पंचायतों की मानीटरिंग में और सख्ती करेगा पंचायत और ग्रामीण विकास

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भोपाल: प्रदेश में 23 हजार पंचायतों में कराए जाने वाले विकास कार्यों में होने वाले भुगतान और सरकार द्वारा दी गई राशि के उपयोग को लेकर पंचायत और ग्रामीण विकास और सख्त निगरानी करने जा रहा है। इसके लिए पंचायत राज संचालनालय द्वारा दो साल की आडिट के लिए फर्मों के सिलेक्शन की कार्यवाही की गई है। इन फर्मों को शासन की शर्तों के बारे में जानकारी देकर उसके आधार पर आडिट रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।

केंद्र सरकार द्वारा पंचायतों के विकास के लिए हर साल करोड़ों रुपए का आवंटन किया जाता है। इसके साथ ही राज्य सरकार के प्राथमिकता में भी ग्रामीण विकास और किसानों, ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार को लेकर हर साल हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं। पंचायतों के माध्यम से खर्च होने वाली राशि के भुगतान और खरीदी के साथ अन्य विकास कार्यों में सरपंच, सचिव और ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कई बार शिकायतें आती हैं।

पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन, मनरेगा, पोषण वाटिका, ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से काम करने वाले स्वसहायता समूहों और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, एमपीआरआरआरडीए समेत अन्य एजेंसियों के माध्यम से विकास कार्य कराए जाते हैं। केंद्र सरकार हर साल दी जाने वाली राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी मांगती है और ग्रामीण विकास के निचले स्तर के अधिकारी इसे समय पर नहीं दे पाते। इसे देखते हुए कोरोना के कारण प्रभावित हुई आडिट प्रक्रिया के बाद नई आडिट व्यवस्था तय करते हुए विभाग द्वारा सख्ती से मानीटरिंग करने के लिए फर्मों के चयन की कार्यवाही की जा रही है।

आडिट के लिए तय की जाने वाली एजेंसियों को ग्रामीण क्षेत्रों में अपने प्रतिनिधियों को भेजकर किए गए काम का मूल्यांकन भी करना होगा। साथ ही लेजर में बताए गए खर्चों का सही आंकलन करके ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट सौंपनी होगी। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इन्हीं फर्मों से एक माह के भीतर वर्ष 2021-22 के खर्चों का आडिट करने के लिए भी कहा गया है। इसके बाद 2022-23 में दी जाने वाली राशि की आडिट भी संबंधित संस्थाओं से ही कराई जाएगी। पिछले माह के अंतिम सप्ताह में इसके लिए एजेंसियों का चयन कर लिया गया है।