मन की बात में दर्द तो छलका, पर दर्द निवा’रण’ कब होगा… नहीं चला पता…

599

मन की बात में दर्द तो छलका, पर दर्द निवा’रण’ कब होगा… नहीं चला पता…

कौशल किशोर चतुर्वेदी
कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 22 अप्रैल 2025 को मौत का जो नंगा नाच खेला था, उसके बाद यह तो तय था कि हर माह के अंतिम रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ की शुरुआत इस घिनौनी और कायराना हरकत से ही होना था। सो हुआ भी। यह भी सबको पता था कि जितनी पीड़ा हर भारतीय को है, उतनी ही पीड़ा इस घटना से प्रधानमंत्री को भी हुई है। सो ‘मन की बात’ में मोदी ने व्यक्त भी की है। यह भी सबको पता था कि आतंक की जमीन को मिट्टी में मिलाने का वचन मोदी ने दिया है, इस पर भी सबको भरोसा है। पर इस आकाश भर दर्द और जमीन भर पीड़ा और समुद्र भर आक्रोश का निवा’रण’ कब होगा, इस सवाल का जवाब ‘मन की बात’ में मिल नहीं पाया, इससे 140 करोड़ भारतीयों का सब्र मानो कब्र में मिला जा रहा है। उन दरिंदों की दरिंदगी माफी लायक कतई नहीं है, यह हर भारतीय का ह्रदय चीख-चीखकर कह रहा है और तड़प रहा है। पर मोदी ने मन की बात में इसका जवाब नहीं दिया, यही अफसोस सभी को है। पहले देखते हैं कि पहलगाम घटना को लेकर मोदी ने ‘मन की बात’ में क्या कहा?
मोदी ने कहा कि आज जब मैं आपसे ‘मन की बात’ कर रहा हूँ, तो मन में गहरी पीड़ा है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई आतंकी वारदात ने देश के हर नागरिक को दुख पहुँचाया है। पीड़ित परिवारों के प्रति हर भारतीय के मन में गहरी संवेदना है। भले वो किसी भी राज्य का हो, वो कोई भी भाषा बोलता हो, लेकिन वो उन लोगों के दर्द को महसूस कर रहा है, जिन्होंने इस हमले में अपने परिजनों को खोया है। मुझे ऐहसास है, हर भारतीय का खून, आतंकी हमले की तस्वीरों को देखकर खौल रहा है। पहलगाम में हुआ ये हमला, आतंक के सरपरस्तों की हताशा को दिखाता है, उनकी कायरता को दिखाता है। ऐसे समय में जब कश्मीर में शांति लौट रही थी, स्कूल-कॉलेजों में एक लय बनी थी, निर्माण कार्यों में अभूतपूर्व गति आई थी, लोकतंत्र मजबूत हो रहा था, पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो रही थी, लोगों की कमाई बढ़ रही थी, युवाओं के लिए नए अवसर तैयार हो रहे थे। देश के दुश्मनों को, जम्मू-कश्मीर के दुश्मनों को, ये रास नहीं आया। आतंकी और आतंक के आका चाहते हैं, कश्मीर फिर से तबाह हो जाए और इसलिए इतनी बड़ी साजिश को अंजाम दिया। आतंकवाद के खिलाफ इस युद्ध में देश की एकता, 140 करोड़ भारतीयों की एकजुटता, हमारी सबसे बड़ी ताकत है। यही एकता, आतंकवाद के खिलाफ हमारी निर्णायक लड़ाई का आधार है। हमें देश के सामने आई इस चुनौती का सामना करने के लिए अपने संकल्पों को मजबूत करना है। हमें एक राष्ट्र के रूप में दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करना है। आज दुनिया देख रही है, इस आतंकी हमले के बाद पूरा देश एक स्वर में बोल रहा है।
साथियो, भारत के हम लोगों में जो आक्रोश है, वो आक्रोश पूरी दुनिया में है। इस आतंकी हमले के बाद लगातार दुनिया-भर से संवेदनाएं आ रही हैं। मुझे भी ग्लोबल लीडर्स ने फोन किए हैं, पत्र लिखे हैं, संदेश भेजे हैं। इस जघन्य तरीके से किए गए आतंकी हमले की सब ने कठोर निंदा की है। उन्होंने मृतकों के परिवारजनों के प्रति संवेदनाएं प्रकट की हैं। पूरा विश्व, आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में, 140 करोड़ भारतीयों के साथ खड़ा है। मैं पीड़ित परिवारों को फिर भरोसा देता हूँ कि उन्हें न्याय मिलेगा, न्याय मिलकर रहेगा। इस हमले के दोषियों और साजिश रचने वालों को कठोरतम् जवाब दिया जाएगा।
तो प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने यही भरोसा दिलाया कि मैं पीड़ित परिवारों को फिर भरोसा देता हूँ कि उन्हें न्याय मिलेगा, न्याय मिलकर रहेगा। इस हमले के दोषियों और साजिश रचने वालों को कठोरतम् जवाब दिया जाएगा।
ऐसे में यही सवाल फिर है कि मोदी जी, हम सभी को भरोसा है कि मैं पीड़ित परिवारों को न्याय मिलेगा, न्याय मिलकर रहेगा। इस हमले के दोषियों और साजिश रचने वालों को कठोरतम् जवाब दिया जाएगा। पर सवाल फिर वही है कि मोदी जी, कि आम भारतीय का धैर्य टूट रहा है और मिट्टी में मिला जा रहा है। ऐसे में वह दिन जल्दी आए, जिससे धैर्य बचा रहे। सांप मर जाए, भले ही लाठी भी टूट जाए।मुनीर, बिलावल और शाहबाज जैसे खास और आम पाकिस्तानी भारत के खिलाफ पाकिस्तान में जहर उगल रहे हैं। आतंकवादी अब भी दुस्साहस करने से नहीं चूक रहे। ऐसे में हमारे 28 लोगों को कफन उड़ाने वाले आतंकी और उनके आकाओं को मिट्टी में मिलाने का सुखद संयोग कब बनेगा…यह जानकारी दीजिए मोदी जी ताकि धैर्य धारण किए बैठा भारतीय गर्व से कह सके कि भारत ने आतंकवादियों और उनके आकाओं सहित आतंक की जमीं में मिलाने का काम शुरू कर दिया है…।  क्योंकि देश एकजुट होकर आपको एकटक देख रहा है और आप ही कह रहे हैं कि एकता, आतंकवाद के खिलाफ हमारी निर्णायक लड़ाई का आधार है। तो ‘निर्णायक रण’ का आधार मिल गया है, अब एक बार  आतंकियों के अंत के यज्ञ में पहली आहुति दे दीजिए। ताकि 140 करोड़ भारतीयों के दर्द में कुछ राहत मिल जाए…।