Patanjali Case : सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि मामले में IMA अध्यक्ष को कहा ‘अपने खर्चे पर माफीनामा छपवाएं!’

IMA अध्यक्ष के इंटरव्यू को कोर्ट की अवमानना माना, अगली सुनवाई 27 अगस्त को!

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Patanjali Case : सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि मामले में IMA अध्यक्ष को कहा ‘अपने खर्चे पर माफीनामा छपवाएं!’

New Delhi : मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अध्यक्ष डॉ आरवी अशोकन से एक इंटरव्यू के माफीनामे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया। कोर्ट ने पूछा कि क्या कोर्ट की अवमानना के लिए माफी उन अखबार में पब्लिश हुई, जहां न्यूज एजेंसी को दिया इंटरव्यू प्रकाशित हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अशोकन के खुद के पैसों से ये माफीनामा छपना चाहिए, न कि IMA फंड से। बेंच इस मामले में अगली सुनवाई 27 अगस्त को करेगी।

सुप्रीम कोर्ट आईएमए द्वारा 2022 में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें पतंजलि द्वारा कोविड टीकाकरण अभियान और मॉडर्न मेडिकल प्रैक्टिसेस को बदनाम करने का आरोप लगाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल को सुनवाई के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा था कि आईएमए एक उंगली पतंजलि की ओर उठा रहा है, जबकि बाकी चार उंगलियां उनकी ओर हैं।

इसके बाद 29 अप्रैल को IMA अध्यक्ष डॉ आरवी अशोकन ने कोर्ट की टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के अस्पष्ट बयानों ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है। पतंजलि ने कोर्ट को इस बयान के बारे में बताया था। बेंच ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और आईएमए चीफ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। साथ ही अखबारों में माफी मांगने का निर्देश दिया था। इसके बाद अशोकन ने 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनकी बिना शर्त माफी कई पब्लिकेशंस में पब्लिश कर दी गई है। माफीनामें को एसोसिएशन की मंथली पब्लिकेशन, आईएमए वेबसाइट और न्यूज एजेंसी में प्रकाशित की गई।

सुनवाई में क्या हुआ था
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने 7 मई को आईएमए की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की थी। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया।
बेंच ने कहा था कि अगर लोगों को प्रभावित करने वाले किसी प्रोडक्ट या सर्विस का विज्ञापन भ्रामक पाया जाता है, तो सेलिब्रिटीज और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स भी समान रूप से जिम्मेदार हैं। आईएमए की आलोचना में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि आप (आईएमए) कहते हैं कि दूसरा पक्ष (पतंजलि) गुमराह कर रहा है। आपकी दवा बंद कर रहा है, लेकिन आप क्या कर रहे थे! हम स्पष्ट कर दें, यह अदालत किसी भी तरह की पीठ थपथपाने की उम्मीद नहीं कर रही है।