मध्यप्रदेश के चुनावी महाभारत के मैदान में पांडव-कौरव और धृतराष्ट्र…

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मध्यप्रदेश के चुनावी महाभारत के मैदान में पांडव-कौरव और धृतराष्ट्र…

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इंडी गठबंधन के दिग्गज नीतीश कुमार का बयान इन दिनों चर्चा में है। बयान शर्मसार करने वाला है और नीतीश कुमार भी अब शर्मसार हैं। पर खुद की निंदा करने के बाद भी शायद नीतीश कुमार को इस निंदनीय कृत्य के लिए माफी नहीं मिल सकती। नीतीश के बयान ने यह संकेत दे दिए हैं कि उनकी राजनैतिक पारी अब बहुत लंबी नजर नहीं आती। मध्यप्रदेश के चुनावी महाभारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुख्य भूमिका में हैं। गुना की सभा में उन्होंने बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बयान के बहाने इंडी गठबंधन को खुलकर निशाने पर लिया। पर मध्यप्रदेश के चुनावी महाभारत में सबसे खास चर्चा पांडव और धृतराष्ट्र की हो रही है। और यह पांडव वाला बयान भी मध्यप्रदेश की चुनावी परिक्रमा में इंडी गठबंधन के नेता और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का है। खड़गे की जुबान पर पांडव आया तो भाजपा ने प्रदेश के कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को धृतराष्ट्र साबित करने में कोई देर नहीं की। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जुबानी जंग के अब सात दिन ही बचे हैं। ऐसे में चुनावी रण में अभी भी बहुत कुछ तीर चलने बाकी हैं। फिलहाल तो पांडव, धृतराष्ट्र, कौरव आ गए हैं। आगे देखते हैं और किस-किसकी एंट्री होती है। मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को पांच पांडवों वाले बयान पर घेरा है। उन्होंने दमोह में कहा कि कांग्रेस के अध्यक्ष रिमोट से चलते हैं। वे मेरे मित्र भी हैं। हमें गर्व है कि हम पांच पांडवों की राह पर हैं।

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पहले जान लेते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा पर क्या बयानबाजी की। खड़गे ने 7 नवंबर को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तीन केंद्रीय एजेंसियां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर विभाग ‘पांच पांडव’ हैं जिनके खिलाफ कांग्रेस लड़ रही है। खड़गे ने कहा था कि, ‘‘ कांग्रेस के पास एक उम्मीदवार (प्रति निर्वाचन क्षेत्र) है, लेकिन भाजपा के पास चार हैं। एक पार्टी उम्मीदवार है जो दिखाई दे रहा है, लेकिन तीन अन्य हैं जो अदृश्य हैं। ईडी जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह एक स्टार प्रचारक की तरह प्रचार कर रहा है। दूसरा उम्मीदवार है सीबीआई, जो विपक्षी उम्मीदवारों को कमजोर करने के लिए उनके पीछे पड़ती है और तीसरा उम्मीदवार है आयकर विभाग।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था कि, ‘‘इन तीनों के अलावा, मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हैं। वे प्राचीन समय के नहीं बल्कि आज के ‘पांच पांडव’ की तरह हैं, जो हमें हराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमें उन्हें सबक सिखाना होगा।’’

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में ताकत झोंकती भाजपा!

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8 नवंबर को कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, “कांग्रेस के अध्यक्ष खड़गे जी कह रहे थे कि भाजपा के पांच पांडव हमसे लड़ रहे हैं। इसका मतलब यह है कि कांग्रेस ने मान लिया वे कौरव हैं क्योंकि पांडव लड़ते हैं न्याय की लड़ाई, वे अधर्म के खिलाफ लड़ते हैं और कौरव लड़ रहे थे स्वार्थ की लड़ाई।” इसलिए यह स्वार्थ धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय की लड़ाई में पांडव जीतेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जी ने मान लिया कि वे कौरव है, महाभारत में तो एक ही धृतराष्ट्र थे जो अपने बेटे को राज्य दिलाने के लिए लड़ रहे थे और कौरवो के अंत का कारण बने। लेकिन एमपी कांग्रेस में तो दो-दो धृतराष्ट्र हैं कमल नाथ और दिग्विजय जो पुत्रों को स्थापित करने में पूरी कांग्रेस की तिलांजलि देकर मानेंगे। उन्होंने कहा दोनों को पार्टी नहीं अपने-अपने बेटों से मतलब है और दोनों ही अपने-अपने बेटों को मध्यप्रदेश में स्थापित करना चाहते हैं, बेटों को सत्ता दिलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह चक्की के दो पाट हो गए हैं,  इन दोनों पाटों के बीच में कांग्रेस पिस रही है। यह धृतराष्ट्र वाली कांग्रेस कभी चुनाव नहीं जीत सकती है।

वैसे मध्य प्रदेश के स्वच्छतम शहर इंदौर में कमलनाथ के खिलाफ लगाए गए एक पोस्टर पर भी सियासी संग्राम शुरू हो गया है। इसमें भिंडरावाले के जरिए कमलनाथ पर सवालिया निशान साधा गया था। खैर पोस्टर वार, जुबानी जंग, श्राद्ध, सनातन धर्म और महाभारत पांडव-कौरव, धृतराष्ट्र के साथ आगे-आगे देखिए कि कौन-कौन सी शब्दावलियां लोकतंत्र के पर्व में गढ़ी जाती हैं और आरोप-प्रत्यारोप के साथ एक-दूसरे पर मढ़ी जाती हैं…।