हार्ट अटैक से पटवारी की मौत: आक्रोशित पटवारी संघ ने खोला मोर्चा, SDM पर प्रताड़ित करने का आरोप                 

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हार्ट अटैक से पटवारी की मौत: आक्रोशित पटवारी संघ ने खोला मोर्चा, SDM पर प्रताड़ित करने का आरोप                  

  *संभागीय ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की रिपोर्ट*      

नर्मदापुरम। SDM पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए पटवारी संघ ने कहा कि उनके द्वारा दुर्भावना पूर्ण कार्यवाही से एक पटवारी की जान चली गई। पटवारी संघ का आरोप है कि तहसील पिपरिया में पदस्थ पटवारी प्रवीण मेहरा की आज पेशी से आने के बाद तनाव के चलते हार्टअटैक आने से दर्दनाक मौत हो गई।

संघ में कलेक्टर सोनिया मीना को एक ज्ञापन सौंप कहा है कि एसडीएम द्वारा दी गई मानसिक प्रताड़ना और गलत कार्यवाही से पटवारी की असामयिक मृत्यु हुई है। आक्रोशित जिले के पटवारियों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा।

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पटवारी संघ पदाधिकारियों ने बताया कि एक फौती के न्यायालय, तहसीलदार द्वारा किए गये आदेश में अनुविभागीय अधिकारी ने आदेश करने वाले, जांच करने वाले, न्यायालय में बयान लेने वाले आवेदक से लेकर आदेश तक की प्रक्रिया में संलग्न समस्त अधिकारी, कर्मचारियों को छोड़ते हुए मात्र दुर्भावना के चलते पटवारी पर एफआईआर करा दी। जबकि किसी भी मामले में पटवारी केवल वस्तुस्थिति का स्थानीय पूछताछ के आधार पर प्रतिवेदक होता है न कि निर्णायक और न ही जांच करता है। अगर स्थानीय लोगों द्वारा गलत जानकारी दी जाती है तो पटवारी के पास ऐसा कोई संयंत्र या पैमाना नहीं कि वो झूठ पकड़ सके। कर्तव्य निर्वहन के दौरान स्थानीय स्तर पर प्राप्त मिथ्या जानकारी के लिए पटवारी कैसे दोषी हो सकता है। न्यायालय को समुचित जांच करनी चाहिए, फिर आदेश करना चाहिए। अन्यथा न्यायालय का औचित्य क्या रहा। आदेश करने वाला, बयान लेने वाले, झूठी जानकारी देने वालों को छोड़कर मात्र पटवारी पर एफआईआर कराना साफ प्रदर्शित करता है कि पटवारी को मरने तक प्रताड़ित करने के लिए ये काम नियमों को ताक पर रखकर किया गया है ।

नर्मदापुरम के पटवारियों ने कहा है कि 24 घंटे में दोषियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और गलत आदेश पारित करने पर एफआईआर कराई जाये तथा उक्त दोषी अधिकारी को तत्काल हटाया जाय। जो न्यायालय पटवारी प्रतिवेदन के आधार पर आदेश कर रहे हैं और अंत में गलत आदेश के होने पर पटवारी की जवाबदेही होगी,लिखकर आदेश कर रहे हैं, इस गलत निर्णय परंपरा को भी बंद कराया जाए। क्योंकि सब कुछ यदि पटवारी ही कर रहा है तो फिर न्यायालय क्या कर रहा है। अतः ऐसे गैरवाजिब आदेशों को बंद किया जाए। मृतक की पत्नी को शीघ्र अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। साथ ही विभिन्न गलत निर्णयों को सुधारने की कार्यवाही करने की मांग रखी गई है।

यह भी कहा गया है कि 24 घंटे में कार्यवाही नहीं होती है तो सभी पटवारी शुक्रवार से सामूहिक अवकाश पर चले जायेंगे और तीन दिन में भी कार्यवाही न होने पर संपूर्ण काम बंद कर देंगे, कार्यवाही न होने तक के लिए। कलेक्टर ने सभी को जांच का भरोसा दिलाया है।

 

ज्ञात रहे कि मृतक युवा पटवारी प्रवीण मेहरा की इलाज के अनुक्रम में मृत्यु हो गई थी । पिपरिया तहसील में पदस्थ प्रवीण मेहरा आयु 37 वर्ष,मूल निवासी रसूलिया,नर्मदापुरम, एक निजी अस्पताल में एडमिट थे। बताया जाता है कि उनकी ब्लड टेस्ट रिपोर्ट डेंगू पॉजिटिव की आई थी। शरीर में मल्टीपल ऑर्गन फैल होने से हार्ट अटैक की आशंका जताई गई। पोस्टमार्टम के बाद सेंपल जांच हेतु लैब भेजे गए हैं। पटवारी प्रवीण के दो छोटे छोटे बच्चे हैं। एक बेटा नर्सरी में एक बेटी के जी वन कक्षा में पढ़ रहे हैं। पोस्टमार्टम उपरांत परिजन उनके शव को लेकर नर्मदापुरम लाए और सायंकाल राजघाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ जिसमें बड़ी संख्या में जिले के पटवारी गण शरीक हुए।

इस संबंध में पिपरिया SDM संतोष तिवारी से तो बात नहीं हो पाई पर उनसे जुड़े सूत्रों ने दावा किया कि पटवारी संघ ने जो आरोप लगाए, सभी बेबुनियाद और मनगढ़ंत हैं। साहब प्रतिदिन पटवारी, सहित सभी लोगों से मिलते हैं पर कभी अभद्रता पूर्ण भाषा में बात नहीं करते। कलेक्टर जांच में यह बात सबके सामने आ भी जाएगी। ज्ञापन देने वालों में अंजू नारोलिया, देवेन्द्र जाटव, दिनेश तिवारी, नरेंद्र सोलंकी, प्रवीण चौधरी, भगवत चौहान, प्रताप ठाकुर, सुमित वर्मा, प्रकाश विलासपुरिया, शिखा शर्मा, सरिता सिंधु, जितेन्द्र पाटकर, श्वेता गौर,ममता पथोरिया, नितिन शर्मा, मुकेश गौर, मुकेश कुर्मी, श्याम रघुवंशी,प्रदीप यादव,लोकेश ठाकरे, देवेन्द्र खंडेरिया, अरविंद रघुवंशी, हरि स्वामी,प्रशांत शर्मा सहित सैंकड़ों की संख्या में जिले के सभी पटवारी उपस्थित रहे।