परिक्रमा: सर्जरी करते समय कहीं राहुल के हाथ कांपेंगे तो नहीं!

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परिक्रमा: सर्जरी करते समय कहीं राहुल के हाथ कांपेंगे तो नहीं!

           

– अरुण पटेल

 

लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी इन दिनों अक्सर कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान पर विशेष जोर दे रहे हैं और इस मामले में उन्होंने अभी तक गुजरात, मध्यप्रदेश और हरियाणा के नेताओं की अच्छी-खासी क्लास ली और उन्हें इशारों-इशारों में काफी कुछ खरी-खोटी सुनाई साथ ही भविष्य की राह भी दिखायी। लाख टके का सवाल यह है कि कांग्रेस में बड़ी सर्जरी करते समय अपने और परायों को देखकर राहुल के हाथ कांप तो नहीं जायेंगे।

उन्हें एक ऐसे कुशल सर्जन की भूमिका अदा करना होगी जिसमें आपरेशन करते समय कोई अपने अतिप्रिय चेहरे के सामने आने पर, जो कांग्रेस को रसातल में पहुंचाने के लिए असली कारण रहे हैं, उनके चेहरे देखकर हाथ कांपे नहीं। क्योंकि अब राज्यों में कांग्रेस की स्थिति धीरे-धीरे कमजोर हो रही है और उसे मजबूती होम्योपेथी की मीठी गोली से नहीं मिलेगी बल्कि चीर-फाड़ करना ही होगी, अन्यथा कोई खास नतीजा नहीं निकलेगा।

राहुल गांधी कांग्रेसजनों से रुबरु होते समय अक्सर घोड़े का जिक्र करते हैं और इसमें वे शादी के घोड़े और रेस के घोड़े का उल्लेख करते हैं, लेकिन हाल ही में जबसे राजधानी भोपाल आये तो उन्होंने लंगड़े घोड़े का जिक्र भी कर दिया और इसको लेकर सियासी हल्कों में तलवारें खिंच गयीं, यहां तक कि उनके पुराने मित्र और अब मोदी सरकार में काबीना मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मैदान में कूद पड़े और उन्होंने लंगड़े घोड़े शब्द पर आपत्ति जताई। लेकिन, वास्तव में कांग्रेस में ऐसे नेताओं की भरमार है जो अपनी अंध महत्वाकांक्षाओं के घोड़े विपरीत दिशाओं में दौड़ाते रहते हैं। क्या ऐसे नेताओं पर लगाम लगाने में राहुल सफल हो पायेंगे।

कांग्रेस में नेताओं की गणेश परिक्रमा करने वाले कार्यकर्ताओं की बहुतायत है और ऐसे लोग ही कई बार मौका मिलते ही सारी मलाई खाने पर टूट पड़ते हैं, लेकिन नेताओं से कटे और जमीन से जुड़े उन कार्यकर्ताओं की वास्तविक पहचान क्या हो पायेगी जो अपने सामर्थ्य पर किसी भी विपरीत परिस्थिति में भी मैदान में डटे रहते हैं और अपने हितों को लेकर सत्ता के साझेदार नहीं बनते। वहीं दूसरी ओर अवसर मिलते ही गणेश परिक्रमा करने वाले कार्यकर्ताओं और नेताओ की पौ बारह हो जाती है और इससे जो असली कार्यकर्ता है वह किनारे लग जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और उपनेता हेमंत कटारे भले ही मैदान में नजर आ रहे हों, लेकिन मौके पर कांग्रेस के मैदानी कार्यकर्ताओं को टंगड़ी मारकर जो लंगड़ा घोड़ा बना देते हैं क्या ऐसे लोगों को वे चिन्हित कर उन्हें किनारे लगा पायेंगे।

राहुल गांधी अक्सर कहते रहे हैं कि कभी-कभी शादी के घोड़े को रेस में दौड़ा देते हैं और रेस वाले घोड़े से शादी में काम ले लेते हैं। बीमारी के लक्षण तो उन्होंने पहचान लिए, लेकिन इस प्रकार के कामों में महारत हासिल असरदार नेताओं को क्या राहुल बेअसर कर पायेंगे। लंगड़े घोड़े से प्रारम्भ हुई सियासत में काली भैंस का भी प्रवेश हो गया है। प्रदेश में कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के शुभारंभ पर राहुल गांधी ने लंगड़े घोड़े शब्द का प्रयोग किया था और इस शब्द को लेकर अब सियासी पारा कुछ चढ़ने लगा है।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर अंतर्राष्ट्रीय पैरा स्वीमर पद्मश्री सत्येंद्र लोहिया ने भी आपत्ति दर्ज कराई। जबकि, कांग्रेस नेता राजेंद्र सिंह ने इस मामले में काली भैंस का भी प्रवेश करा दिया। राहुल गांधी के अभिन्न मित्र रहे कांग्रेस के पूर्व महासचिव और वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि विकलांग के स्थान पर सब लोग दिव्यांग कहते हैं और उन्हें भगवान का आशीर्वाद है। पर, राहुल अपशब्द का प्रयोग करते हैं, आखिर वे किस हद तक जायेंगे।

सत्येंद्र लोहिया ने सोशल मीडिया पर संबंधित पोस्ट में राहुल को कहा कि लंगड़ा शब्द से दिव्यांगों के आत्मसम्मान को ठेस लगी है, वे स्पष्टीकरण दें और भविष्य में ऐसा न कहें। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र सिंह ने जवाब दिया है कि लंगड़ा घोड़ा मुहावरा है, उन्होंने किसी विशेष के लिए नहीं कहा, कोई काली भैंस कहने पर बुरा माने तो हम क्या करें।

 

*और यह भी*

इन दिनों जातिगत जनगणना का मुद्दा सुर्खियों में है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जातिगत जनगणना कराने विषयक निर्णय के बाद इसका श्रेय लेने की होड़ मची है। कांग्रेस नेता इसे राहुल गांधी की जीत बता रहे हैं और मान रहे हैं कि राहुल के दबाव में आकर ही यह कदम उठाया गया है। जातिगत जनगणना की तिथि के ऐलान के बाद प्रदेश भाजपा कार्यालय में अनुसूचित जाति मोर्चे की प्रदेश स्तरीय बैठक हुई जिसमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि जनगणना के दौरान देश विरोधी ताकतें बरगलाने की कोशिश करेंगी।

लेकिन, सदस्यों को सतर्क रहना है। कांग्रेस को अपने निशाने पर लेते हुए शर्मा ने कहा कि डॉ बाबा साहब आम्बेडकर को कांग्रेस ने केवल अपमानित किया है ये सभी जानते हैं। अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ भोला सिंह का कहना था कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के दौरान अनुसूचित जाति समाज को संविधान के नाम पर भ्रमित किया तथा उसने यह दुष्प्रचार किया कि यदि भाजपा सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी।

मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ कैलाश जाटव ने बताया कि मोर्चा पदाधिकारी हर जिले में 25 लोग चिन्हित किये जायेंगे जो पांच-पांच घरों में जायेंगे और उन्हें बतायेंगे कि भाजपा सरकार ने डॉ. आम्बेडकर के लिए क्या-क्या किया। यह माना जा रहा है कि देश के आजाद होने के बाद पहली बार जातिगत जनगणना में पार्टी पूरी तरह चौकन्ना है, ताकि राजनीतिक नुकसान न हो। क्योंकि, राहुल गांधी जिसकी जितनी संख्या उसकी उतनी भागीदारी की बात लम्बे समय से कर रहे हैं।