाहनों का बोझ घट जाएगा। एबी रोड पर मुंबई से आने वाले वाहन पीथमपुर से पहले ही शहर से बाहर होकर धार रोड, देपालपुर रोड, उज्जैन रोड होते हुए एबी रोड पर ही शिप्रा (अर्जुन बड़ोदा) के पास फिर मिलेंगे। वहीं आगरा तरफ से आने वाले भारी वाहन भी बाहर से निकल जाएंगे।

दोनों तरफ IDA की स्कीम 

मंत्रालय को भेजे पत्र में IDA ने यह भी कहा कि 75 मीटर रोड के दोनों तरफ 150-150 मीटर तक IDA स्कीम जारी करेगा। लैंड पुलिंग स्कीम के तहत किसानों से जमीन ली जाएगी। जिस किसान की जितनी जमीन ली जाएगी, बदले में उसे 50% विकसित भूमि रोड टच दी जाएगी। 20 फीसदी जमीन रोड बनाने, 10 फीसदी ग्रीन बेल्ट व नागरिक सुविधाओं के लिए आरक्षित रखी जाएगी। 20% जमीन प्राधिकरण के पास रहेगी, जिसे बेचकर योजना को विकसित किया जाएगा।

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अभी योजना जारी नहीं 

मंत्री ने मौखिक रूप से तो प्रोजेक्ट मंजूर कर दिया है। लिखित मंजूरी मिलने के बाद योजना जारी कर दी जाएगी। 50% विकसित भूमि रोड टच दी जाएगी किसानों को 20% जमीन रोड बनाने, 10% ग्रीन बेल्ट व नागरिक सुविधाओं के लिए आरक्षित रहेगी। 20% जमीन प्राधिकरण के पास रहेगी, जिसे बेचकर योजना विकसित की जाएगी।

पांच साल से कवायद

समाप्त हो चुके मास्टर प्लान की बाउंड्री आउटर रिंग रोड के रूप में अंकित है। इसे बनाने की कवायद पिछले पांच-छह साल से चल रही है। कई बार मंत्री, अफसर मौका-मुआयना भी कर चुके हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने केवल मंच से घोषणा की है। इसे कागजों में तैयार होने में ही काफी वक्त लगेगा।