

Penalty on TI : इंदौर के द्वारकापुरी थाने के TI पर ₹5000 अर्थदंड, प्रधान आरक्षक और हाजिरी अधिकारी को भी सजा!
Indore : संक्रांति के दिन पतंग के मांझे से एक छात्र की मौत होने और द्वारकापुरी थाने में रिपोर्ट नहीं लिखे जाने के मामले में यह बात सामने आई कि थाने के टीआई, प्रधान आरक्षक और हाजिरी अधिकारी ने लापरवाही की। पुलिस जांच के बाद पुलिस उपायुक्त ऋषिकेश मीणा ने टीआई आशीष सप्रे पर 5 हजार का अर्थदंड किया। प्रधान आरक्षक प्रताप पटेल, हाजिरी अधिकारी सहायक उपनिरीक्षक कमलेश डाबर को भी 1-1 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। इस घटना से पहले विजय नगर के टीआई रहे रविंद्र गुर्जर का भी एक मामले में दोषी पाए जाने पर डिमोशन कर दिया गया था!
घटना के मुताबिक,14 जनवरी को हिमांशु पिता संजय सोलंकी की पंतग के मांझे से गले पर चोट लगने से मौत हो गई थी। इस घटनाक्रम का तथ्यात्मक प्रतिवेदन त्रुटिकर्ता अधिकारी, कर्मचारी का निर्धारण करते हुए सहायक पुलिस आयुक्त शिवेंदु जोशी अन्नपूर्णा से प्राप्त हुआ था। इसके अनुसार घटना की सूचना 14 जनवरी को ड्यूटी पर तैनात एचसीएम प्रधान आरक्षक प्रताप पटेल को मिली थी।
एचसीएम ने सूचना के आधार पर घटनास्थल गोपुर चौराहा से फूटीकोठी के बीच थाना अन्नपूर्णा क्षेत्र होना मानकर संबंधित थाने को नोट करने कम्प्यूटर आपरेटर आरक्षक पंकज को कहा। किन्तु उक्त सूचना पर उपस्थित थाना प्रभारी आशीष सप्रे एवं हाजिरी अधिकारी सहायक उप निरीक्षक कमलेश डाबर को नहीं दी।
द्वारकापुरी थाने पर घटना से संबंधित सूचनाकर्ता संतोष अलोने भी उपस्थित हुआ। हाजिरी अधिकारी डाबर को घटना की सूचना दी। इसके बावजूद हाजिरी अधिकारी ने सूचना से थाना प्रभारी को अवगत नहीं कराया। इस तरह गंभीर प्रकृति की घटना संज्ञान में आने के बाद भी स्टाफ द्वारा टीआई को सूचना नहीं दी जाना निरीक्षक का उनके अधीनस्थों पर प्रभावी नियंत्रण एवं परस्पर संवाद की कमी दर्शाता है।
पूर्व में भी टीआई द्वारा फरियादी (सूचनाकर्ता) को इसी प्रकार संवेदनहीनता की कमी से टाला गया था। उनके इस असंवेदनशील बर्ताव से 15 दिन में दो बार चक्काजाम से कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति निर्मित हुई, जो न सिर्फ पुलिस की छवि को धूमिल करता है, वरन टीआई की कार्यप्रणाली और कार्यक्षमता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है।
टीआई का अपने अधीनस्थों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं होने तथा थाना क्षेत्रा की गंभीर घटना की सूचना प्राप्त करने का प्रयास नहीं कर पदीय कर्तव्यों के प्रति लापरवाही है। इसलिए टीआई और संबंधित दोषियों को यह अर्थदंड की सजा से दी गई।
टीआई का डिमोशन कर दिया
इसके एक सप्ताह पहले विजय नगर क्षेत्र में टीआई रहते हुए स्कूली बच्चों को ऑनलाइन सट्टे में फंसाने वाले थाना प्रभारी का पुलिस आयुक्त संतोष सिंह ने डिमोशन किया था। विजय नगर थाने के प्रभारी रहे रवींद्र गुर्जर को निरीक्षक बनाया गया। इसके अलावा ब्लैकमेलिंग में शामिल एक एसआई और आरक्षक की वेतनवृद्धि भी रोकी गई। यह घटना 2024 की है।
विजय नगर थाना क्षेत्र में एसआई संजय धुर्वे ने ऑनलाइन सट्टा खेलने का आरोप लगाकर कुछ स्कूली बच्चों को पकड़ा था। ये बच्चे मेघदूत उपवन के बाहर मिले थे। इसके बाद एक बच्चे के परिजन के रिश्तेदारों से 10 हजार की रिश्वत भी ली गई। इसकी शिकायत पुलिस अफसरों को मिली। तब इसकी जांच शुरू हुई थी। जांच में पाया गया कि अवैध वसूली में थाना प्रभारी रवींद्र गुर्जर भी शामिल है।