Panchayat And Local Bodies Elections In MP: एक सप्ताह में आयोग अधिसूचना जारी करेगा और लागू हो जायगी आचार संहिता

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मध्यप्रदेश शासन

भोपाल. मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचाचत चुनाव को लेकर राज्य सरकार को एतिहासिक सफलता मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने  पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मध्यप्रदेश में पचास फीसदी आरक्षण रखते हुए  मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव कराने की मंजूरी दे दी है।

कोर्ट ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग को एक सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज जारी आदेश अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग एक सप्ताह में चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा और इसी के साथ पूरे प्रदेश में आचार संहिता लागू हो जायगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को आधार मानते हुए कहा कि इसके आधार पर राज्य सरकार चुनावों में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दे सकती है। लेकिन यह आरक्षण किसी भी हालत में पचास प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2022 में किए गए परिसीमन को भी मान लिया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार और चुनाव आयोग इस मामले में एक सप्ताह में अपनी स्थिति स्पष्ट करे और चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करे।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने अपनी याचिका में जो दलील दी थी उसे नहीं माना गया था लेकिन मध्यप्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश दलीलों को सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया है।

इसके पहले कोर्ट ने राज्य सरकार को पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना कराए जाने के लिए दस मई को निर्देश दिए थे।

राज्य सरकार ने इस आदेश में मॉडिफिकेशन के लिए बारह मई को सुप्रीम कोर्ट में एप्लीकेशन दी थी। इस पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की दूसरी रिपोर्ट सौंपी थी।

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया था कि यह रिपोर्ट निकायवार आरक्षण प्रतिशत के संबंध में है।  राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण देने के लिए 2011 की जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर ओबीसी की संख्या 51 प्रतिशत बताई थी।

राज्य सरकार ने 2022 में किए गए परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी। अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की दूसरी रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण को नोटिफाईड करने और एससी-एसटी आरक्षण देने के  लिए सरकार ने चार सप्ताह का समय मांगा था।

राज्य सरकार ने चार सप्ताह में चुनाव की अधिसूचना जारी करने के आदेश देने की मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक सप्ताह में सारी स्थिति स्पष्ट करते हुए पचास प्रतिशत आरक्षण के आधार पर निकाय और पंचायत चुनाव कराने के निर्देश दिए है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग 2022 के परिसीमन के आधार पर अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण तय करेंगे। यह आरक्षण किसी भी हालत में पचास प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।

राज्य निर्वाचन आयोग में आरक्षण की मौजूदा वैधानिक स्थिति के आधार पर चुनावों के लिए अधिसूचना जारी करेगा।

निकायों के चुनाव पहले और पंचायतों के चुनाव उसके बाद कराए जाएंगे। एक सप्ताह में आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी कर देगा और प्रदेश में निकाय चुनाव के लिए आचार संहिता प्रभावशील हो जाएगी।