Panchayat Elections in MP: पंच-सरपंच से लेकर जिला, जनपद सदस्य के चुनाव मतपत्र से, बदलेंगी कई व्यवस्थाएं

पंच के लिए सफेद मतपत्र, सरपंच के लिए नीले मतपत्र छपेंगे

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PANCHAYAT ELECTION-01

भोपाल:  त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार पंच-सरपंच से लेकर जिला और जनपद पंचायत सदस्यों के चुनाव मतपत्रों और मतपेटियों के जरिए कराए जाएंगे। इसके चलते पूरे पंचायत चुनाव में कई व्यवस्थाएं बदली जाएंगी।

राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए है कि पंचायत चुनावों के लिए प्रत्येक मतपेटी इस तरह से डिजाईन की जाए जिसमें मतपत्र डाले  तो जा सके किन्तु मतपेटी खोले बिना और सील तोड़े बिना उन्हें निकाला न जा सके। इस वर्ष त्रिस्तरीयस पंचायत आम चुनाव में पंच-सरपंच, जनपद और जिला पंचायत सदस्य के पद के निर्वाचन हेतु मतपेटी और मतपत्र के जरिए ही मत डाले जा सकेंगे।

प्रदेश में 52 जिलों में जिला पंचायत सदस्य के 875 और  313 जनपदों में जनपद पंचायत सदस्य के 6 हजार 771 पदों के लिए चुनाव होंने है। इसी तरह प्रदेशभर में सरपंचों के 22 हजार 921 और पंच पद के 3 लाख 63 हजार 726 पदों के लिए चुनाव होंने है। नामांकन पत्र जमा करने का सिलसिला जारी है। नामांकन पत्रों की जांच और नाम वापसी के बाद चुनाव मैदान में शेष रह गए उम्मीदवारों की संख्या और प्रतीक चिन्ह आबंटन के बाद सभी जिलों मेेंं कलेक्टर वहां मतपत्रों की छपाई करवाने के निर्देश जारी करेंगे। इन मतपत्रों को रखने के लिए मतपेटियां का इंतजाम भी करना होगा।


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सफेद मतपत्र पर पंच और नीले मतपत्र पर सरपंच के लिए होगी वोटिंग-
पंच, सरपंच और जिला तथा जनपद पंचायत पद के सदस्यों के लिए अलग-अलग रंगों में मतपत्र छपवाए जाएंगे। पंच पद के लिए जहां निर्वाचन होगा वहां सफेद रंग के मतपत्र  मुद्रित कराए जाएंगे। सरपंच पद के लिए नीले रंग के मतपत्र छपवाए जाएंगे। जनपद पंचायत सदस्य के चुनाव के लिए पीले रंग के मतपत्र छपेंगे तो वहीं जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के लिए गुलाबी रंग के मतपत्र छपवाए जाएंगे।

बढ़ेगा चुनावी खर्च-
इलेक्ट्रिक वोटिंग मशीन(ईवीएम) से चुनाव कराए जाते तो खर्च कम आता लेकिन अब अलग-अलग जिलों में मतपत्रों की कागज पर छपाई करवाना होगा। इससे मतपत्रों की छपाई का खर्च काफी ज्यादा आएगा। इन्हें रखने के लिए विशेष प्रकार की मतपेटियां भी तैयार कराना होगा। इन मतपेटियों की सुरक्षा के लिए भी अतिरिक्त इंतजाम करने होंगे। क्योंकि एक ईवीएम में मतदान केन्द्र के सारे मत डल जाते है लेकिन मतपत्रों की संख्या बढ़ने पर मतपेटियों की संख्या भी बढ़ जाएंगी। इन मतपेटियों को मतदान केन्द्र पर पहुंचाने  के लिए  परिवहन पर भी ज्यादा खर्च आएगा।