Petition of IAS Dismissed : पत्रकार का मकान गिराने वाले IAS अमरनाथ उपाध्याय की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज की!

दोषी अफसरों की मुसीबत बढ़ी, रिटायरमेंट से पहले IAS कई मुश्किल में फंसे!

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Petition of IAS Dismissed : पत्रकार का मकान गिराने वाले IAS अमरनाथ उपाध्याय की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज की!

Prayagraj : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के दो मंजिला पैतृक मकान को गैरकानूनी ढंग से गिराए जाने के मामले में अफसरों द्वारा बचाव के लिए दाखिल याचिका को 13 अगस्त को खारिज कर दिया। इसके बाद दोषी अफसरों की मुसीबत और बढ़ गई। आईएएस अमरनाथ उपाध्याय की सेवानिवृत्ति में महज पाँच महीने बचे हैं और उनकी मुसीबत बढ़ गई।

महाराजगंज जनपद मुख्यालय पर स्थित वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के दो मंजिला पैतृक मकान व दुकानों को सभी सामानों सहित तत्कालीन कलेक्टर अमरनाथ उपाध्याय ने 13 सितंबर 2019 को बुलडोजरों से गैरविधिक तरीके से ध्वस्त करा दिया था। इसकी शिकायत पीड़ित ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से की, जिसकी जांच दिल्ली से महाराजगंज आकर आयोग की टीम ने नवंबर 2019 में की थी।

मानव अधिकार आयोग की जांच में अफसरों को दोषी पाया गया। इसके बाद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने 6 जुलाई 2020 को आदेश पारित किया और राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे पीड़ित को 5 लाख रुपये का दंडात्मक मुआवजा दें। इसके साथ ही जिला प्रशासन, लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग तथा पुलिस विभाग के सभी दोषी अधिकारियों के विरुद्ध मुख्य सचिव कठोरतम विभागीय व दंडात्मक कार्रवाई करें, जिन्होंने शिकायतकर्ता के मकान को गिराया है। राज्य के डीजीपी पीड़ित पत्रकार की एफआईआर दर्ज करें तथा इसकी विवेचना CBCID उत्तर प्रदेश से कराएं।

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आयोग की कार्यवाही से बचने के लिए अफसरों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका संख्या रिट C-13599 ऑफ 2020, राज्य सरकार बनाम राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग व मनोज टिबड़ेवाल आकाश दाखिल की। इस याचिका को बुधवार 13 अगस्त 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो जजों सरल श्रीवास्तव और अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने खारिज कर दिया।

पत्रकार के पत्र को स्वत: संज्ञान याचिका में बदलकर सुनवाई

इससे पहले 6 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित पत्रकार के चार पन्नों के शिकायती पत्र को स्वत: संज्ञान याचिका में बदलकर सुनवाई की और आदेश दिया था कि पीड़ित का मकान गैरकानूनी ढंग से गिराए जाने के लिए अफसर दोषी हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पीड़ित को राज्य के मुख्य सचिव ने 25 लाख रुपए का दंडात्मक मुआवजा तथा क्षतिपूर्ति की अन्य धनराशियां दी गईं।

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कलेक्टर समेत कई पर एफआईआर

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य के डीजीपी ने महाराजगंज कोतवाली में मुकदमा अपराध संख्या 629/2024, धारा 147, 166, 167, 323, 504, 506, 427, 452, 342, 336, 355, 420, 467, 468, 471 एवं 120बी के तहत तत्कालीन कलेक्टर अमरनाथ उपाध्याय, तत्कालीन एडीएम कुंजबिहारी अग्रवाल, एनएच के अधिशासी अभियंता मणिकांत अग्रवाल, इंजीनियरों, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व ठेकेदारों सहित 26 नामजद के खिलाफ एफआईआर पंजीकृत कराई गई। इसकी विवेचना वर्तमान में CBCID उत्तर प्रदेश द्वारा की जा रही है। अमरनाथ उपाध्याय की सेवानिवृत्ति को पाँच महीने ही बचे हैं।

पूर्व कलेक्टर को आय से अधिक संपत्ति का दोषी पाया

पीड़ित पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश की एक अन्य शिकायत में उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त जस्टिस संजय मिश्र ने पूर्व कलेक्टर अमरनाथ उपाध्याय को गैरकानूनी ढंग से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का दोषी पाया है। इसके बाद लोकायुक्त ने राज्य के मुख्य सचिव को इसकी विस्तृत जांच यूपी पुलिस की विजिलेंस शाखा से कराने का आदेश दिया है।