रामभक्ति से बड़ी राष्ट्रभक्ति और ज्ञान, भक्ति से बड़ा कर्म मार्ग …

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रामभक्ति से बड़ी राष्ट्रभक्ति और ज्ञान, भक्ति से बड़ा कर्म मार्ग …

मध्यप्रदेश में इन दिनों माहौल भक्तिमय है। प्रदेश सरकार के मंत्री अपने क्षेत्र में श्रीमद् भागवत कथा के जरिए सामाजिक उत्थान के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। संत कथा के जरिए राष्ट्रभक्ति का उपदेश दे रहे हैं, तो अवसर मिलने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी एक श्रेष्ठ उपदेशक के दायित्व का निर्वहन करने से नहीं चूकते। मंगलवार को हरदा और खुरई में समाज को राष्ट्रभक्ति और कर्मप्रधानता की महत्ता बताते हुए संत और सत्ता की सीख निश्चित तौर पर हर नागरिक को जिम्मेदारी का अहसास कराती है।
हरदा में कृषि मंत्री कमल पटेल द्वारा देश की जानी मानी कथा वाचिका सुश्री जया किशोरी की सात दिवसीय भागवत कथा के समापन दिवस पर मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत 133 कन्याओं का विवाह समारोह आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने नवदम्पत्तियों को आशीर्वाद दिया। तो उपस्थित श्रोताओं को संबोधित किया कि परम पिता परमेश्वर को प्राप्त करने के लिये तीन मार्ग भक्ति मार्ग, ज्ञान मार्ग व कर्म मार्ग हैं। यदि हम अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा व लगन से बिना किसी फल की इच्छा से इमानदारी से करें तो इस कर्म मार्ग के माध्यम से भी परम पिता परमेश्वर को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सक को मरीज का इलाज अच्छी तरह करना चाहिए तथा शिक्षक को बच्चों को पूरी इमानदारी से पढ़ाना चाहिए। सभी लोग अपना कर्तव्य बेहतर तरीके से करेंगे तो प्रदेश का विकास होगा और नागरिकों का कल्याण भी होगा। यह भी बताया कि प्रदेश सरकार नागरिकों की भलाई के लिये कार्य कर अपना कर्तव्य पूरा कर रही है और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से समाज के सभी वर्ग के लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
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वहीं संत श्री कमल किशोर नागर जी ने खुरई में मुख्य यजमान नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह के क्षेत्र में श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें सोपान में लीक से हट कर देश की सामयिक आवश्यकताओं को लेकर श्रद्धालुओं को जागृत किया। उन्होंने कहा कि साधु से बड़ा स्थान सैनिक का है। साधु की भक्ति से बड़ी सैनिक की राष्ट्रभक्ति है और रामभक्ति से भी बड़ी राष्ट्रभक्ति है। एक सैनिक का जीवन राष्ट्र के प्रति उसके माता पिता की भावनाओं का अर्पण है। सैनिक वेतन के लिए नहीं वतन के लिए हिमखंडों की शीत में भी राष्ट्र की रक्षा के लिए खड़ा होता है। और श्रध्दालुओं से आह्वान किया कि भूल से भी खुरई से लेकर केंद्र तक की सत्ता मत बदल देना यही सत्ता आज देश की आवश्यकता है।
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लगभग सवा लाख से ज्यादा भक्तों से भरे कथा पंडाल को संबोधित करते हुए उन्होंने  कहा कि यह राजनैतिक नहीं धार्मिक कथा है। लेकिन व्यासपीठ को भी कभी आवश्यकता पड़ जाती है कि वह अपने अधिकार का प्रयोग कर कुछ विषयों पर मार्गदर्शन करे। प्रबुद्ध जन इस आवश्यकता को समझ लेंगे। हमारे सैनिक वतन के लिए शीत में रात दिन पहरा दे रहे हैं और दुष्ट शत्रु उनके सम्मुख मौत का तांडव कर रहे हैं। सैनिक निर्दोष है और हमारे लिए 24 घंटे खतरे में रहता है। जब भी आप सब तप भजन करें तो अपने पुण्य का एक अंश सैनिक को अर्पण करने का संकल्प करें। इस कथा के पुण्य का एक हिस्सा इस भावना से है कि हमारा हर सैनिक अपने घर सकुशल लोटे। श्री नागर जी ने भरे गले और अश्रुओं से डबडबाते नेत्रों से व्यक्त किया कि जिस सैनिक की वीरगति होती है उसकी मां, बहिन, पत्नी के हृदयों से पूछो कि वे कितना विराट त्याग कर देती हैं।
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निश्चित तौर पर कथा का मुख्य उद्देश्य समाज को सही राह दिखाना होता है। संत हों या राजनेता, जो भी सही राह दिखाए…उसका सम्मान समाज भी करता है। रामभक्ति और राष्ट्रभक्ति, साधु और सैनिक का अंतर और महत्ता बताने के लिए संत नागर जी का साधुवाद, तो परमात्मा प्राप्ति के लिए कर्म मार्ग की महत्ता बताने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज का आभार। साथ ही चाहे मंत्री गोपाल भार्गव हों या फिर कमल पटेल और भूपेंद्र सिंह…कथा के जरिए अपने विधानसभा क्षेत्र की लाखों जनता को सही मार्ग दिखाने का माध्यम बनने के लिए सभी साधुवाद के हकदार हैं।