विचित्र सत्य: Patni Pidit Purush Ashram, Aurangabad -पत्नी पीड़ित पुरुषों के लिए अनोखा आश्रम
औरंगाबाद से 12 किलोमीटर दूर शिरडी-मुंबई हाईवे पर बसे इस आश्रम मे सलाह लेने वालों की संख्या आए दिन बढती जा रही है। अब तक 500 लोग सलाह ले चुके हैं। हाईवे से देखें तो सामान्य घर की तरह दिखने वाले इस आश्रम के भीतर जाते ही अलग अनुभव मिलता है।पत्नी द्वारा सताए हुए पुरुषों के लिए अब आशा की एक किरण बनकर पत्नी पीड़ित आश्रम उभरा है. मतलब एक ऐसा आश्रम जहां पत्नी द्वारा सताए हुए पुरुष अपने दुखों से टूटकर जाते हैं. अपना आसरा इसी आश्रम को समझते हैं और पत्नी से इतने प्रताड़ित हो चुके हैं कि और कुछ नहीं दिखता.9 नवंबर 2016 पुरूष अधिकार दिवस के अवसर पर आश्रम की शुरूआत कर डाली।
पत्नी पीड़ित आश्रम महाराष्ट्र के औरंगाबाद के करीब है. हालांकि, इसके बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं है, लेकिन रिपोर्ट की मानें तो इसकी नींव रखने वाले इंसान का नाम है भारत फुलारे. शहर से 120 किलोमीटर दूर एक छोटा सा आश्रम जहां ऐसे लोग आते हैं जिनकी जिंदगी उनकी पत्नियों ने खराब कर दी है. पत्नियों द्वारा प्रताड़ित हो चुके कई पति यहां पर रह रहे हैं। वहीं कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए भी यह आश्रम उनकी मदद करता है। इस आश्रम में छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश से भी लोग कानूनी सलाह लेने के लिए आते हैं।
हर शनिवार, रविवार की सुबह 10 से शाम 6 बजे तक पत्नी-पीडितों की काउंसलिंग की जाती है। शुरूआत में केवल शहर और आसपास के लोग आते थे। अब छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश से तकरीबन आश्रम मे सलाह लेने के लिए आ रहे है।
अनुभवी वकील के पास जिस तरह केस की डिटेल्स होती है उसी तरह आश्रम के संस्थापक भारत फुलारे गवाह और सबूतों की फाईल बनाते है।जिन भारत फुलारे का ये आश्रम है उनके खिलाफ खुद 147 केस दर्ज हैं. मतलब आप सोच सकते हैं कि वो इंसान किस हद तक पत्नी प्रताड़ित होगा. 147 केस अकेले उनकी पत्नी ने ही दर्ज करवाए हैं.
फुलारे ने अपनी 1200 स्क्वेयर फीट जगह पर आश्रम के लिए तीन रूम बनाए हैॆ। आश्रम मे रहने वाले पुरूष खिचड़ी, रोटी, सब्जी, दाल सबकुछ खुद ही बनाते है। सलाह लेने के आने वाले हर व्यक्ति को खिचड़ी बनाकर खिलाई जाती है। आश्रम मे रहने वाले सदस्य पैसे जमा कर यहां का खर्चा उठाते है। आश्रम मे रहने वाले लोगों मे कोई टेलर है तो कोई गैराज का मैकनिक है।
कौए की होती है पूजा…
इस आश्रम में कौए की पूजा होती है. कारण ये कि कौआ अपने बच्चों का ध्यान रखता है. मादा कौआ अंडे देकर उड़ जाती है और नर चूजे निकलने से लेकर उनके उड़ने लायक बनने तक उनका ख्याल रखता है और यही लॉजिक यहां दिया जाता है. मतलब नर कौए की तरह अपनी जिम्मेदारियों का वहन करने वाले पुरुष यहां आते हैं जिनकी पत्नियों ने उनका ख्याल नहीं रखा.
1200 वर्गफिट में बने इस आश्रम में हर शनिवार बेचारे पतियों की काउंसलिंग भी होती है. दावा तो ये भी किया जा रहा है कि अब तक यहां 500 से ज्यादा लोग काउंसलिंग के लिए आ चुके हैं.
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