Panchkalyanak Mahotsav: पंचकल्याणक महोत्सव में हुई तप की भावुक क्रियाएं
राजेश चौरसिया
छतरपुर: अतिशय क्षेत्र डेरा पहाड़ी पर 9 मार्च से चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत तप कल्याणक की क्रिया आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सानिध्य में सुबह से लेकर देर शाम तक चले विविध कार्यक्रमों में हुई। इस पंचकल्याणक महोत्सव का समापन 14 मार्च को होगा।
जैन समाज के सह सचिव अजित जैन ने बताया कि श्री पंचकल्याणक महोत्सव में तप कल्याणक के दौरान भगवान के नामकरण संस्कार से लेकर विवाह, तदुपरांत वैराग्य दीक्षा, वन प्रस्थान आदि का मनोहारी चित्रण प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित हजारों श्रावक मंत्रमुग्ध होकर कार्यक्रम को निहारते रहे। महोत्सव का शुभारंभ मंत्र आराधना से हुआ, उसके बाद नित्यमय पूजा-अभिषेक, तप कल्याणक के तहत बालक आदि कुमार से राजा बने। भगवान ने मनुष्य को असि (सैनिक कार्य), मसि (लेखन कार्य), कृषि (खेती), विद्या, शिल्प (विविध वस्तुओं का निर्माण), वाणिज्य-व्यापार के लिए प्रेरित किया और कला की शिक्षाएं आम जन की जीवन यापन के लिए प्रदान कीं। राजा के दरबार में नीलांजना का नृत्य देखकर राजा को वैराग्य उत्पन्न हो गया और वे दीक्षा लेने के लिए वन की ओर चल दिए। इस दृश्य को देखकर माता मरुदेवी अश्रुपूरित नेत्रों से भगवान को रोकने का प्रयास करती हैं।
यह दृश्य देखकर पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। निलांजना नृत्य की मोहक प्रस्तुति अनन्या जैन एवं कुहू जैन ने की।
आचार्य विशुद्धसागर महाराज ने कहा कि दीक्षा प्रदान कर तप की क्रियाएं पूर्ण की जाती हैं तो देवों द्वारा वैराग्य की आराधना की जाती है। इस अवसर पर अनेक स्त्री पुरुषो ने संयम की साधना के लिए ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया। पंचकल्याणक महोत्सव में भोपाल, राजनगर, बमीठा खजुराहो, बड़ामलहरा, ललितपुर पृथ्वीपुर छत्तीसगढ़ भीलवाड़ा सागर बंडा बिजावर, आगरा आदि नगरों के श्रद्धालु भी जय जय अतिशय क्षेत्र पहुंचे।