
पतंजलि गाय के घी पर गुणवत्ता विवाद, ADM कोर्ट ने 1.40 लाख का लगाया जुर्माना, कंपनी ने कहा-आदेश त्रुटिपूर्ण, उच्चतर न्यायालय में अपील करेंगे
देहरादून/पिथौरागढ़। योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इस बार मामला उसके बहुचर्चित ‘गाय के घी’ की गुणवत्ता को लेकर उठा है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में ADM न्यायालय ने राज्य और केंद्रीय लैब में घी के सैंपल फेल होने के बाद पतंजलि के निर्माता, वितरक और खुदरा विक्रेता पर कुल 1.40 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। मामला तेजी से राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है, क्योंकि पतंजलि अपने उत्पादों की शुद्धता को अपनी पहचान मानता रहा है।
▪️सैंपल जांच में घी फेल, कोर्ट की कार्रवाई
▫️पिथौरागढ़ जिले में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने पिछले वर्ष निरीक्षण के दौरान पतंजलि के गाय के घी के सैंपल लिए थे। इन सैंपल्स को पहले राज्य प्रयोगशाला और फिर केंद्रीय खाद्य प्रयोगशाला में भेजा गया। दोनों ही जगह परीक्षण में उत्पाद निर्धारित मानकों पर खरा नहीं उतरा। रिपोर्ट में घी की संरचना व गुणवत्ता को लेकर गंभीर कमियां बताई गईं।
इन रिपोर्टों को आधार बनाते हुए अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (ADM) कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के निर्माता पर 1.25 लाख और वितरक व खुदरा विक्रेता पर 15,000 रुपए का दंड लगाया। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि खाद्य सुरक्षा से जुड़े मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही उपभोक्ता स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकती है।
▪️पतंजलि ने कहा- आदेश त्रुटिपूर्ण, करेंगे अपील
▫️जुर्माना लगाए जाने के बाद पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने बयान जारी कर कहा कि ADM कोर्ट का आदेश “विधि-विरुद्ध और त्रुटिपूर्ण” है। कंपनी ने दावा किया कि वह गुणवत्ता मानकों के प्रति बेहद सख्त है और उसके उत्पादों की शुद्धता पर सवाल उठाना “तथ्यहीन और तकनीकी रूप से गलत” है। कंपनी इसके खिलाफ उच्चतर न्यायालय में अपील करने की तैयारी कर रही है।
▫️पतंजलि ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि देशभर में उसके घी के लाखों उपभोक्ता हैं और वे वर्षों से इस उत्पाद पर विश्वास करते आए हैं। कंपनी खाद्य सुरक्षा विभाग और उपभोक्ताओं के हर सवाल का जवाब वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर देने को तैयार है।
▪️उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ी
▫️घी भारतीय भोजन का मुख्य हिस्सा होने के कारण यह विवाद उपभोक्ताओं में भी चिंता पैदा कर रहा है। सोशल मीडिया पर कई उपभोक्ता सवाल उठा रहे हैं कि अगर दावे किए जा रहे “शुद्ध घी” के सैंपल लैब टेस्ट में फेल होते हैं तो छोटे ब्रांडों की गुणवत्ता कितनी विश्वसनीय होगी। कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि इस मामले को उदाहरण बनाकर देशभर में तैयार खाद्य उत्पादों की नियमित और पारदर्शी सैंपलिंग जरूरी है।
▪️पहले भी विवादों में रहा है पतंजलि
▫️यह पहला मौका नहीं है जब पतंजलि के उत्पाद गुणवत्ता को लेकर सवालों में आए हों। इससे पहले भी आयुर्वेदिक दवाओं और कई खाद्य उत्पादों को लेकर राज्य स्तरीय एजेंसियों ने परीक्षण के बाद आपत्तियां दर्ज की थीं। हाल ही में कंपनी सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का भी सामना कर चुकी है, जब उसके विज्ञापनों में ‘झूठे दावों’ पर आपत्ति जताई गई थी।
▪️आगे क्या?
▫️ADM कोर्ट के जुर्माने के बाद अब मामला उच्चतर न्यायालय में जाएगा, जहां पतंजलि अपनी दलील रखेगा। खाद्य सुरक्षा विभाग पूरे राज्य में अन्य ब्रांडों के सैंपलिंग अभियान को तेज कर सकता है।
📍देश की सबसे बड़ी FMCG कंपनियों में से एक पतंजलि पर लगे इस आरोप का असर बाजार और उपभोक्ता दोनों पर पड़ेगा या नहीं, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।





