Petrol Diesel Banned in MP: मध्यप्रदेश में पुरानी गाड़ियों को डीजल-पेट्रोल नहीं मिलेगा, राज्य सरकार के निर्देश जारी! 

प्रदेश का पर्यावरण सुधारने के मुख्यमंत्री ने बैठक में कई मुद्दों पर बात की!

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Petrol Diesel Banned in MP

Petrol Diesel Banned in MP: मध्यप्रदेश में पुरानी गाड़ियों को डीजल-पेट्रोल नहीं मिलेगा, राज्य सरकार के निर्देश जारी! 

Bhopal : पर्यावरण विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अधिकारियों को नए सिरे से काम करने के निर्देश दिए! उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु गुणवत्ता कार्यक्रम’ की तरह प्रदेश भी ऐसा ही राज्य स्तरीय कार्यक्रम बनाया जाएगा। इसमें 100 या इससे अधिक गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) वाले शहरों को शामिल करने की योजना है। योजना के तहत प्रदेश में 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को डीजल-पेट्रोल नहीं दिया जाएगा।

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इसका कारण यह कि सर्दियों में ग्वालियर, भोपाल, सिंगरौली और जबलपुर जैसे कई शहर वायु प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हो जाते हैं। ग्वालियर की हालत तो दिल्ली जैसी हो जाती है और यहां हवा की गुणवत्ता बताने वाला क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 400 के पार हो जाता है। गंभीर स्तर के इस वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पुरानी गाड़ियों का धुआं और खराब सड़कें हैं। राज्य सरकार ऐसे हालातों से मुक्ति के लिए दिल्ली की तरह व्यवस्था लागू करेगी। इसके तहत 15 साल से ज्यादा पुरानी गाडिय़ों को पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा।

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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु गुणवत्ता कार्यक्रम की तरह मध्यप्रदेश भी राज्य स्तरीय कार्यक्रम बनाएगा। इसमें 100 या इससे अधिक एक्यूआई वाले शहर शामिल होंगे। इन शहरों की व्यवस्था पर नए सिरे से काम होगा।

मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को पर्यावरण विभाग की समीक्षा बैठक में इस पर अधिकारियों को नए सिरे से काम करने के निर्देश दिए। उन्होंने ‘सिंहस्थ’ को देखते हुए शिप्रा और कान्ह नदी के जल की गुणवत्ता की लगातार निगरानी करने के भी निर्देश दिए। यह भी कहा कि रामसर साइट अधिसूचित किए जाएं और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले डिस्चार्ज का प्लांट में ही ट्रीटमेंट हो।

पुरानी गाड़ियों का ठिकाना बना

पिछले कुछ सालों से मध्य प्रदेश पुरानी गाडिय़ों का ठिकाना बन रहा है। महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब व उत्तर प्रदेश से यहां बड़ी संख्या में पुरानी गाड़ियां लाकर बेची जा रही हैं। प्रदेश में पहले से लाखों पुराने वाहन हैं। इनकी ठीक से जांच नहीं होती। नतीजा, सड़कों पर धुएं उड़ाती ये गाड़ियां लोगों को बीमार कर रही हैं। यह ठंड में तब पता चलती है, जब नमी के कारण धुएं के कण भारी हो जाते हैं। फिर निचले स्तर पर रहने के कारण प्रदूषण बढ़ जाता है। अब इस पर सरकार ने संज्ञान लिया और मुख्यमंत्री ने पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए विभागों को काम करने के निर्देश दिए।

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शहरों में कच्ची सड़कें न रहने दें

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह भी कहा कि 100 या अधिक एक्यूआई वाले शहरों के 5 साल के डेटा अध्ययन कर चिह्नित करें। शहर की सड़कों को कच्चा न रहने दें और मुख्य सड़कों के किनारे पेवर ब्लॉक लगाएं। शहरों में सड़कें गुणवत्तायुक्त हाें, ताकि धूल न रहे। गेहूं की कटाई शुरू होगी, इसलिए कलेक्टर पराली जलाने पर सतत नजर रखें। किसानों को पराली से भूसा बनाने के लिए जागरूक करें, इससे चारा संकट भी दूर होगा।