पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो अभियान से MP के 13 जिलों के 3217 गांव होंगे लाभान्वित, निर्मित होंगे 21 बांध/बैराज
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज का दिन मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए ऐतिहासिक है। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पार्वती, चंबल और कालीसिंध नदी जोड़ो अभियान के लिए एमओयू होने वाला है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहल पर भारत सरकार द्वारा मध्यप्रदेश और राजस्थान को इस अद्भुत परियोजना के लिए 72 हजार करोड़ रुपये की बड़ी सौगात दी जाएगी। इससे मध्यप्रदेश के 13 जिलों में न केवल पीने के पानी की बल्कि सभी प्रकार की सिंचाई की व्यवस्था भी होगी। जल भगवान की देन है लेकिन जल का सद्पयोग सरकार के माध्यम से समाज के हित में होता है। गत 20 वर्ष से किसी ने किसी करण से राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच होने वाला समझौता टला। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह बदलाव का दौर है। इस परियोजना से श्योपुर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, अशोक नगर सहित आगर, इंदौर, धार, उज्जैन, शाजापुर, राजगढ़, सीहोर इत्यादि संपूर्ण पश्चिमी मध्यप्रदेश में पीने के पानी और सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था रहेगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राजस्थान के ग्राम दादिया (जयपुर) में पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के शुभारंभ कार्यक्रम में सहभागी होने के लिए भोपाल से रवाना होने के पहले मीडिया के लिए जारी संदेश में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह विचार व्यक्त किए।
मालवा और चंबल के 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर क्षेत्र में होगी सिंचाई और 40 लाख आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा
उल्लेखनीय है कि इस परियोजना से प्रदेश के 3217 ग्रामों को लाभ मिलेगा। मालवा और चंबल क्षेत्र में 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त लगभग 60 वर्ष पुरानी चंबल दाईं मुख्य नहर एवं वितरण-तंत्र प्रणाली के आधुनिकीकरण कार्य से भिंड, मुरैना एवं श्योपुर जिले में कृषकों की मांग अनुसार पानी उपलब्ध कराया जाएगा। पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की अनुमानित लागत 72 हजार करोड़ है, जिसमें मध्यप्रदेश 35 हजार करोड़ और राजस्थान 37 हजार करोड़ रूपये व्यय करेगा। केन्द्र की इस योजना में कुल लागत का 90 प्रतिशत केन्द्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश रहेगा। परियोजना की कुल जल भराव क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी। साथ ही 172 मिलियन घन मीटर जल, पेयजल और उद्योगों के लिये आरक्षित रहेगा। परियोजना अंतर्गत 21 बांध/बैराज निर्मित किये जाएंगे।