

कोरोना की दस्तक से ऑक्सीजन प्लांट फिर कर रहे एक्टिव,भोपाल में मिला पहला मरीज,MP में कोरोना के 31 पॉजीटिव केस
भोपाल। अलर्ट… सांसों पर फिर से संकट आ सकता है। प्रदेशभर में अभी में कोरोना के 31 पॉजीटिव केस सामने आ चुके हैं। वहीं भोपाल में भी एक मरीज कोरोना पॉजीटिव मिला है। बावजूद अधिकारी अब भी सरकारी एडवायजरी का इंतजार कर रहे हैं। यही हालात कोविड काल में बनाए गए आॅक्सीजन प्लांट की भी है। जरूरत ना होने से यह प्लांट बंद पड़े हैं। अगर अचानक जरूरत पड़ी तो यह प्लांट काम करेंगे कि नहीं किसी को नहीं पता। इधर, जेपी अस्पताल में प्लांट की जांच कर मॉकड्रिल की गई। इस दौरान करीब चार घंटे तक प्लांट चलाकर इसका फ्लो नापा गया। हालांकि इसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, इससे पहले तक प्लांट की मॉकड्रिल के दौरान स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य संबंधित विभाग और मीडिया को भी शामिल किया जाता रहा है। इस बार अचानक मॉकड्रिल कर ली गई।
*0 जांच के आदेश के इंतजार में सरकारी हॉस्पिटल*
एक्सपर्ट के अनुसार, कोरोना के बढ़ते मामलों की सटीक वजह जानने और किस वैरिएंट का कितना प्रभाव है, इसकी पुष्टि के लिए ज्यादा से ज्यादा संदिग्ध मरीजों की जांच और उनके सैंपल्स की जीनोम सीक्वेंसिंग कराना अनिवार्य है। भोपाल में के सरकारी जेपी अस्पताल और हमीदिया अस्पताल को अब भी स्वास्थ्य विभाग से आदेश आने का इंतजार है। वहीं, गांधी मेडिकल कॉलेज में स्थित स्टेट वायरोलॉजी लैब ने तो शासन से आरटी-पीसीआर किट उपलब्ध कराने की मांग की है, जो जांच की धीमी गति का संकेत है।
*कहां कितने प्लांट*
– जेपी में 1000 एल.पी.एम. के दो आॅक्सीजन प्लांट एवं 6 किलोलीटर का एक एल.एम.ओ प्लांट संचालित है
– सिविल अस्पताल केएनके में 500 एलपीएम का पी.एस.ए. प्लांट एवं 1 किलोलीटर का एल.एम.ओ. प्लांट
– सिविल अस्पताल बैरागढ़ एवं कोलार में 150-150 एलपीएम
– एम्स में 1000 एलपीएम
– गांधी मेडिकल कॉलेज में 5000 एलपीएम
– कमला नेहरू गैस राहत, खुशीलाल एवं रेल्वे चिकित्सालय में 500-500 एलपीएम
– कस्तूरबा चिकित्सालय में 500 एलपीएम
– प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नजीराबाद में 250 एलपीएम आॅक्सीजन प्लांट
0 अभी खतरा नहीं, लेकिन सावधानी जरूरी – एक्सपर्ट्स
विशेषज्ञों का मानना है कि मौसमी बदलाव के चलते निमोनिया, वायरल के मामले बढ़े हैं। कई मरीजों को सांस लेने में भी परेशानी हो रही है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि यह कोरोना ही है। लेकिन सावधानी जरूरी है। संदिग्ध मरीजों की जांच करनी चाहिए और पॉजिटिव सैंपल्स को लैब में भेजना चाहिए, ताकि समय रहते इस बीमारी से निपटा जा सके।