Padmashree Malti Joshi is no more: नहीं रहीं सुप्रसिद्ध कथाकार पद्मश्री मालती जोशी

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Padmashree Malti Joshi is no More: नहीं रहीं सुप्रसिद्ध कथाकार पद्मश्री मालती जोशी

भोपाल :कथाकार पद्मश्री मालती जोशी  का बुधवार को 90 साल की आयु में निधन हो गया। उन्होंने अपने बेटे, साहित्यकार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी के आवास पर पर अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार आज दिल्ली के लोधी रोड श्मशान घाट में होगा।मालती जोशी  की कहानी कहने की शैली ने देश भर के कई विश्वविद्यालयों में उनके साहित्यिक कार्यों पर किए गए शोध से उन्हें एक विशिष्ट पहचान दिलाई। मालती जोशी को 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। मालती ने हिंदी और मराठी भाषा को मिलाकर 60 से अधिक किताबों का लेखन किया है। वे पिछले कुछ समय से आइसोफेगस के कैंसर से पीड़ित थीं। पचास से अधिक हिन्दी और मराठी कथा संग्रहों की लेखिका मालती जोशी शिवानी के बाद हिन्दी की सबसे लोकप्रिय कथाकार मानी जाती हैं। उनके साहित्य पर देश के कई विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हुए हैं।
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महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में 4 जून, 1934 को उनका जन्म हुआ। बाद में वे इंदौर में भी रही हैं .वे  किशोरावस्था से ही लेखन कार्य करने लगी थीं। खास बात यह कि मालती जोशी के लेखन की शुरुआत भी कविता से हुई। अपनी आत्मकथा में उन दिनों को याद करते हुए उन्होंने लिखा है, मुझमें तब कविता के अंकुर फूटने लगे थे।कॉलेज के जमाने में इतने गीत लिखे कि लोगों ने मुझे ‘मालव की मीरा’ की उपाधि दे डाली पर अब कविता छूट गयी है, रूठ गयी है। उनकी पहली कहानी साल 1971 में ‘धर्मयुग’ में भेजी, जिसके छपने के बाद तो वह भारतीय साहित्य, खासकर हिंदी जगत के पाठकों की चहेती लेखिका बन गईं. यह और बात है कि कालांतर में उनकी कहानियां मराठी, उर्दू, बांग्ला, तमिल, तेलुगू, पंजाबी, मलयालम, कन्नड के साथ अंग्रेजी, रूसी तथा जापानी भाषाओं में भी अनूदित हो कर छप चुके हैं. अपनी सहज, सरल और संवेदनशील भाषा से मालती जोशी ने हिंदी कथा साहित्य में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई।